Nepal Janata Party: नेपाल में भी कमल खिलाने की तैयारी, अन्य दलों के लिए खतरा बन सकती है एनजेपी
Nepal Janata Party भारत में भाजपा की तर्ज पर पड़ोसी देश नेपाल में भी एक राजनीतिक दल तेजी से उभरने लगा है जो करीब तीन दशकों से स्थापित दलों के लिए भविष्य में खतरा बन सकता है। पार्टी का नाम है नेपाल जनता पार्टी (एनजेपी) और चुनाव चिह्न है भाजपा की तरह कमल। विचारधारा के स्तर पर भी भिन्नता नहीं है।
By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Wed, 16 Aug 2023 10:49 PM (IST)
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। भारत में भाजपा की तर्ज पर पड़ोसी देश नेपाल में भी एक राजनीतिक दल तेजी से उभरने लगा है, जो करीब तीन दशकों से स्थापित दलों के लिए भविष्य में खतरा बन सकता है। पार्टी का नाम है नेपाल जनता पार्टी (एनजेपी) और चुनाव चिह्न है भाजपा की तरह कमल। विचारधारा के स्तर पर भी भिन्नता नहीं है। दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद से ऊर्जा लेकर एनजेपी भी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के रास्ते पर चल निकली है। स्थानीय निकाय चुनाव में पहली बार 17 सीटें जीतकर एनजेपी ने सफलता की राह पर पहला कदम रखा है।
हिंदू आबादी पर एनजेपी की नजर
नई दिल्ली के दौरे पर आए एनजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष खेमनाथ आचार्य का दावा है कि 81 प्रतिशत से ज्यादा हिंदू आबादी वाले नेपाल के अगले आम चुनाव के लिए पार्टी की बड़ी तैयारी है। 275 सीटों वाली नेपाली संसद (प्रतिनिधि सभा) में आधे से अधिक सीटों पर फोकस करके काम किया जा रहा है। महीने भर पहले काठमांडू में पार्टी का केंद्रीय कार्यालय खोला गया है।
एनजेपी से जुड़े 40 हजार से अधिक लोग
वहीं, बिहार से सटे भैरवा में राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सदस्यता अभियान को तेज किया गया है और ढाई महीने में पार्टी ने 40 हजार से अधिक नए लोगों को जोड़ा गया है। खेमनाथ की पृष्ठभूमि आरएसएस से जुड़ी है। भारत में सक्रिय रह चुके हैं।लोगों में एनजेपी को लेकर जगी उम्मीद
कहते हैं कि अयोध्या में राममंदिर आंदोलन एवं भगवान राम की मूर्ति बनाने के लिए गंडकी नदी से पत्थर लाने के बाद से नेपाल में उनके प्रति आम जन का समर्थन बढ़ने लगा है। इसमें नेपाल की स्थानीय भाषाएं भी सहायक हो रही हैं। वहां सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा नेपाली है, जो हिंदी से मिलती-जुलती है। उसकी लिपि हिंदी वाली देवनागरी है। यहां के 44 प्रतिशत लोगों की भाषा नेपाली है।
दूसरे नंबर पर बिहार के एक बड़े भाग में प्रचलित भाषा मैथिली बोली जाती है, जिसे बोलने वाले 11.05 प्रतिशत लोग हैं। बिहार-यूपी की भाषा भोजपुरी का भी नेपाल में तीसरा स्थान है। इसे 6.24 प्रतिशत लोग बोलते हैं। उत्तर बिहार की जनजातीय थारू चौथे स्थान पर है। भाषाई अनुकूलता को देखते हुए एनजेपी ने भारत से सटे इलाकों में प्रारंभिक प्रयास बढ़ाया है।
हिंदू आबादी से मिल रहा हौसला
सितंबर 2015 में नेपाल की प्रतिनिधि सभा ने अपना नया संविधान बनाया था और हिंदू राष्ट्र के खत्म होने एवं धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनने की विधिवत घोषणा की थी, किंतु हिंदुओं की बड़ी संख्या को देखते हुए एनजेपी भविष्य की तलाश में जुटी है। वर्ष 2021 की जनगणना के अनुसार नेपाल की 81.19 प्रतिशत आबादी हिंदू है। बौद्ध दूसरे नंबर पर 8.2 प्रतिशत हैं। इस्लाम 5.09 प्रतिशत के साथ तीसरा बड़ा धर्म है।
पिछले एक दशक के दौरान नेपाल में हिंदुओं और बौद्धों की संख्या में कमी आई है, जबकि मुस्लिमों एवं ईसाइयों की संख्या बढ़ी है। एनजेपी को इसमें भी संभावना नजर आ रही है। खेमनाथ का तर्क है कि तुष्टीकरण की नीति एवं पहाड़ी एवं तराई क्षेत्रों के लोगों के बीच खाई बढ़ाकर वर्तमान सरकार देश के माहौल को बिगाड़ रही है। यही कारण है कि सबका जनाधार धीरे-धीरे खिसक रहा है।