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ममता की प्रतिमूर्ति अब 'संत मदर टेरेसा', भारत से संत बनने वाली पहली महिला

मुंबई के डिवाइन चाइल्ड हाई स्कूल में रविवार को आयोजित समारोह में केंद्रीय संचार राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने यह डाक टिकट जारी किया।

By Atul GuptaEdited By: Updated: Sun, 04 Sep 2016 07:18 PM (IST)
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वेटिकन सिटी/नई दिल्ली(एजेंसी)। ममता की प्रतिमूर्ति भारत की मदर टेरेसा अब 'सेंट मदर टेरेसा' कहलाएंगी। इटली में वेटिकन सिटी के सेंट पीटर्स स्क्वेयर पर रविवार को हुए ऐतिहासिक समारोह में एक लाख लोगों की मौजूदगी में ईसाई समुदाय के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसीस ने उन्हें संत घोषित किया। वह भारत की चौथी लेकिन पहली महिला हैं, जिन्हें ईश्वरीय दूत माना गया है।
जीते-जी ही बन गई थीं मसीहा
मदर टेरेसा वंचितों की सेवा के लिए 'संत ऑफ गटर्स' के नाम से प्रसिद्ध हैं। अल्बानिया से आकर भारत में रची--बसीं मदर टेरेसा ने कोलकाता में मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना कर करीब चार दशकों तक समाज के सबसे निचले तबके के लोगों की सेवा की। जीते-जी मसीहा बनीं मदर को वर्ष 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। सेंट पीटर्स बैसीलिका के सामने दया की इस प्रतिमूर्ति के सम्मान में आयोजित प्रार्थना सभा में ब़़डी संख्या में लोग शामिल हुए। यहां पर मदर टेरेसा की पहचान बनी नीले बॉर्डर वाली साड़ी में उनकी तस्वीर लगी थी।
ममता ने निकाली प्रभातफेरी
समारोह में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मदर जैसी सफेद रंग की नीली बॉर्डर वाली साड़ी पहन कर पहुंचीं। वह इटली की राजधानी रोम से सेंट पीटर्स बैसीलिका तक 6 किमी प्रभातफेरी के रूप में पैदल चलकर आई। उनके साथ तृणमूल सांसद सुदीप बंदोपाध्याय व डेरिक ओ'ब्रॉयन भी थे। वह गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर के गीत 'अगुणेर पोराशमोनी', 'विश्वपिता तुम्ही हे प्रभु' गुनगुनाते हुए चल रही थीं। समारोह में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत 15 देशों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया। समारोह में पूरे इटली से करीब 1,500 बेघर लोगों को बस से रोम लाया गया और सिस्टर्स ऑफ चैरिटी की 250 ननों और पादरियों ने इन्हें पिज्जा भोज परोसा।
सेवा व चमत्कार से बनीं संत
ईसाई समुदाय की कैथोलिक परंपरा में माना जाता है कि ईश्वर कुछ पवित्र आत्माओं को धरती पर सेवा और चमत्कार के लिए भेजता है। उनके इन कार्यो को जब वेटिकन की मान्यता मिल जाती है तब संत घोषित किया जाता है। संत घोषित व्यक्ति ईश्वर का दूत मान लिया जाता है। मदर टेरेसा के दो चमत्कार माने जाते हैं। एक यह कि 1998 में बंगाल की एक महिला मोनिका बेसरा का पेट का कैंसर ठीक किया था। दूसरा 2008 में ब्राजील के एक व्यक्ति के ब्रेन ट्यूमर ठीक करने से जुड़ा है।
जानिए, कुछ खास बातें
- 10,000 से अधिक संत हैं कैथोलिक चर्च के
- 29 लोगों को पोप फ्रांसिस ने घोषिषत किया संत
- 1234 में संत बनाने की प्रक्रिया को पोप ग्रेगोरी नौवें ने अंतिम रूप दिया था
- 1588 से प्रक्रिया में आंशिक परिवर्तन किया गया। तब से लगातार जारी है
संत यानी क्या
संत यानी सीधे ईश्वर का हिस्सा। यानी व्यक्ति ने पूरा जीवन इतने पवित्र तरीके से जीया कि अब वह स्वर्ग में स्थान पा गया है। अब वह ईश्वर के साथ मध्यस्थता कर चमत्कार करता है। उस व्यक्ति के आदर्श और बातें सीधे ईश्वर की बातें मानी जाती हैं। संत घोषित होने पर अब मदर टेरेसा को औपचारिक रूप से कैथोलिक धर्मसिद्धांतों में स्थान मिल जाएगा।

गौरव का क्षण : मोदी
जी-20 शिखर बैठक में भाग लेने चीन गए प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा-मदर टेरेसा को संत घोषित करना यादगार व गौरव का क्षण है।

कोपजी में जन्मी, भारत को बनाया सेवाभूमि
मदर का जन्म 26 अगस्त 1910 को तब ऑटोमन साम्राज्य का हिस्सा रहे कोपजी में हुआ था। अब यह मेसाडोनिया की राजधानी है। उनके माता--पिता अल्बानिया मूल के थे। 1929 में वह एक सिस्टर के रूप में भारत आई थीं। 1950 में उन्होंने कोलकाता में मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की। पूरा जीवन उन्होंने सेवा में गुजारने के बाद 5 सितंबर 1997 को दुनिया से कूच किया था।

सेवा से मिली ईश्वरीय शक्ति
'मदर टेरेसा ने वंचितों की सेवा करके चर्च की परंपरा को आगे बढ़ाया। सेवा कार्य से उन्हें को ईश्वरीय शक्ति प्राप्त हुई। इसका उन्होंने लोगों की भलाई में उपयोग किया।
--पोप फ्रांसीस, सर्वोच्च ईसाई धर्मगुर

सरकार ने मदर टेरेसा के नाम से जारी किया डाक टिकट

मदर टेरेसा के नाम पर केंद्र सरकार ने डाक टिकट जारी किया है। इंडिया पोस्ट ने यह कदम उन्हें संत की उपाधि दिए जाने के मौके को यादगार बनाने के मकसद से उठाया है।

मुंबई के डिवाइन चाइल्ड हाई स्कूल में रविवार को आयोजित समारोह में केंद्रीय संचार राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने यह डाक टिकट जारी किया।

इस मौके पर कोलकाता स्थित मिशनरीज ऑफ चैरिटी के प्रतिनिधि के के रूप में बिशप एग्नेलो ग्रेसियास और सिस्टर रुबेला की उपस्थिति उल्लेखनीय थी। मदर टेरेसा को वेटिकन सिटी में आयोजित समारोह में कैथोलिक ईसाइयों के सबसे बड़े धर्म गुरु पोप फ्रांसिस ने संत घोषित किया।

पढ़ें- मदर टेरेसा बनीं 'संत टेरेसा', वेटिकन सिटी में पोप ने दी उपाधि