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मानवाधिकार आयोग ने विधवाओं के कल्याण के लिए जारी की एडवाइजरी, सरकारी आश्रय गृहों का बनेगा डेटाबेस

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने विधवाओं के कल्याण और उनके मानवाधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ी पहल की है। आयोग ने कहा कि उसे एडवाइजरी जारी करने की जरूरत महसूस हुई क्योंकि उसने देखा कि विधवाओं को जीवनसाथी खोने सामाजिक बहिष्कार आर्थिक समस्या और यहां तक कि आवास की समस्या के कारण भावनात्मक संकट जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

By Agency Edited By: Jeet Kumar Updated: Thu, 13 Jun 2024 06:00 AM (IST)
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मानवाधिकार आयोग ने विधवाओं के कल्याण के लिए जारी की एडवाइजरी
पीटीआई, नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने विधवाओं के कल्याण और उनके मानवाधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ी पहल की है। आयोग सभी सरकार संचालित आश्रय गृहों का एक केंद्रीकृत डेटाबेस बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। इसके लिए केंद्र, राज्य सरकार और केंद्रशासित प्रदेश को एक एडवाइजरी जारी की गई है।

विधवाएं पुनर्विवाह को लेकर कही ये बात

आयोग ने कहा कि जो विधवाएं पुनर्विवाह करने या जीवनसाथी तलाशने की इच्छा रखती हैं, उन्हें उचित एजेंसियों या गैर सरकारी संगठनों से जोड़ा जाना चाहिए। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने यह सुनिश्चित करने की सलाह दी है कि विधवाओं के लिए कल्याणकारी योजनाओं का लाभ एकल-खिड़की प्रणाली के माध्यम से उन तक पहुंचे।

परामर्श में दस प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इसमें आश्रय घरों का विकास और रखरखाव, संपत्ति तक समान पहुंच, शोषण से सुरक्षा, कौशल विकास, बैंकिंग और वित्तीय स्वतंत्रता और स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करना शामिल है।

आयोग ने कहा है कि कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट को भोजन, आश्रय, सम्मान और संपत्ति की सुरक्षा के संबंध में विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।

विधवाओं को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है

आयोग ने कहा कि उसे एडवाइजरी जारी करने की जरूरत महसूस हुई, क्योंकि उसने देखा कि विधवाओं को जीवनसाथी खोने, सामाजिक बहिष्कार, आर्थिक समस्या और यहां तक कि आवास की समस्या के कारण भावनात्मक संकट जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

इसने अधिकारियों को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (डब्ल्यूसीडी) और सभी संबंधित राज्य विभागों की वेबसाइटों पर विधवाओं के लिए सभी सरकारी संचालित गृहों का एक केंद्रीकृत डेटाबेस बनाने की सिफारिश की। इसमें कहा गया है कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय इन घरों में स्वास्थ्य, मनोरंजन और कौशल विकास सुविधाओं सहित उनकी रहने की स्थिति की निगरानी के लिए त्रैमासिक दौरा करने के लिए जिला स्तर पर एक टीम तैनात कर सकता है।

सभी विधवाओं के आधार कार्ड बनाए जाने चाहिए

एडवाइजरी में कहा गया है कि कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट या उपायुक्त को भोजन, आश्रय, सम्मान और संपत्ति की सुरक्षा के संबंध में विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए जवाबदेह बनाया जाना चाहिए। इसमें कहा गया है कि सभी विधवाओं के आधार कार्ड बनाए जाने चाहिए और उन्हें उचित पहचान पत्र उपलब्ध कराए जाने चाहिए, ताकि वे सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ उठा सकें।