2 घंटे तक श्रीनगर HC के सामने पड़ा था नीलकंठ गंजू का शव, 33 साल बाद खुली मर्डर केस की फाइल, मिलेगा इंसाफ?
1989-90 के दशक में जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों का नरसंहार किया जा रहा था। इस नरसंहार में रिटायर्ड जज नीलकंठ गंजू (Neelkanth Ganjoo) का नाम भी शामिल था। 33 साल बाद इन कश्मीरी पंडितों को इंसाफ दिलाने के लिए भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। जितने भी कश्मीरी पंडितों की हत्या 90 के दशक में की गई उनका केस SIA एक बार फिर से खोलने जा रही है।
By Nidhi AvinashEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Tue, 08 Aug 2023 03:47 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Neelkanth Ganjoo Murder: 'कश्मीरी पंडित' इस नाम को सुनने के बाद हर किसी के जेहन में खून-खराबा, परिवार का खोना, बेटियों के साथ दुष्कर्म और गोलीबारी जैसी घटनाएं याद आती है। कश्मीर फाइल्स फिल्म देखने के बाद कश्मीरी पंडितों के आंखों से आंसू रुक ही नहीं रहे थे, क्योंकि उन्हें 1989 का वो काला साल याद आ गया, जिसमें उन्हें अपने घरों को छोड़कर पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा।
बर्बरता की हदें पार कर कश्मीरी पंडितों की हत्या की गई, जिसमें कई नाम शामिल थे। आज हम आपको उस कश्मीरी पंडित के बारे में बताने जा रहे है, जिसकी नृशंस हत्या के 2 घंटे बाद भी शव लावारिस तरीके से सड़क पर पड़ा हुआ था। हम बात कर रहे है जम्मू-कश्मीर के रिटायर्ड जज नीलकंठ गंजू की। इनकी हत्या भारतीय जनता पार्टी के नेता टीका लाल टपलू की हत्या के ठीक 7 हफ्ते बाद हुई थी।
34 साल पहले क्या हुआ था?
दिन का समय, तारीख थी 4 नवंबर, 1989 जम्मू-कश्मीर में इस समय माहौल काफी तनावपूर्ण था। अपनी इज्जत और जान बचाने के लिए कश्मीरी पंडित घाटी से लगातार पलायन कर रहे थे। वहीं, श्रीनगर हाई स्ट्रीट मार्केट के पास स्थित हाईकोर्ट के पास अचानक गोलियों की गूंज सुनाई दी। पता चला कि एक और कश्मीर पंडित मारा गया है। शख्स थे नीलकंठ गंजू। ताबड़तोड़ गोली लगने के बाद गंजू की मौत हो गई थी और उनका शरीर लावारिस तरीके से 2 घंटे तक सड़क पर पड़ा हुआ था। हत्या के कुछ देर बाद ही रेडियो कश्मीर ने एक घोषणा की थी 'अज्ञात हमलावरों ने एक पूर्व सत्र न्यायाधीश की गोली मारकर हत्या कर दी है।'क्यों की गई जस्टिस नीलकंठ गंजू की हत्या?
1968 में आतंकी मकबूल भट को फांसी की सजा सुनाई गई थी। यह सजा किसी और ने नहीं बल्कि जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के जज नीलकंठ गंजू ने सुनाई थी। 1984 में दिल्ली के तिहाड़ जेल में भट की फांसी के बाद जस्टिस गंजू आतंकियों के निशाने पर आ गए थे। बाद में जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट के लीडर और अलगाववादी नेता यासीन मलिक ने इस हत्याकांड की जिम्मेदारी ली थी। यासीन मलिक ने कहा था कि उसने मकबूल भट की मौत का बदला लेने के लिए नीलकंठ की हत्या की थी।
कौन था मकबूल भट?
- जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) का संस्थापक था मकबूल भट।
- मकबूल भट ने 1966 में सीआईडी सब इंस्पेक्टर अमर चंद की हत्या कर दी।
- 1968 में भट को तत्कालीन सेशन जज नीलकंठ गंजू ने फांसी की सजा सुनाई।
- तिहाड़ जेल से फरार होने के बाद भट ने पाकिस्तान में शरण ली।
- 1976 में वापस कश्मीर लौटा और कुपवाड़ा के एक बैंक में डकैती कर मैनेजर की हत्या कर दी।
- हत्या के तुंरत बाद वह पुलिस के हत्थे चढ़ा और उसे फांसी की सजा सुनाई गई।
- जेल से रिहा करने की कोशिश में आतंकी संगठन ने इंग्लैंड स्थित भारतीय उच्चायोग रविंद्र म्हात्रे का अपहरण कर हत्या कर दी।
- साल 1984 में मकबूल भट को फांसी पर लटकाया गया।
नीलकंठ गंजू का चैप्टर अचानक फिर से क्यों खुला?
1989-90 के दशक में जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों का नरसंहार किया जा रहा था। इस नरसंहार में नीलकंठ गंजू का नाम भी शामिल था। 34 साल बाद इन कश्मीरी पंडितों को इंसाफ दिलाने के लिए भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है।जितने भी कश्मीरी पंडितों की हत्या 90 के दशक में की गई उनका केस एक बार फिर से खोला जा रहा है। पहला केस नीलकंठ गंजू का लिया गया है, जिसके लिए जम्मू-कश्मीर की स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (SIA) ने एक प्रेस रिलीज जारी किया है। इसमें गंजू की हत्या से संबधित जानकारी शेयर करने की अपील की गई है। इसका मतलब की अगर कोई भी इस घटना के बारे में कुछ भी जानता है तो वह जानकारी शेयर कर सकता है।
पहचान नहीं होगी उजागर
- SIA ने अपने प्रेस रिलीज में कहा है कि जो भी नीलकंठ गंजू की हत्या से जुड़े मामले की जानकारी साझा करेगा उसकी पहचान उजागर नहीं की जाएगी।
- जो भी कोई इस मामले से संबधित जानकारी को शेयर करेगा उसे इनाम भी दिया जाएगा।
- SIA ने नंबर और मेल आईडी जारी की है, जिसपर आप जानकारी साझा कर सकते है।
- नंबर है- 8899004976 और मेल आईडी है- sspsia-kmr@jkpolice.gov.in