'जल्द फैसले देने की जरूरत', महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध पर बोले पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर ¨चता जताते हुए न्यायपालिका से ऐसे मामलों में जल्दी फैसले देने की अपील की है। शनिवार को जिला अदालतों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री ने महिलाओं के खिलाफ अत्याचार बच्चों की सुरक्षा को ज्वलंत मुद्दा बताते हुए इसपर गंभीर चिंता जताई। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि न्यायपालिका संविधान की संरक्षक मानी गई है
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर ¨चता जताते हुए न्यायपालिका से ऐसे मामलों में जल्दी फैसले देने की अपील की है। शनिवार को जिला अदालतों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री ने महिलाओं के खिलाफ अत्याचार, बच्चों की सुरक्षा को ज्वलंत मुद्दा बताते हुए इसपर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने ऐसे मामलों में त्वरित न्याय की अपील करते हुए कहा कि महिला अत्याचार से जुड़े मामलों में जितनी तेजी से फैसले आएंगे आधी आबादी को सुरक्षा का उतना ही बड़ा भरोसा मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि न्यायपालिका संविधान की संरक्षक मानी गई है और ये बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, सुप्रीम कोर्ट और न्यायपालिका ने इस जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन करने का प्रयास किया है। इस मौके पर कानून मंत्री अजुर्न राम मेघवाल ने कहा जिला अदालतें हमारी न्यायपालिका का दर्पण हैं और इन्हीं के माध्यम से आम जनता अपने मन में न्यायपालिका की छवि बनाती है।
ईज आफ लिविंग के साथ साथ ईज आफ जस्टिस को बढ़ावा
उन्होंने कहा पिछले एक दशक में ईज आफ लिविंग के साथ साथ ईज आफ जस्टिस को बढ़ावा देने के लिए सार्थक प्रयास किए गए हैं जिसका परिणाम हमें देखने को मिल रहा है।कोलकाता में डॉक्टर से दरिंदगी की घटना के बाद से देश भर में महिला सुरक्षा को लेकर मुद्दा गर्म है। इस बीच प्रधानमंत्री का जिला अदालतों के राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने आए देश भर के न्यायाधीशों से महिलाओं के खिलाफ अपराध में त्वरित न्याय की अपील करना महत्वपूर्ण है। शनिवार को प्रधानमंत्री भारत मंडपम में जिला अदालतों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
75 साल पूरे होने पर होगा सम्मेलन का आयोजन
इस सम्मेलन में देश भर की जिला अदालतों के 800 से ज्यादा न्यायाधीश और सभी उच्च न्यायालयों व सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश भाग ले रहे हैं। समारोह में प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, बार काउंसिल आफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा, अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल व अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। सुप्रीम कोर्ट ने 75 वर्ष पूरे होने पर इस सम्मेलन का आयोजन किया है।फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट की स्थापना की योजना
प्रधानमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने पर डाक टिकट और सिक्का जारी किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कठोर कानून बने हैं। 2019 में सरकार ने फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट की स्थापना की योजना बनाई थी। इसके तहत अहम गवाहों के लिए गवाही केंद्र का प्रविधान है। इसमें डिस्टि्रक मानीट¨रग कमेटी की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। इस कमेटी में डिस्टि्रक जज, डीएम और एसपी भी शामिल होते हैं। उन्होंने कहा कि क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के बीच समन्वय बनाने की जरूरत है। महिला अत्याचार से जुड़े मामलों में जितनी तेजी से फैसले आएंगे आधी आबादी को सुरक्षा का उतना ही बड़ा भरोसा मिलेगा। प्रधानमंत्री ने गत एक जुलाई से लागू हुए तीन आपराधिक कानूनों का जिक्र करते हुए कहा कि इन कानूनों की भावना सिटीजन फर्स्ट, डिग्निटी फर्स्ट और जस्टिस फर्स्ट है। न्याय संहिता की सोच सिर्फ सजा देना ही नहीं है बल्कि सुरक्षा देना भी है। इसीलिए एक ओर महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों पर सख्त कानून बने हैं तो दूसरी ओर मामूली अपराधों में सजा के तौर पर कम्युनिटी सर्विस का प्रविधान किया गया है। नये कानून में इलेक्ट्रानिक और डिजिटल रिकार्ड को मान्यता मिली है।
इससे लंबित मुकदमों का बोझ भी कम होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 75 वर्ष, केवल एक संस्था की यात्रा नहीं है। ये भारत के संविधान और संवैधानिक मूल्यों की यात्रा है। एक लोकतंत्र के रूप में भारत के और परिपक्व होने की यात्रा है। इसमें पीढ़ी दर पीढ़ी उन करोड़ों देशवासियों का भी योगदान है जिन्होंने हर परिस्थिति में न्यायपालिका पर अपना भरोसा अडिग रखा।प्रधानमंत्री ने संविधान के संरक्षक के तौर पर अपनी जिम्मेदारी का बखूबी निर्वाहन करने के लिए न्यायपालिका की सराहना करते हुए कहा कि आजादी के बाद न्यायपालिका ने न्याय की भावना की रक्षा की। उन्होंने आपातकाल लगाने को काला दौर करार देते हुए कहा कि आपातकाल का काला दौर भी आया। तब न्यायपालिका ने संविधान की रक्षा में अहम भूमिका निभाई। मौलिक अधिकारों पर जब प्रहार हुए तो सुप्रीम कोर्ट ने उनकी भी रक्षा की। जब जब देश की सुरक्षा का प्रश्न आया, न्यायपालिका ने राष्ट्रहित सर्वोपरि रखकर भारत की एकता की रक्षा की। प्रधानमंत्री ने पिछले दस वर्षों में न्याय को सुगम बनाने के लिए किये गए प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि अदालतों के आधुनिकीकरण के लिए मिशन स्तर पर काम हो रहा है। इसमें सुप्रीम कोर्ट और न्यायपालिका के सहयोग की बड़ी भूमिका रही है।