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'अपने वित्त मंत्री से क्यों नहीं पूछते', हेल्थ इंश्योरेंस पर जीएसटी मामले में निर्मला सीतारमण का विपक्ष पर पलटवार

GST on Health Insurance हेल्थ इंश्योरेंस में जीएसटी लगाने के मामले में जारी हंगामे के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को लोकसभा में सरकार का पक्ष रखा। इस दौरान उन्होंने विपक्ष पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि वे मामले पर राजनीतिक रोटी सेंक रहे हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष को अपने-अपने राज्यों के वित्त मंत्री के पास प्रदर्शन करना चाहिए।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Wed, 07 Aug 2024 09:46 PM (IST)
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मंगलवार को विपक्षी दलों के कई सदस्यों ने इसके विरोध में सदन में प्रदर्शन किया था। (File Image)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हेल्थ व लाइफ इंश्योरेंस पर लगने वाले 18 प्रतिशत जीएसटी हटाने को लेकर जारी हंगामे पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इस मांग को लेकर उन्हें अपने-अपने राज्यों के वित्त मंत्री के पास प्रदर्शन करना चाहिए।

वित्त मंत्री ने कहा कि विपक्ष को अपने राज्य के वित्त मंत्री से पूछना चाहिए कि वे जीएसटी काउंसिल की बैठक में हेल्थ व लाइफ इंश्योरेंस पर लगने वाले जीएसटी को हटाने का मुद्दा क्यों नहीं उठाते हैं, क्योंकि हेल्थ इंश्योरेंस पर जो 18 प्रतिशत जीएसटी वसूला जाता है, उनमें से 50 प्रतिशत राजस्व सीधे तौर पर राज्यों को चला जाता है और केंद्र के 50 प्रतिशत राजस्व में से भी 41 प्रतिशत राज्यों के बीच वितरित हो जाता है।

विपक्षी दलों ने किया था विरोध

उन्होंने कहा कि यानी बड़ा हिस्सा तो राज्यों को ही जाता है, जिसमें कई राज्य गैर भाजपा शासित हैं। गौरतलब है कि मंगलवार को विपक्षी दलों के कई सदस्यों ने इसके विरोध में सदन में प्रदर्शन किया था। बुधवार को लोक सभा में वित्त विधेयक पर अपने जवाब के दौरान सीतारमण ने कहा कि जीएसटी प्रणाली के लागू होने से पहले भी हेल्थ व लाइफ इंश्योरेंस की खरीदारी पर टैक्स लगता था, लेकिन तब किसी सांसद ने अपने राज्य के वित्त मंत्री को इसे हटाने के लिए चिट्ठी नहीं लिखी और अब ये संसद में इस मुद्दे पर राजनीतिक रोटी सेंक रहे हैं, संसद में नाटक एवं प्रदर्शन कर रहे हैं, जो ठीक नहीं है।

उन्होंने कहा कि यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि हमारे एक मंत्री ने हेल्थ इंश्योरेंस पर जीएसटी हटाने की मांग को लेकर पत्र लिखा और वह सार्वजनिक हो गया और विपक्ष इसे लेकर यह धारणा बनाने में जुटा है कि सरकार के बीच आपस में ही मतभेद है।

काउंसिल में दो तिहाई हिस्सेदारी राज्यों की: वित्त मंत्री

वित्त मंत्री ने सदन को बताया कि जीएसटी काउंसिल में दो तिहाई राज्यों की तो एक तिहाई केंद्र की हिस्सेदारी है, फिर राज्य इस मसले को गंभीरता से क्यों नहीं उठाते हैं। काउंसिल की बैठक में सभी राज्यों के वित्त मंत्री बैठते हैं। हालांकि उन्होंने बताया कि जीएसटी काउंसिल की 31वीं, 37वीं व 47वीं बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी और वे काउंसिल के समक्ष इस मुद्दे को जरूर रखेंगी।

पेट्रोल-डीजल के दाम घटाने की मांग पर भी विपक्ष कठघरे में

वित्त मंत्री सीतारमण ने पेट्रोल व डीजल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में केंद्र की तरफ से कटौती की विपक्ष की मांग पर उन्हें खूब सुनाया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2021 के नवंबर में और फिर वर्ष 2022 के जून और उसके बाद इस साल मार्च में उत्पाद शुल्क में कटौती की, लेकिन दूसरी तरफ कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों की सरकार ने राज्यों में पेट्रोल व डीजल पर लगने वाले वैट को बढ़ा दिया।

उन्होंने कहा कि हिमाचल व कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के साथ पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार ने अपने-अपने राज्यों में वैट बढ़ा दिया। तमिलनाडु की सरकार ने भी चुनाव में वैट में कटौती का वादा किया था, लेकिन डीजल पर वैट में कोई कटौती नहीं की गई।