देश का सबसे पिछड़ा जिला है हरियाणा का मेवात, नीति आयोग ने जारी की सूची
नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने देश के 101 सर्वाधिक पिछड़े जिलों की सूची जारी की है।
हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी से महज चंद मील दूर बसा हरियाणा का मेवात देश का सबसे पिछड़ा जिला है। विकास के दावों की हकीकत बयां करने वाला यह खुलासा किसी गैर सरकारी संस्था ने नहीं बल्कि खुद सरकार के शीर्ष थिंक टैंक नीति आयोग ने किया है। नीति आयोग ने शिक्षा, स्वास्थ्य व पोषण जैसे पांच क्षेत्रों के विकास के 49 मानकों पर देश के 101 पिछड़े जिलों की रैंकिंग की है जिसमें यह तथ्य सामने आया है।
खास बात यह है कि देश के सर्वाधिक पिछड़े 10 जिलों में से चार अकेले उत्तर प्रदेश से हैं। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने यह रैंकिंग जारी करते हुए कहा कि सरकार ने पिछड़े जिलों का कायापलट करने के लिए 101 जिलों की पहचान की है। हालांकि इन जिलों को पिछड़ा जिला न कहकर सरकार ने इन्हें 'आस्पिरेशनल डिस्टि्रक्ट' नाम दिया है। इन जिलों में केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए प्रभारी संयुक्त सचिव और अतिरिक्त सचिव स्तर के अधिकारी भी नियुक्त किए हैं। इन जिलों में प्रगति का जायजा लेने के लिए ही नीति आयोग ने यह बेस-लाइन रैंकिंग जारी की है। एक अप्रैल से यह रैंकिंग रियल टाइम ऑनलाइन देखी जा सकेगी और मई से यह पता चल सकेगा कि किस जिले में कितनी तरक्की हुई।
उन्होंने कहा कि इन जिलों का पिछड़ापन शासन की विफलता का परिणाम है, इसके लिए मुख्यमंत्री, स्थानीय सांसद और विधायकों को सोचना चाहिए। नीति आयोग के अनुसार 101 पिछड़े जिलों में भी सबसे पिछड़ा जिला हरियाणा का मेवात है जिसका नीति आयोग की इस रैंकिंग में मात्र 26 प्रतिशत स्कोर है। इसका मतलब यह है कि शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं के मामले में इस जिले की स्थिति बहुत खराब है।नीति आयोग की 101 पिछड़े जिलों की सूची में वैसे तो यूपी के आठ जिले शामिल हैं लेकिन श्रावस्ती, बहराइच, सिद्धार्थनगर और बलरामपुर ऐसे जिले हैं जो विकास की दृष्टि से देश के सर्वाधिक पिछड़े 10 जिलों में शामिल हैं। कांत का कहना है कि यूपी इन जिलों में शिक्षकों और डाक्टरों की तैनाती की दिशा में कदम उठा लिया है।
ये हैं देश के 10 सर्वाधिक पिछड़े जिले
1. मेवात
2. आसिफाबाद
3. सिंगरौली
4. किफिरे
5. श्रावस्ती
6. बहराइच
7. सिद्धार्थ नगर
8. बलरामपुर
9. नामसाई
10. सुकमा
आयोग की इस सूची में बिहार के 12 जिले
अररिया, कटिहार, पूर्णिया, खगडि़या, जमुई, नवादा, शेखपुरा, गया, औरंगाबाद, मुजफ्फरपुर और बेगूसराई शामिल हैं। वहीं झारखंड के हजारीबाग, पूर्वी सिंहभूमि, बोकारो, रामगढ़, रांची, गुमला, दुमका, गढ़वा, चतरा, पलामू, गिरडीह, गौड्डा, नवादा, लातेहार, लोहरदग्गा, खूंटी, पश्चिमी सिंहभूमि, सिमडेगा, पाकुड़ और साहिबगंज जिले शामिल हैं। उत्तराखंड के हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर भी इसमें शामिल हैं।
आयोग ने शिक्षा, स्वास्थ्य व पोषण, कृषि व जल संसाधन, बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर और फाइनेंशियल इन्क्लूजन व कौशल विकास जैसे पांच क्षेत्रों के 49 विकास संकेतकों पर इन 101 जिलों की रैंकिंग की है। उदाहरण के लिए किसी जिले में कितने प्रतिशत बच्चे कुपोषण से पीडि़त हैं। बच्चों का टीकाकरण हुआ है या नहीं। इसी तरह शिक्षा के मामले में जिलों का मूल्यांकन इस आधार पर किया गया है कि इन जिलों में पढ़ने वाले बच्चों का गणित और भाषा ज्ञान कितना है। आयोग की इस सूची में हालांकि अभी पश्चिम बंगाल के चार जिले, उड़ीसा के 10 जिले और केरल का एक जिला शामिल नहीं हैं।
सभी 101 जिलों में विकास कार्यो के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए नीति आयोग, गृह मंत्रालय और अन्य मंत्रालयों के बीच जिले बांट दिए गए हैं। गृह मंत्रालय वामपंथी अतिवाद से प्रभावित जिलों के विकास कार्यो का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करेगा।कांत ने कहा कि 'चैम्पियंस ऑफ चेंज' नाम से एक ऑनलाइन डेशबोर्ड तैयार किया गया है जिसके जरिए इन जिलों की रैंकिंग में उतार-चढ़ाव की ऑनलाइन निगरानी की जाएगी। उन्होंने कहा कि इससे जिलों में विकास के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।