'डार्क मैटर' और बीएयू के रहस्यों को सुलझाने के लिए पेश किया नया मॉडल, ब्रह्मांड को जानने में मिलेगी मदद
ब्रह्मांड विज्ञान के क्षेत्र में डार्क मैटर और ब्रह्मांड की बेरियोन एसिमेट्री (बीएयू) के रहस्यों को सुलझाने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआइटी-गुवाहाटी) के अनुसंधानकर्ताओं ने अंतरराष्ट्रीय विज्ञानियों के साथ मिलकर नया मॉडल पेश किया है। इसे फिजिकल रिव्यू डी में प्रकाशित किया गया है। विज्ञानियों के अनुसार ब्रह्मांड का केवल पांच प्रतिशत हिस्सा तारे और आकाशगंगा जैसे दिखने वाले या बेरियोनिक मैटर से बने हैं।
पीटीआई, नई दिल्ली। ब्रह्मांड विज्ञान के क्षेत्र में 'डार्क मैटर' और ब्रह्मांड की बेरियोन एसिमेट्री (बीएयू) के रहस्यों को सुलझाने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआइटी-गुवाहाटी) के अनुसंधानकर्ताओं ने अंतरराष्ट्रीय विज्ञानियों के साथ मिलकर नया मॉडल पेश किया है। इसे 'फिजिकल रिव्यू डी' में प्रकाशित किया गया है।
विज्ञानियों के अनुसार ब्रह्मांड का केवल पांच प्रतिशत हिस्सा तारे और आकाशगंगा जैसे दिखने वाले या बेरियोनिक 'मैटर' से बने हैं। इस दृश्य 'मैटर' का लगभग पांच गुना 'डार्क मैटर' से बना है। 'डार्क मैटर' ऐसा पदार्थ होता है जो प्रकाश उत्सर्जित नहीं करता है। वहीं दृश्य मैटर बेरियोन (मैटर) और एंटीबेरियोन (एंटीमैटर) के बने होते हैं।
पहेली को सुलझाना बड़ी चुनौती
अनुसंधान का नेतृत्व करने वाले और आईआइटी, गुवाहाटी में भौतिकशास्त्र विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर देबाशीष बोरा ने बताया, शुरुआत में ब्रह्मांड में मैटर और एंटीमैटर के समान मात्रा में होने की उम्मीद की जाती थी। लेकिन आज हम अधिशेष मैटर देखते हैं। यह रहस्य है, जिसे ब्रह्मांड के बेरियोन एसिमेट्री (बीएयू) के रूप में जाना जाता है। इस पहेली को सुलझाना बड़ी चुनौती है।मॉडल का उपयोग करके हल नहीं किया जा सकता
अनुसंधान का नेतृत्व करने वाले बोरा ने बताया कि डार्क मैटर का रहस्य और बीएयू की पहेली को भौतिकी के मानक मॉडल का उपयोग करके हल नहीं किया जा सकता है। इसलिए अन्य मॉडलों पर विचार करना होगा।
तापमान के कारण डार्क मैटर ऑर्डिनरी मैटर में बदल जाता
उन्होंने कहा, हमारे मॉडल के अनुसार प्रारंभिक ब्रह्मांड में, तापमान के प्रभाव के कारण डार्क मैटर ऑर्डिनरी मैटर में बदल जाता है, जिससे मैटर और एंटीमैटर के बीच असंतुलन पैदा होता है। हम अद्वितीय प्रकार के डार्क मैटर का प्रस्ताव करते हैं। इसके अनुसार प्रारंभिक ब्रह्मांड में ऊर्जावान रूप से व्यवहार्य क्षय के कारण, डार्क मैटर आंशिक रूप से क्षय के कारण साधारण मैटर बनकर बीएयू बनाता है। जैसे ही ब्रह्मांड ठंडा होता है, डार्क मैटर स्थिर हो जाता है, जिससे आज डार्क मैटर के अवशेष के रूप देखा जाता है।