भीषण गर्मी से छूटेंगे सभी के पसीने, असहनीय होगी सूर्य की तपिश! आने वाले 5 सालों में टूटेंगे रिकॉर्ड
डब्ल्यूएमओ के महासचिव पेट्टरी टलास ने बताया कि इस रिपोर्ट का यह मतलब नहीं है कि हम स्थाई रूप से 1.5 डिग्री सेल्सियस के वैश्विक तापमान की बढ़त ले लेंगे जबकि पेरिस समझौते में बताए गए वैश्विक तापमान का अर्थ है कि यह बढ़ोतरी स्थाई होगी।
By Anurag GuptaEdited By: Anurag GuptaUpdated: Thu, 18 May 2023 06:59 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। जलवायु परिवर्तन की वजह से मौसम का लगातार बदलना एक प्रमुख समस्या के तौर पर उभर रहा है और भारत समेत समूचा विश्व इस समय सूर्य की तपिश से परेशान है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि आने वाले पांच सालों में मौसम सबसे ज्यादा गर्म रहने वाला है। संयुक्त राष्ट्र (UN) के विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने बुधवार को एक रिपोर्ट साझा की है, जिसमें मौसम की तपिश के बारे में जानकारी दी गई है।
यूएन के मुताबिक, अल-नीनो और ग्रीन हाउस गैसों के संयुक्त प्रभाव के कारण तापमान में वृद्धि होगी। साल 2027 तक वैश्विक तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस तक वृद्धि होने की संभावना है। यह आंकड़ा अपने आप में महत्वपूर्ण है, क्योंकि वैश्विक तापमान जल्द ही पेरिस समझौते में निर्धारित किए गए लक्ष्य को पार कर सकता है।साल 2015 के पेरिस समझौते में सभी देशों ने ग्लोबल वार्मिंग में मापे गए औसत स्तर को 1.5 डिग्री सेल्सियस निर्धारित किया। साथ ही देशों ने यदि संभव हो तो लंबे समय तक वार्मिंग को रोकने की कोशिश करने का वादा किया है, लेकिन मौजूदा आंकड़े इससे इतर नजर आ रहे हैं और जल्द ही निर्धारित लक्ष्य के पार होने की संभावना है। साल 2022 में वैश्विक औसत तापमान 1850-1900 के औसत से 1.15 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
रिकॉर्ड स्तर पर पड़ेगी गर्मी
अबतक के सबसे गर्म आठ साल 2015 से 2022 के बीच दर्ज किए गए थे, लेकिन जलवायु परिवर्तन में तेजी आने के बाद तापमान में और अधिक वृद्धि की संभावना है। रिपोर्ट के मुताबिक, 98 फीसदी संभावना है कि अगले पांच सालों में रिकॉर्ड स्तर पर मौसम के गर्म होने की संभावना है। साथ ही अगले आने वाले पांच सालों में कम से कम एक साल ऐसा होगा जब गर्मी रिकॉर्ड स्तर पर पड़ेगी।
डब्ल्यूएमओ के महासचिव पेट्टरी टलास ने एक बयान में कहा कि इस रिपोर्ट का यह मतलब नहीं है कि हम स्थाई रूप से 1.5 डिग्री सेल्सियस के वैश्विक तापमान की बढ़त ले लेंगे, जबकि पेरिस समझौते में बताए गए वैश्विक तापमान का अर्थ है कि यह बढ़ोतरी स्थाई होगी और लगातार बहुत सालों तक रहेगी। हालांकि, डब्ल्यूएमओ ने अपनी रिपोर्ट में खतरे की घंटी बजा दी है। इससे 1.5 डिग्री सेल्सियस अस्थाई रूप तक पहुंचेगा, लेकिन आने वाले समय में यह तेजी से बढ़ता जाएगा।
इन पर पड़ सकती है मौसम की मार
- वैश्विक तापमान यदि 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ने पर बहुत सारे दुष्प्रभाव देखने को मिलेंगे। लगातार लू की मार झेलनी पड़ेगी।
- जंगलों में आग लगने की आशंका बनी रहेगी।
- मौसम की सीधी मार किसानों पड़ेगी और फसलों को नुकसान हो सकता है। साथ ही पैदावार कम होने की संभावना बनी रहेगी।
- तापमान बढ़ने की वजह से झिंगुरों का भी खतरा बढ़ जाता है। झिंगुरों का झुंड जिस रास्ते से होकर गुजरता है वहां के पेड़ पौधों को वह खोखला कर देता है। साधारण शब्दों में कहें तो हरियाली को तबाह कर देते हैं।
- मौसम का असर इंसानों पर भी दिखाई देगा। दरअसल, हीटबेव की वजह से बीमारियां का खतरा भी बना रहता है।
क्या है अल नीनो?
El Nino एक मौसमी घटना है। प्रशांत महासागर में असामान्य रूप से गर्म पानी की मौजूदगी की वजह से जलवायु प्रभावित होता है। तापमान गर्म हो जाता है। अल नीनो की वजह से पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में रहने वाला गर्म सतह वाला पानी भूमध्य रेखा के साथ पूर्व की ओर बढ़ने लगता है। इसकी वजह से भारत में भी मौसम पर असर पड़ता है। ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का असर तेजी से बढ़ता जा रहा है। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 10 सबसे गर्म सालों में 2010 सबसे निचले पायदान पर है।- 2016
- 2020
- 2019
- 2017
- 2015
- 2022 (2015 के समान रहा)
- 2018
- 2021 (2018 के समान रहा)
- 2014
- 2010