New Criminal Laws: 'अब से सुप्रीम कोर्ट में तीन वर्ष के भीतर मिलेगा न्याय', गृह मंत्री अमित शाह ने तीन नए कानूनों को लेकर समझाया
देशभर में 1 जुलाई से लागू किए गए तीन नए कानूनों को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने प्रेस कांफ्रेंस की और समझाया कि आखिर नए कानूनों की जरूरत क्यों पड़ी। शाह ने कहा है कि आजादी के बाद सबसे अधिक विचार-विमर्श इन्हीं कानूनों को लेकर हुआ है। तीनों नए कानून मध्य रात्रि से काम कर रहे हैं। इंडियन पीनल कोड की जगह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) आ चुकी है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। तीनों नए आपराधिक कानूनों को पास कराने पर फैलाए जा रहे भ्रम को खारिज करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि आजादी के बाद सबसे अधिक विचार-विमर्श इन्हीं कानूनों को लेकर हुआ है। उन्होंने संसद में पर्याप्त चर्चा नहीं होने के विपक्ष के आरोपों का खारिज करते हुए बताया कि लोकसभा में 9.29 घंटे और राज्यसभा में 6.17 घंटे चर्चा के बाद इन्हें पास किया गया। इसके पहले चार वर्षों तक अलग-अलग स्टेकहोल्डर्स के साथ चर्चा की गई।
नए कानूनों पर सरकार कर रही विचार
सरकार अभी भी किसी नए सुझाव पर विचार करने को तैयार है। नए कानूनों में त्वरित ट्रायल के प्रविधान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि पूरी तरह लागू होने के बाद नए कानूनों के तहत तीन वर्ष में सुप्रीम कोर्ट तक से सजा सुनिश्चित की जा सकेगी। शाह के अनुसार, नए कानून के तहत पहला केस रात 12.10 बजे ग्वालियर के एक थाने में मोटर साइकिल चोरी का दर्ज किया गया।अमित शाह के अनुसार, तीनों कानूनों में से भारतीय न्याय संहिता और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता तो 30 जून और एक जुलाई की रात 12 बजे से लागू हो गई है।
वहीं, भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत जांच सुनिश्चित करने के लिए आधारभूत संरचना और प्रशिक्षित मानव संसाधन तैयार करने का काम पूरी गति से चल रहा है। नए कानून के तहत सात वर्ष से अधिक सजा के मामले में फोरेंसिक जांच अनिवार्य है। इसी तरह से ई-बयान और ई-पेशी का भी प्रविधान है। जैसे-जैसे आधारभूत संरचना का निर्माण होता जाएगा, थाने, जिले और राज्य को पूरी तरह से नए कानूनों पर चलने की घोषणा की जाती रहेगी।
तीन साल में देशभर में लागू होंगे कानून
उनके अनुसार, अगले तीन-चार वर्ष में देशभर में तीनों कानून पूरी तरह से लागू हो जाएंगे। इससे 90 प्रतिशत से अधिक मामलों में आरोपितों को सजा सुनिश्चित की जा सकेगी। हिंदी भाषा में कानूनी शब्दावलियों के प्रयोग पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन की आपत्ति के बारे में शाह ने कहा कि तीनों कानून संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी 24 भाषाओं में उपलब्ध होंगे। इसके बावजूद यदि किसी का कोई सुझाव है तो वह उस पर विचार को तैयार हैं।
नए कानूनों से क्या बदलेगा?
उन्होंने कहा कि पहली बार 140 करोड़ भारतीयों को दंड के बजाय न्याय आधारित आपराधिक न्यायिक प्रणाली मिल रही है। इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए और न ही भ्रम फैलाया जाना चाहिए। नए कानून में आरोपित के 60 दिन की पुलिस हिरासत के प्रविधान को गलत बताते हुए उन्होंने कहा कि इसमें आरोपित की 15 दिन की पुलिस हिरासत का ही प्रविधान है, जैसा पुराने कानून में था।
पुलिस 60 दिन के भीतर आरोपित की कभी भी 15 दिन के लिए रिमांड मांग कर सकती है। नए कानूनों को लागू करने के लिए 22.5 लाख पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग दी गई है और 23 हजार से अधिक मास्टर ट्रेनर तैयार किए गए हैं। इसी तरह 21 हजार से अधिक सब-आर्डिनेट ज्यूडिशियरी और 20 हजार लोक अभियोजकों को भी ट्रेनिंग दी गई है। फोरेंसिक में भी 4,000 से अधिक विशेषज्ञों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है।