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अगले सत्र से सभी मेडिकल कॉलेजों में MBBS में प्रवेश के लिए होगी एक परीक्षा

सभी राज्यों से आयोग के लिए स्वास्थ्य विश्वविद्यालयों के उपकुलपति और राज्य मेडिकल कौंसिल के सदस्यों के नाम भेजने को कहा गया है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Updated: Fri, 04 Oct 2019 10:11 PM (IST)
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अगले सत्र से सभी मेडिकल कॉलेजों में MBBS में प्रवेश के लिए होगी एक परीक्षा
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अगले शैक्षिक सत्र में देश के सभी मेडिकल कॉलेजों में MBBS में प्रवेश के लिए एक ही परीक्षा होगी। एम्स, पीजीआइ, चंडीगढ़ और जिपमेर, पुद्दुचेरी में नामांकन के लिए अलग से कोई परीक्षा नहीं होगी। सभी मेडिकल कॉलेजों में नामांकन केवल एक NEET परीक्षा के माध्यम से होगी।

स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के अनुसार मानसून सत्र में पारित राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग का गठन तय समय से पहले करने की कोशिश की जा रही है और अगले सत्र यानी 2020-21 से वह देश में मेडिकल शिक्षा की निगरानी और नियमन की बागडोर संभाल लेगा। पहले माना जा रहा था कि इस प्रक्रिया को लागू होने में शायद वक्त लगेगा।

दरअसल सभी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए एक ही परीक्षा का प्रावधान राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग कानून में ही था, लेकिन यह स्पष्ट नहीं था कि इसे कब से लागू किया जाएगा। हर्षवर्धन ने साफ कर दिया कि अगले शैक्षिक सत्र से ही यह प्रावधान लागू कर दिया जाएगा।

पारदर्शी तरीके से निकाली जाएगी लॉटरी

जाहिर है उसके पहले राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग का गठन भी हो जाएगा। सभी राज्यों से आयोग के लिए स्वास्थ्य विश्वविद्यालयों के उपकुलपति और राज्य मेडिकल कौंसिल के सदस्यों के नाम भेजने को कहा गया है। अभी तक 23 कुलपति और 22 राज्य मेडिकल कौंसिल के सदस्य के नामांकन आ चुके हैं। इनमें से राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग के लिए नौ उपकुलपतियों व 10 राज्य मेडिकल कौंसिल के सदस्यों का चयन लॉटरी से किया जाएगा। हर्षव‌र्द्धन ने कहा कि 14 अक्टूबर को मीडिया के सामने पूरे पारदर्शी तरीके से लॉटरी निकाली जाएगी।

18 अक्टूबर तक आवेदन की अंतिम तारीख

हर्षवर्धन ने कहा कि इसके साथ ही राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग के अध्यक्ष, चार स्वायत्त बोर्डो के सदस्य और सचिव के चयन की प्रक्रिया भी चल रही है। इसके लिए 18 अक्टूबर तक आवेदन की अंतिम तारीख रखी गई है। 18 अक्टूबर के बाद कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली चयन समिति विभिन्न पदों के लिए योग्य व्यक्तियों चयन करेंगे। हर्षवर्धन ने उम्मीद जताई कि कानून में राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग के गठन के लिए नौ महीने का समय दिया गया था, लेकिन इसका गठन तय समय से काफी पहले कर लिया जाएगा।

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