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न देखा न मिली..., फिर भी बॉबी को दिल दे बैठी, कैसे नौ साल तक CatFishing की शिकार हुई कीरत

लंदन में एक भारतवंशी महिला कीरत अस्‍सी नौ साल तक ऑनलाइन वाले रिश्‍ते में रहती है। सगाई से लेकर शादी और बच्‍चों के नाम तक तय कर लेती है लेकिन नौ साल बाद जब रिश्‍ते का सच सामने आता है तो कीरत सदमे में चली जाती है। अब सोच रहे होंगे कि कैटफिशिंग क्या है? कहीं आप भी तो नहीं हो रहे है कैटफिशिंग के शिकार? यहां पढ़िए...

By Deepti Mishra Edited By: Deepti Mishra Updated: Fri, 25 Oct 2024 05:06 PM (IST)
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9 साल बाद सामने आया कीरत और बॉबी के रिश्‍ते का सच; कौन निकला दोषी? डॉक्‍यूमेंट्री स्वीट बॉबी का पोस्‍टर
डिजिटल डेस्‍क, नई दिल्‍ली। लंदन में रह रही एक भारतवंशी महिला को ऑनलाइन अपनी ही कम्‍यूनिटी के एक शख्स से प्यार हो जाता है। महिला नौ साल तक इस रिश्ते को ऑनलाइन ही निभाती रही है। दोनों ने ऑनलाइन सगाई की अंगूठी पसंद की, एक-दूसरे के लिए कपड़े चुने। शादी की प्लानिंग से लेकर बच्‍चों के नाम तक सब फाइनल किया। लेकिन प्रेमी वीडियो कॉल नहीं करता, वॉयस कॉल पर भी अजीबोगरीब आवाज में बात करता है और मिलने के नाम पर बहाने बनाता है।

फिर प्रेमिका एक जासूस की मदद लेती है और प्रेमी के घर जा पहुंचती है, लेकिन उसके बाद जो हुआ, वो बेहद हैरान-परेशान और सदमे में डालने वाला था। यह कहानी है रेडियो प्रस्तोता कीरत अस्‍सी, जो नौ साल तक कैटफिशिंग की शिकार होती रहीं। सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि नौ साल तक दर्द देने वाला चेहरा कोई और नहीं उसकी खुद की चचेरी बहन निकली।

हाल में नेटफ्लिक्स पर 'स्वीट बॉबी: माई कैटफिश नाइट मेयर क्रानिकल' (Sweet Bobby: My Catfish Nightmare Chronicles) नाम की एक डॉक्यूमेंट्री रिलीज हुई है, जिसमें पीड़िता कीरत अस्‍सी ने अपना पूरी घटना, दर्द और सदमा के बारे में बताया है। अब सोच रहे होंगे कि कैटफिशिंग क्या है, क्या यह पहला मामला था या इससे पहले भी केस दर्ज हुए? कहीं आप भी तो नहीं हो रहे है कैटफिशिंग के शिकार? आइए हमको आप बताते हैं...

(बॉबी जंंडू और कीरत अस्‍सी। फोटो नेटफ्लिक्स)

स्वीट बॉबी की क्या है कहानी?

कीरत अस्‍सी (पीड़िता) एक सिख महिला है। कार्डियोलॉजिस्ट बॉबी जांडू (जिसकी पहचान से पीड़िता को कैटफिशिंग का शिकार बनाया) भी सिख समुदाय का नौजवान है। दोनों एक-दूसरे को नहीं जानते, लेकिन दोनों कुछ दोस्त और रिश्तेदार कॉमन हैं।

कीरत ने एक क्‍लब में बॉबी को देखा था, लेकिन बात नहीं हुई थी।  साल 2009 की बात है- कीरत के पास फेसबुक पर बॉबी जांडू के नाम से फ्रेंड रिक्‍वेस्‍ट आती है, जिसमें कई म्‍यूचल फ्रेंड्स होते हैं। कीरत रिक्‍वेस्‍ट एक्‍सेप्‍ट करती है और दोनों में बातचीत शुरू हो जाती है।

जान-पहचान, फिर दोस्ती और दोनों को प्यार हो जाता है। उस वक्त कीरत 29 साल की थी। उस पर शादी करने का दबाव था, ऐसे में उसने बॉबी संग रिश्ते के बारे में अपनी मां और भाई-बहनों को बता दिया। उनको भी बातचीत से लड़का पसंद आया। रात-रात पर जागकर कीरत बॉबी से बात करती है, जोकि बॉबी था ही नहीं।

(कैटफिशिंग की पीड़िता कीरत अस्‍सी।)

इस बीच कीरत की चचेरी बहन सिमरन (बॉबी का जानती है) बताती है कि बॉबी को किसी ने छह गोलियां मारी हैं। उसकी हालत गंभीर है। कीरत अपनी कजिन से बॉबी की हेल्‍थ की अपडेट लेती रहती है।

उसे पता चलता है कि बॉबी को विटनेस प्रोटेक्शन (witness protection) के तहत न्‍यूयॉर्क ले जाया गया है, वहां एक अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है। कुछ दिनों बाद वहां दूसरे फेसबुक अकाउंट से बॉबी की बात कीरत से होने लगती है। कीरत वॉइस मैसेज भेजती है। उधर से टेक्स्ट मैसेज आते हैं।

नकली बॉयफ्रेंड संग असली टॉक्सिक रिश्‍ता

धीरे-धीरे बॉबी कीरत को कंट्रोल करने लगता है। कब, कहां जाती है, किससे मिलती है, जैसे सवालों को लेकर शक करने लगा। इसके चलते उसे अपना रेडियो शो भी छोड़ना पड़ा। कीरत बार-बार मिलने की जिद करती है, लेकिन बॉबी आमने-सामने मिलने से बचने के लिए फिजूल के बहाने बनाते रहता है।

साल 2018 में वह कीरत की जिद पर लंदन आने की सूचना देता है। कहता है- वह केंसिंग्टन  एक होटल में चेक-इन कर चुका है। अभी कीरत से मिलने के लिए तैयार नहीं है। कीरत होटल पहुंचती है तो पता चलता है कि बॉबी जंडू नाम का कोई गेस्‍ट नहीं है। जब कीरत बॉबी से पूछती है तो वह कहता है कि उसने ही रिसेप्शनिस्ट से किसी को उसके बारे में न बताने को कहा था।

('स्वीट बॉबी: माई कैटफिश नाइट मेयर क्रानिकल' का एक दृश्‍य)

कीरत को कैसे पता चला रिश्‍ते का सच?

कीरत को शक होता है तो एक निजी जासूस की मदद ली बॉबी जंडू का पता निकालकर उसके घर पहुंचती है। वहां  बॉबी जंडू (असली बॉबी) दरवाजा खोलता है और वह कीरत को नहीं पहचानता है। पूछता है कि आप कौन? बॉबी की पत्नी सांझ भी आ जाती है।

कीरत चचेरी बहन को कॉल करके बताती है कि उसने आज बॉबी से मुलाकात की, लेकिन वह हमारे रिश्‍ते से इनकार कर रहा है, पता नहीं ऐसा क्यों कर रहा है। इस पर बहन से वहां से निकलने के लिए कहती है।

जब मामला पुलिस के पास पहुंचता है, तब चचेरी बहन सिमरन कबूल करती है- जिस बॉबी से कीरत अस्‍सी बात करती थी, वो कोई और नहीं सिमरन थी। इतना ही नहीं, कीरत की बॉबी के दोस्त और परिवार के जिन सदस्यों से फेसबुक से बात हुई थी, वो भी सिमरन ही थी। सिमरन सोशल मीडिया पर करीब 60 लोगों के फर्जी अकाउंट बनाए थे। कीरत सदमे में चली जाती है।

कीरत के साथ फिर क्‍या हुआ?

साल 2020 में कीरत अस्‍सी ने सिमरन के खिलाफ केस दर्ज कराया। 2021 में कीरत अस्‍सी को मुआवजा और चचेरी बहन सिमरन से माफी मिली। हालांकि,  पुलिस ने कोई आपराधिक कार्रवाई नहीं की। कीरत को मनोचिकित्‍सक की मदद लेनी पड़ी।

तब से लेकर अब तक कैटफिशिंग से पीड़ित कीरत अस्‍सी लोगों को इसके प्रति जागरूक कर रही हैं और सरकार से  इंटरनेट पर नियंत्रण बढ़ाने की अपील कर रही हैं। कीरत का यह मानना है कि इंटरनेट पर नियंत्रण की कमी से इस तरह की घटनाएं हो रही हैं।

कैटफिशिंग क्‍या है?

कैटफिशिंग एक ऑनलाइन धोखाधड़ी है। कैटफिशिंग में कोई व्यक्ति किसी और की पहचान, तस्वीरें और दस्‍तावेज का इस्तेमाल करता है। इसके बाद किसी दूसरे व्यक्ति को मानसिक या आर्थिक तौर पर नुकसान पहुंचाता है।

कैटफिशिंग वे मामले, जिन्हें जान हैरान हो गए लोग

मांटी टीओ केस (Manti Te’o Case): अमेरिका के फुटबॉल खिलाड़ी मांटी टीओ की ऑनलाइन एक गर्लफ्रेंड बनी। सालों साल उससे बातें हुईं। गिफ्ट का आदान-प्रदान हुआ। 2013 में मांटी को ता चला कि नकी गर्लफ्रेंड असल में अस्तित्व में नहीं है। यह मामला मीडिया में बड़ा चर्चा का विषय बना।

इस मामले पर 'अनटोल्‍ड: द गर्लफ्रेंड हु डिड नॉट एग्जिट' (Untold: The Girlfriend Who Didn't Exist) के नाम से  नेटफ्लिक्स पर डॉक्यूमेंट्री भी बनी थी, जिसमें इंटरनेट के खतरों को लेकर आगाह किया गया था।

(फुटबॉल खिलाड़ी मांटी टीओ)

मेगन मायर केस (The Megan Meier Case): साल 2006 में अमेरिका में एक महिला ने एक लड़के की नकली प्रोफाइल बनाकर 13 साल की मेगन मायर को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया, जिसके बाद कैटफिशिंग मेगन मायर ने आत्महत्या कर ली थी।

हर साल कितने कैटफिशिंग के केस दर्ज होते हैं?

कैटफिशिंग एक वैश्विक समस्या है। अमेरिकी फेडरल ट्रेड कमीशन (FTC) की माने तो साल 2020 में 23,000 से अधिक कैटफिशिंग के केस दर्ज हुए थे, जिसमें करीब 304 मिलियन डॉलर (2556 करोड़ रुपये ) का नुकसान हुआ था। हर साल दुनिया भर में हजारों मामले दर्ज होते हैं, लेकिन यह असल संख्या से कम हो सकते हैं, क्योंकि कई पीड़ित रिपोर्ट नहीं करते।

अगर भारत की बात करें तो यहां कैटफिशिंग के सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। हर साल साइबर क्राइम सेल में कैटफिशिंग के सैकड़ों मामले दर्ज होते हैं। देश में कैटफिशिंग भी ऑनलाइन फ्रॉड की श्रेणी में आते हैं, इसलिए इसे सीधे कैटफिशिंग का सटीक आंकड़ा नहीं है। हालांकि, यहां भी ऑनलाइन फ्रॉड और इंपर्सनेशन के केस तेजी से बढ़ रहे हैं।

('स्वीट बॉबी: माई कैटफिश नाइट मेयर क्रानिकल' का एक दृश्‍य)

कैटफिशिंग के लिए क्‍या है कानून?

देश में कैटफिशिंग के लिए अलग से कानून नहीं है।  कैट फिशिंग भी विभिन्न साइबर अपराधों की श्रेणी में ही आता होता है। ऐसे में कैट फिशिंग से जुड़े अपराधों को आईटी एक्ट 2000 के तहत दर्ज किया जाता है। जैसे कि आईटी एक्ट की धारा 66D (धोखाधड़ी के उद्देश्य से कम्प्यूटर संसाधनों का उपयोग),  भारतीय दंड संहिता संशोधन विधेयक (BNS) में धारा 237 (जो पहले IPC की धारा 419 थी) के तहत केस दर्ज होते हैं।

कैटफिशिंग पर बनी फिल्‍में और डॉक्यूमेंट्री

  • यू हेव गोट मेल
  • कैटफिश
  • टॉल होट ब्लान्ड
  • द परफेक्ट फेक
  • फेनेटिकल: द कैटफिशिंग ऑफ टेगन एंड सारा 
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