कृषि में पानी के उपयोग पर नए सिरे से निगाह डालने की जरूरत, जलशक्ति मंत्रालय में बनी समिति ने दिया सुझाव
पानी के सही उपयोग की दक्षता बढ़ाने के लिए बने विशेषज्ञों के समूह ने केंद्रीय स्तर पर एक ऐसी संस्था के गठन का सुझाव दिया है जो पूरे देश में पानी के उपयोग के तौर-तरीकों पर निगाह रखे और सुधार के उपाय बताए। समिति ने मंत्रालय को जल उपयोग की दक्षता 50 या उससे अधिक करने के लिए चार साल का एक रोडमैप भी बताया है।
मनीष तिवारी, नई दिल्ली। पानी के सही उपयोग की दक्षता बढ़ाने के लिए बने विशेषज्ञों के समूह ने केंद्रीय स्तर पर एक ऐसी संस्था के गठन का सुझाव दिया है, जो पूरे देश में पानी के उपयोग के तौर-तरीकों पर निगाह रखे और सुधार के उपाय बताए।
समूह की सिफारिश है कि इस राष्ट्रीय जल उपयोग दक्षता प्राधिकरण को कानूनी शक्ति भी मिलनी चाहिए और यह कार्य पानी को लेकर मौजूदा कानूनों के जरिये ही किया जा सकता है।
मंत्रालय को बताया गया चार साल का रोडमैप
समिति ने मंत्रालय को जल उपयोग की दक्षता 50 या उससे अधिक करने के लिए चार साल का एक रोडमैप भी बताया है। इस प्राधिकरण को यह जिम्मेदारी देने की बात कही गई है कि अलग-अलग क्षेत्रों में पानी के इस्तेमाल के लिए क्या बेंचमार्क होने चाहिए।
जलशक्ति मंत्रालय के तहत ब्यूरो आफ वाटर यूज एफिसिएंसी ने इंटरनेशनल वाटर मैनेजमेंट के भारतीय प्रतिनिधि आलोक सिक्का की अध्यक्षता में गत वर्ष एक समिति का गठन किया था, जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) की मंशा के अनुरूप देश में पानी के सार्थक उपयोग की दक्षता बीस प्रतिशत तक बढ़ाने के उपाय बताने के लिए कहा गया था।
छह माह में देनी थी रिपोर्ट
समिति को छह माह में अपनी रिपोर्ट देनी थी, लेकिन एक विस्तार के बाद उसने पिछले माह मंत्रालय को अपनी सिफारिशें सौंपी हैं। सूत्रों के अनुसार, समिति ने पानी का सबसे अधिक इस्तेमाल करने वाले कृषि क्षेत्र में सिंचाई के तौर-तरीकों में बुनियादी बदलाव के कदम उठाने के लिए कहा है ताकि उपलब्ध पानी के अधिक इस्तेमाल की ओर बढ़ा जा सके।
इसके लिए उन देशों का उदाहरण दिया गया है जहां कृषि में अधिकतम 25 प्रतिशत पानी का इस्तेमाल होता है, जबकि भारत में यह 70 से 80 प्रतिशत है।
पहले भी दिया गया था ऐसा सुझाव
समिति ने सिंचाई की योजनाओं की समीक्षा और मोर क्राप पर ड्राप के माडल पर चलने के लिए कहा है। लगभग इसी तरह का सुझाव 2010 में बनी एक समिति ने भी दिया था, लेकिन उस पर अमल नहीं हुआ।
जलशक्ति मंत्रालय ने इस अहम मसले पर फिर से आगे बढ़ने का फैसला लिया है और इसी के तहत विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया गया, जिसमें कुछ राज्यों के प्रतिनिधियों के अलावा पानी से जुड़ी केंद्रीय एजेंसियों और कई मंत्रालयों के प्रतिनिधियों को भी जगह दी गई।
अध्ययन के लिए कई उपसमूह भी बनाई गए
समिति ने अपनी बैठकों में कृषि, घरेलू इस्तेमाल तथा औद्योगिक प्रयोग पर अलग-अलग विचार किया। इस पर अध्ययन के लिए कई उपसमूह भी बनाए गए।
सूत्रों के अनुसार, समिति ने एक अन्य अहम सिफारिश घरों में पानी के दुरुपयोग को रोकने के लिए वाटर प्यूरीफायरों, डिस्पेंसरों समेत पानी से जुड़े तमाम उपकरणों की स्टार रेटिंग की व्यवस्था करने के लिए कहा है ताकि लोग उन्हीं चीजों को खरीदें जो जल उपयोग के मामले में किफायती हों। यह रेटिंग एनर्जी एफिशिएंसी की तर्ज पर होगी।