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ममता बनर्जी ने किया माइक बंद करने का दावा, अब निर्मला सीतारमण बोलीं- झूठ... सब ने उनकी बात सुनी

ममता बनर्जी के माइक बंद करने के दावे पर अब केंद्र सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को पर्याप्त समय दिया गया था। सबने उनकी बात भी सुनी है। माइक बंद करने का उनका दावा झूठ है। बता दें कि विपक्ष के कई मुख्यमंत्रियों ने नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार किया है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Sat, 27 Jul 2024 04:59 PM (IST)
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बंगाल सीएम ममता बनर्जी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण। (फाइल फोटो)

एएनआई, नई दिल्ली। नीति आयोग की बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के माइक को बंद करने का मामला गर्माता जा रहा है। अब इस मामले में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि सभी मुख्यमंत्रियों को पर्याप्त समय दिया गया। ममता बनर्जी का दावा पूरी तरह से झूठा है।

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सभी ने उनकी बात सुनी: निर्मला सीतारमण

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ममता बनर्जी का यह दावा पूरी तरह से झूठ है कि उनका माइक्रोफोन बंद कर दिया गया था। बैठक में प्रत्येक मुख्यमंत्री को बोलने के लिए उचित समय दिया गया था। सीएम ममता बनर्जी नीति आयोग की बैठक में शामिल हुईं। हम सभी ने उनकी बात सुनी। प्रत्येक सीएम को आवंटित समय दिया गया था। हर टेबल के सामने लगी स्क्रीन पर भी यह दिख रहा था। उन्होंने (ममता) मीडिया में कहा कि उनका माइक बंद कर दिया गया था। यह पूरी तरह से झूठ है।

झूठ की कहानी नहीं गढ़नी चाहिए

केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, "सभी को पर्याप्त समय दिया गया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया है कि उनका माइक बंद कर दिया गया था, जो सच नहीं है...उन्हें झूठ पर आधारित कहानी गढ़ने के बजाय इसके पीछे की सच्चाई को बताना चाहिए।"

पीआईबी ने भी किया फैक्ट चेक

प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "यह दावा किया जा रहा है कि नीति आयोग की 9वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री का माइक्रोफोन बंद कर दिया गया था। यह दावा भ्रामक है। घड़ी केवल यह दिखा रही थी कि उनका बोलने का समय समाप्त हो गया है। यहां तक ​​कि घंटी भी नहीं बजाई गई।

पीआईबी के मुताबिक अगर वर्णानुक्रम से देखें तो ममता बनर्जी की बोलने की बारी दोपहर के भोजन के बाद ही आती, लेकिन उनके आधिकारिक अनुरोध पर उन्हें सातवें वक्ता के रूप में बोलने दिया गया। दरअसल, उन्हें जल्दी लौटना था।

पांच मिनट से अधिक बोलने नहीं दिया गया: ममता

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नीति आयोग की बैठक में राजनीतिक भेदभाव का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि नीति आयोग की बैठक में उन्हें पांच मिनट से अधिक बोलने की अनुमति नहीं दी गई। अन्य मुख्यमंत्रियों को ज्यादा समय दिया गया।

नीति आयोग की बैठक से बाहर निकलने के बाद बनर्जी ने कहा, "मैंने कहा कि आपको (केंद्र सरकार को) राज्य सरकारों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। मैं बोलना चाहती थी, लेकिन मेरा माइक बंद कर दिया गया। मुझे केवल पांच मिनट बोलने की अनुमति दी गई। मुझसे पहले लोगों ने 10-20 मिनट तक बात की।

बैठक का बहिष्कार करके आई हूं

बनर्जी ने कहा, "मैं विपक्ष की एकमात्र सदस्य थी जो बैठक में भाग ले रही थी, लेकिन फिर भी मुझे बोलने की अनुमति नहीं दी गई। यह अपमानजनक है। मैं नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करके आई हूं। चंद्रबाबू नायडू को बोलने के लिए 20 मिनट दिए गए, असम, गोवा, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों ने 10-12 मिनट तक बात की। मुझे केवल पांच मिनट बाद ही रोक दिया गया। यह अनुचित है।"

कई राज्यों के सीएम ने किया बहिष्कार

ममता बनर्जी ने कहा कि नीति आयोग के पास कोई वित्तीय अधिकार नहीं है, यह कैसे काम करेगा? इसे वित्तीय अधिकार दें या योजना आयोग को वापस लाएं। तमिलनाडु, केरल, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, दिल्ली और पंजाब समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार किया।

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