White Paper: UPA सरकार का कार्यकाल खोया हुआ दशक, महंगाई दहाई अंक में रही तो रक्षा तैयारियों से किया गया समझौता
लोक सभा चुनाव से ठीक पहले भारतीय अर्थव्यवस्था पर जारी श्वेत पत्र में सरकार ने यूपीए सरकार के दशक को खोया हुआ दशक करार दिया क्योंकि इस अवधि (2004-14) के दौरान वाजपेयी सरकार द्वारा छोड़ी गई मजबूत आधारभूत व्यवस्था और सुधारों की गति को भुनाने में यह सरकार विफल रही। श्वेत पत्र में कहा गया है कि यूपीए सरकार में बार-बार नेतृत्व का संकट खड़ा हो गया था।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लोक सभा चुनाव से ठीक पहले भारतीय अर्थव्यवस्था पर जारी श्वेत पत्र में सरकार ने यूपीए सरकार के दशक को खोया हुआ दशक करार दिया क्योंकि इस अवधि (2004-14) के दौरान वाजपेयी सरकार द्वारा छोड़ी गई मजबूत आधारभूत व्यवस्था और सुधारों की गति को भुनाने में यह सरकार विफल रही। यह इसलिए भी एक खोया हुआ दशक था क्योंकि यूपीए सरकार प्रौद्योगिकी प्रोत्साहन के लिए नवाचार, दक्षता और विकास के अवसरों को भुनाने में विफल रही।
वाजपेयी सरकार ने दूरसंचार सुधारों के लिए आधार रेखा निर्धारित की थी, लेकिन जिस समय दुनिया 3जी के करीब पहुंच रही थी, यूपीए 2जी घोटाले में फंस गया था और बाद में उसकी नीलामी को रद करना पड़ा। वर्ष 2004 में छह अरब डॉलर वाली बीएसएनएल यूपीए के काल में घाटे में चलने वाली कंपनी बन गई। भारत टेलीकॉम उपकरणों के लिए 100 प्रतिशत आयात पर निर्भर हो गया।
नेतृत्व का अभाव
श्वेत पत्र में कहा गया है कि यूपीए सरकार में बार-बार नेतृत्व का संकट खड़ा हो गया था। यह सरकार द्वारा जारी किए गए अध्यादेश को शर्मनाक ढंग से सार्वजनिक रूप से फाड़े जाने के मामले में पूरी तरह से जनता के सामने आया। इस प्रकार यूपीए सरकार के तहत अर्थव्यवस्था ने अपना रास्ता खो दिया था।यह भी पढ़ेंः White Paper: 'UPA के शासन में रुपये में भारी गिरावट, संकट में अर्थव्यवस्था', सरकार ने लोकसभा में श्वेत पत्र किया पेश
रक्षा तैयारियों से भी हो रहा था समझौता
श्वेत पत्र में कहा गया है कि यूपीए सरकार में रक्षा तैयारियों से समझौता करते हुए भ्रष्टाचार और रक्षा में घोटाले के कारण निर्णय लेने की प्रक्रिया ठप हो गई। सरकार ने तोपखाने और विमानरोधी तोपों, लड़ाकू विमानों, पनडुब्बियों, नाइट फाइट गियर और कई उपकरणों के उन्नयन के अधिग्रहण में देरी की। एक सुरक्षा विशेषज्ञ ने यहां तक कहा कि हथियारों की महंगाई दर सालाना 15 प्रतिशत है और पांच साल की देरी का मतलब है कि भारत को दोगुना भुगतान करना पड़ा।महंगाई बढ़ने से लोग बेहाल हुए
वर्ष 2009 से 2014 के बीच महंगाई बढ़ गई और इसका खामियाजा आम आदमी को भुगतना पड़ा। वर्ष 2009-2014 के बीच छह वर्षों के लिए उच्च राजकोषीय घाटे से आम लोगों का संकट बढ़ गया। वर्ष 2010 से वित्त वर्ष 2014 तक की पांच साल में औसत वार्षिक महंगाई दर दहाई अंक में थी। वर्ष 2004-2014 के बीच औसत वार्षिक महंगाई दर 8.2 प्रतिशत थी।