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Tamil Nadu: छात्राओं का यौन शोषण कराने वाली निर्मला देवी को दस साल की जेल, तमिलनाडु के विश्वविद्यालय में चलता था रैकेट

विशेष सरकारी वकील एम.चंद्रशेखरन ने मंगलवार को बताया कि यौन शोषण के मामले में मदुरई कामराज यूनिवर्सिटी के पूर्व रीसर्च स्कालर एस करुप्पासामी और बर्खास्त प्रवक्ता वी.मुरुगन को बरी किए जाने के खिलाफ सरकार अपील करेगी। उन्होंने बताया कि निर्मला देवी को मानव तस्करी के आरोप में आइपीसी की धारा 370 के तहत सात साल सश्रम कारावास और पांच हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Wed, 01 May 2024 06:00 AM (IST)
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छात्राओं का यौन शोषण कराने वाली निर्मला देवी को दस साल की जेल
पीटीआई, विरुद्धनगर। तमिलनाडु के श्रीविल्लीपुथुर की एक फास्ट ट्रैक महिला अदालत ने एक कालेज की छात्राओं पर यौन शोषण का दबाव डालकर उनका उत्पीड़न करवाने के लिए एक निलंबित महिला सहायक प्रोफेसर निर्मला देवी को दस साल कैद की सजा सुनाई है। निर्मला देवी पर एक विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए इन लड़कियों को उपलब्ध कराने का आरोप है। अदालत ने निर्मला देवी पर 2.42 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

सश्रम कारावास और पांच हजार रुपये के जुर्माने की सजा

विशेष सरकारी वकील एम.चंद्रशेखरन ने मंगलवार को बताया कि यौन शोषण के मामले में मदुरई कामराज यूनिवर्सिटी के पूर्व रीसर्च स्कालर एस करुप्पासामी और बर्खास्त प्रवक्ता वी.मुरुगन को बरी किए जाने के खिलाफ सरकार अपील करेगी। उन्होंने बताया कि निर्मला देवी को मानव तस्करी के आरोप में आइपीसी की धारा 370 के तहत सात साल सश्रम कारावास और पांच हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई।

इसी तरह सूचना तकनीक अधिनियम, अनैतिक तस्करी समेत आइपीसी की कई अन्य धाराओं में दस साल सश्रम कारावास और 25 हजार जुर्माना, पांच साल सश्रम कारावास व दो हजार जुर्माना, दस साल सश्रम कारावास और दस हजार जुर्माना, तीन साल सश्रम कारावास और 2 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।

यह सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी

यह सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। इसमें उसके जेल के मौजूदा समय को भी शामिल किया जाएगा। बताया जाता है कि निर्मला देवी अरुपुकोट्टाई आर्ट कालेज में सहायक प्रोफेसर थी और कालेज की लड़कियों पर दबाव डालकर मदुरई कामराज यूनिवर्सिटी के अधिकारियों के पास यौन शोषण के लिए ले जाती थी। इसके बदले में लड़कियों को मा‌र्क्स और वित्तीय सहायता दी जाती थी। इस रैकेट का पता तब चला जब इस संबंध में एक आडियो क्लिप इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो गई।