Jagdeep Dhankhar: किसान के बेटे से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार तक ऐसा रहा है जगदीप धनखड़ का सियासी सफर
Jagdeep Dhankhar political career भाजपा ने उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ को किसान पुत्र करार दिया है। जगदीप धनखड़ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहे हैं।
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Sat, 16 Jul 2022 11:15 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। हर बार की तरह इस बार भी भाजपा ने एक बड़े फैसले में तमाम अटकलों को धराशाई कर दिया। भाजपा ने शनिवार को बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद के लिए राजग का उम्मीदवार (BJP declared Jagdeep Dhankhar as Vice President candidate) घोषित कर दिया। लोकसभा और राज्यसभा में राजग के बहुमत को देखते हुए धनखड़ का जीतना तय माना जा रहा है। इस एक फैसले से भाजपा ने कई निशाने साधे हैं...
- बंगाल के राज्यपाल धनखड़ होंगे राजग के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार
- भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में हुआ फैसला, नड्डा ने धनखड़ को बताया किसान पुत्र
- सोमवार या मंगलवार को कर सकते हैं नामांकन, छह अगस्त को है चुनाव
भाजपा ने बताया 'किसान पुत्र'
भाजपा ने उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ को 'किसान पुत्र' करार दिया है। जगदीप धनखड़ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहे हैं। कैसा रहा है जगदीप धनखड़ का राजनीतिक करियर जानने के लिए पढ़ें यह रिपोर्ट...
पारिवारिक पृष्ठभूमि व शिक्षा
- 18 मई, 1951 को राजस्थान में झुंझुनूं के एक छोटे से गांव किठाना में जन्म हुआ। किसान गोकलचंद और केसरी देवी के बेटे जगदीप चार भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर हैं। बड़े भाई कुलदीप और छोटे भाई रणदीप व बहन इंद्रा हैं।
- वर्ष 1979 में उनकी शादी सुदेश धनखड़ से हुई। बेटी कामना की शादी कार्तिकेय वाजपेयी से हुई।
- शुरुआती शिक्षा किठाना गांव के सरकारी विद्यालय से हुई। पांचवीं के बाद उन्होंने गर्धाना के गवर्नमेंट मिडिल स्कूल में प्रवेश लिया। धनखड़ स्कूल जाने के लिए चार-पांच किलोमीटर का सफर पैदल तय किया करते थे।
- चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में फुल मेरिट स्कालरशिप के आधार पर जगदीप व उनके बड़े भाई को प्रवेश मिला। होनहार विद्यार्थी रहे धनखड़ ने कैंब्रिज विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट परीक्षा उत्तीर्ण की।
- जयपुर के महाराजा कालेज से भौतिक विज्ञान में स्नातक किया। सत्र 1978-79 में उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से विधि स्नातक की डिग्री हासिल की।
- धनखड़ ने राजस्थान हाईकोर्ट और फिर वर्ष 1990 से सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस की। उन्होंने मुख्य रूप से स्टील, कोल, माइन और इंटरनेशनल कामर्शियल आर्बिट्रेशन से संबंधित केस में पैरवी की।
- धनखड़ सबसे कम उम्र (35 वर्ष) में राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी चुने गए थे।
जनता दल से शुरू हुआ राजनीतिक जीवन
- जगदीप धनखड़ ने वर्ष 1989 में जनता दल से जुड़े और पहली बार झुंझुनूं लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए।
- 1990 में वह वीपी सिंह सरकार में संसदीय कार्य राज्यमंत्री बने। इसके बाद अजमेर जिले की किशनगढ़ से वह विधायक भी बने।
- जल्द ही उन्होंने जनता दल छोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली। कांग्रेस में आने के बाद उन्होंने वर्ष 1991 में अजमेर से लोकसभा का चुनाव लड़ा, परंतु जीत नहीं मिली।
- दो वर्ष बाद वर्ष 1993 में उन्हें अजमेर जिले की किशनगढ़ विधानसभा सीट से विधायक बनने का मौका मिला।
- वर्ष 2003 में वह भाजपा में शामिल हुए। जुलाई 2019 में भाजपा ने उन्हें बंगाल का राज्यपाल बनाया।
राज्यपाल का कार्यकाल: ममता ने बांधी थी राखी, फिर रहा विवाद
- धनखड़ बंगाल के अब तक के सबसे मुखर व आक्रामक राज्यपाल माने जाते हैं। राज्यपाल पद की शपथ ग्रहण करने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राजभवन आकर उनकी कलाई पर राखी बांधी और उन्हें अपना बड़ा भाई बनाया था। हालांकि बाद में दोनों तल्खी रही।
- राज्यपाल ने बंगाल में 'जंगलराज' करार दे दिया। वह प्रशासनिक अधिकारियों को राजभवन भी तलब करते रहे।
- ममता सरकार ने अपने अधिकारियों को राज्यपाल के बुलाने पर राजभवन नहीं जाने का 'अनाधिकारिक' फरमान जारी कर दिया था।
- धनखड़ ने कानून व्यवस्था के बाद बंगाल के शिक्षा क्षेत्र में अव्यवस्था से जुड़े मुद्दों को सबसे प्रमुखता से उठाया। इस पर ममता सरकार ने राज्यपाल को समस्त सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति व निजी विश्वविद्यालयों के विजिटर के पद से हटाने के विधेयक पारित करा लिए।
- धनखड़ ने राजभवन के दरवाजे सबके लिए हमेशा खुले रखे। किसी भी पार्टी अथवा संगठन-संस्था से जुड़े लोगों के लिए उनसे मिलना मुश्किल नहीं रहा।
सामाजिक जीवन: खेल और किताबों में रुचि
जगदीप धनखड़ की खेलों में गहरी रुचि है। वह राजस्थान ओलिंपिक संघ और राजस्थान टेनिस संघ के अध्यक्ष भी रहे। उन्हें पुस्तकें पढ़ने में गहरी रुचि है।बच्चों को दिया संविधान का संदेश
उदयपुर के प्रताप गौरव केंद्र में लगभग तीन वर्ष पूर्व आयोजित एक कार्यक्रम में राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने बच्चों को संदेश देते हुए कहा था कि बच्चों को भारत के संविधान का प्रस्तावना अवश्य पढ़ना चाहिए। इससे उन्हें राष्ट्रीयता समझ आ जाएगी।(इनपुट: महेश वैद्य, सुभाष शर्मा, विशाल श्रेष्ठ, प्रेट्र)