NEET Paper Leak Case: निजी एजेंसियों के भरोसे NTA, गड़बड़ियों का बना गढ़; ठेके और आउटसोर्सिंग के जरिये होता है सारा काम
राष्ट्रीय स्तर पर परीक्षाओं को हर छात्र के लिए समान बनाने स्वच्छ रखने और गड़बड़ियों को रोकने के लिए जिस नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) का गठन किया है आज वही गड़बड़ियों का गढ़ बन गया है। सूत्रों के अनुसार इस एजेंसी के साथ ऐसे लोग भी आए जिनका वेरिफिकेशन भी नहीं हुआ। आज के दिन परीक्षाओं का पूरा जिम्मा ऐसी दर्जनों एजेंसी के पास है।
अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्तर पर परीक्षाओं को हर छात्र के लिए समान बनाने, स्वच्छ रखने और गड़बड़ियों को रोकने के लिए जिस नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) का गठन किया है, आज वही गड़बड़ियों का गढ़ बन गया है।
सवालों के घेरे में NTA की विश्वसनीयता
हाल ही में एक के बाद एक लगातार तीन परीक्षाओं में यानी नीट-यूजी, यूजीसी-नेट और बीएड प्रवेश परीक्षा में सामने आई गड़बड़ी इसके उदाहरण है, जिसमें न सिर्फ लाखों छात्रों का भविष्य दांव पर है बल्कि एनटीए की विश्वसनीयता और क्षमता सवालों के घेरे में है। पूरी जांच के बाद तो परतें खुलेंगी लेकिन एनटीए पर उठ रहे सवालों के पीछे की सबसे बड़ी वजह है ठेके की व्यवस्था है, जिसमें परीक्षा से लेकर मैनपावर सब कुछ ठेके और आउटसोर्सिंग पर है।
कब हुआ था NTA का गठन
वर्ष 2017 में बड़े उद्देश्य के साथ गठित एनटीए के शुरुआती कुछ साल ठीक रहे। दरअसल तीन चार साल पहले तक एनटीए के जरिए सारी परीक्षाओं का जिम्मा एनआइसी, टीसीएस जैसे कुछ बहुत विश्वसनीय एजेंसी के पास था। लेकिन परीक्षाओं के बढ़ते दबाव, किफायत जैसे कई कारणों से एनटीए में ऐसी निजी कंपनियों का प्रवेश हो गया जिसने पास अनुभव की कमी थी।NTA के पास लोगों की भारी कमी
सूत्रों के अनुसार इस एजेंसी के साथ ऐसे लोग भी आए जिनका वेरिफिकेशन भी नहीं हुआ। आज के दिन परीक्षाओं का पूरा जिम्मा ऐसी दर्जनों एजेंसी के पास है। एनटीए के पास खुद का अपना कोई अमला नहीं है। चेयरमैन, महानिदेशक सहित कुल पंद्रह अधिकारियों की उसके पास टीम है वह भी प्रतिनियुक्ति पर यहां आते है। यही टीम पूरी परीक्षा के आयोजन को देखती है और परीक्षा कराने के लिए एजेंसियों के चयन का फैसला करती है।
ठेके पर कई कर्मचारी
वहीं इनके नीचे जो टीम रहती है वह भी ठेके पर होती है। यानी उनकी तैनाती आउटसोर्सिंग कंपनी के जरिए की जाती है। एनटीए ने 21 अक्टूबर 2023 में इसे लेकर एक टेंडर भी जारी किया था, जिसमें टेक्निकल स्टाफ से लेकर एडवाइजर तक की नियुक्ति के लिए एक निजी कंपनी की निविदाएं आमंत्रित की गई थी।कम रेट पर बड़ी परीक्षाओं को कराने का मिल जाता है जिम्मा
सूत्रों की मानी जाए तो एजेंसियों के चयन में गुणवत्ता पर कम बल्कि रेट पर कुछ ज्यादा फोकस होता है। कंपनियां भी टेंडर लेने के दौरान मानकों को पूरा करने का भरोसा देती है, लेकिन परीक्षा के दौरान वह उसे पूरा नहीं कर पाती है। नीट-यूजी, जेईई मेन जैसी कई परीक्षाओं में यह देखते को मिला है। जहां कंपनियों ने बगैर कैमरे के ही परीक्षा करा ली थी। या फिर कुछ कैमरे से ही काम चला लिया।
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कौन-कौन सी बड़ी परीक्षाएं कराता है एनटीए?
परीक्षा | छात्रों की संख्या |
नीट-यूजी | करीब 24 लाख |
नीट-पीजी | करीब दो लाख |
जेईई मेन | करीब 12 लाख ( दो शिफ्ट में आयोजन-दोनों ही बार करीब 12 लाख छात्र) |
सीयूईटी-यूजी | करीब 13.50 लाख |
सीयूईटी-पीजी | करीब पांच लाख |
यूजीसी- नेट | करीब 11 लाख |
एनसीटीई एंट्रेंस टेस्ट | करीब 50 हजार |
सीटेट | 15 लाख छात्र |
कैट | करीब तीन लाख |