Netaji's daughter on Independence Day: सुभाष चंद्र बोस की बेटी का छलका दर्द, बोलीं- नेताजी को वापस लाओ
Anita Bose Pfaff ने कहा कि नेता जी के जीवन में देश की आजादी से महत्वपूर्ण और कुछ भी नहीं था। वे स्वतंत्र भारत में रहने के अलावा कुछ और नहीं चाहते थे। अब समय है कि उनके अवशेषों को उनकी मातृभूमि मिल सके।
By Shivam YadavEdited By: Updated: Mon, 15 Aug 2022 01:30 PM (IST)
नई दिल्ली (एजेंसी)। भारत के 76वें स्वतंत्रता दिवस (76th Independence Day) के उपलक्ष्य में पूरा देश जश्न मना रहा है। वहीं नेता जी सुभाष चंद्र बोस (Subhas Chandra Bose) की बेटी अनीता बोस फाफ (Anita Bose Pfaff) ने नेता जी वापस देश लाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि भारत में औपनिवेशिक शासन को खत्म हुए 75 साल हो गए हैं, जिसके उपलक्ष्य में तीन भारतीय द्वीप आजादी का यह जश्न मनाते हैं, आजादी की लड़ाई में प्रमुख नायकों में से एक सुभाष चंद्र बोस आज तक अपनी मातृभूमि पर नहीं लौटे हैं।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, फाफ ने बताया कि सुभाष चंद्र बोस को उनके साथी सम्मानपूर्वक और प्यार से ‘नेता जी’ बुलाते थे, जिन्होंने देश की आजादी की लड़ाई देश के भीतर और विदेशों में रहकर लड़ी। इस संघर्ष के लिए उन्होंने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया, यहां तक कि मन की शांति, परिवार, भविष्य और अंत में अपने प्राणों की भी आहुति दे दी। उन्होंने आगे कहा कि उनके इस बलिदान के देश के समस्त नर-नारियों ने उनके प्रति सम्मान और प्रेम जताने के लिए स्मारक बनवाए और उनकी यादों को आज तक जीवित रखा।
नेता जी एक दिन जरूर लौटेंगे
अनिता बोस ने कहा कि भारत के लोग नेता जी के प्रति उनकी प्रशंसा और प्रेम से प्रेरित होकर न केवल उन्हें याद करते हैं बल्कि उन्हें उम्मीद है कि 18 अगस्त 1945 में हुए विमान हादसे में उनकी मृत्यु नहीं हुई है। अंतत: वे (नेता जी) एक दिन अपनी स्वतंत्र मातृभूमि पर लौटेंगे।बोस ने कहा, ‘लेकिन आज हमारे पास 1945 और 1946 से बेहतर पूछताछ करने के साधन हैं। वे दिखाते हैं कि नेता जी की विदेश में उस दिन मृत्यु हो गई थी। लेकिन जापान ने टोक्यो में रेनकोजी मंदिर में उनके (नेता जी) के अवशेषों को अस्थायी घर प्रदान किया गया है, जिनका संरक्षण तीन पीढ़ियों से पुजारी करते आ रहे हैं और जापानी लोग उनको सम्मान देते हैं। बहुत से भारतीयों और प्रधानमंत्रियों ने वहां जाकर नेता जी को श्रद्धांजलि भी अर्पित की है।’
'रेंकोजी मंदिर में रखे गए अवशेष नेता जी के हैं।'
उन्होंने कहा, ‘आधुनिक तकनीक में डीएनए टेस्ट (DNA Test) की सुविधा है। मंदिर में रखे अवशेषों से डीएनए निकाला जा सकता है। यह उन लोगों का संदेह मिटाएगा जो यह मानते हैं कि नेता जी की मौत 18 अगस्त 1945 में नहीं हुई थी। इससे वैज्ञानिक प्रमाण मिल जाएगा कि रेंकोजी मंदिर में रखे गए अवशेष नेता जी के हैं। नेता जी की मृत्यु के बारे में हुई आखिरी भारतीय सरकारी जांच (न्यायमूर्ति मुखर्जी जांच आयोग) में बताया गया है कि रेंकोजी मंदिर के पुजारियों और जापानी सरकार ने इस जांच की सहमति दी हुई है। ऐसे में नेता जी को घर लाना चाहिए।’नेता जी की बेटी ने कहा कि उनके जीवन में देश की आजादी से महत्वपूर्ण और कुछ भी नहीं था। वे स्वतंत्र भारत में रहने के अलावा कुछ और नहीं चाहते थे। हालांकि उन्होंने स्वतंत्रता के आनंद का अनुभव तो नहीं ले पाए, लेकिन अब समय है कि कम से कम उनके अवशेषों को उनकी मातृभूमि मिल सके।