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SMS से बचते NMC लगा रहे तीन हजार करोड़ रुपये का चूना, सीओएआई ने डॉट सचिव को पत्र लिख कर की शिकायत

देश की दूरसंचार कंपनियों को यह बात नागवार गुजर रही है कि भारत में काम करने वाली दिग्गज बहुराष्ट्रीय आइटी आधारित कंपनियां जैसे आमेजन और माइक्रोसॉफ्ट सामान्य मैसेज (एसएमएस) की जगह व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे ओटीटी प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर रही हैं।

By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Sat, 04 Nov 2023 07:23 PM (IST)
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एसएमएस से बचते एनएमसी लगा रहे तीन हजार करोड़ रुपये का चूना। (फाइल फोटो)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश की दूरसंचार कंपनियों को यह बात नागवार गुजर रही है कि भारत में काम करने वाली दिग्गज बहुराष्ट्रीय आइटी आधारित कंपनियां जैसे आमेजन और माइक्रोसॉफ्ट सामान्य मैसेज (एसएमएस) की जगह व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे ओटीटी प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर रही हैं।

दूरसंचार कंपनियां क्या बता रही कारण?

ये कंपनियां ग्राहकों को अपना संदेश सामान्य एसएमएस की जगह टेलीग्राम व व्हाट्सएप के जरिए दे रही हैं। दूरसंचार कंपनियों का कहना है कि इससे ना सिर्फ उन्हें राजस्व की हानि हो रही है बल्कि यह देश की सुरक्षा को देखते हुए सही नहीं है। 

इस बारे में दूरसंचार कंपनियों के संगठन सेलुलर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआइ) ने दूरसंचार विभाग के सचिव नीरज मित्तल को इसी हफ्ते मंगलवार (31 अक्टूबर, 2023) को पत्र लिखा है और उचित कदम उठाने को कहा है।

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इसमें कहा है कि भारतीय उपयोगकर्ताओं को संदेश भेजने के लिए ओटीटी प्लेटफार्मों का उपयोग नियमों का उल्लंघन है और इससे लाइसेंस शुल्क और विदेशी मुद्रा का लगभग 3,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है।

सीओएआइ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जेनरल डॉ. एस पी कोचर ने लिखा है कि ओटीटी प्लेटफार्म पर चलने वाली कंपनियों पर किसी तरह का नियमन लागू नहीं होता है। ग्राहकों से जुड़े आंकड़ों व डाटा को सुरक्षित रखने या उनकी गोपनीयत बना कर रखने को लेकर उनकी कोई बाध्यता नहीं है। उन पर ग्राहकों के केवाइसी करवाने की भी कोई बाध्यता नहीं है। वह ना तो लाइसेंस देने वाली कंपनी को और ना ही किसी दूसरी एजेंसी को अपने सिस्टम की जानकारी देने के लिए बाध्य हैं।

इसमें बताया गया है कि तकनीक, ई-कार्मस, वित्त, क्लाउड स्पेस और अन्य उद्यमों में काम करने वाली वैश्विक कंपनियां भारत में ग्राहकों तक पहुंचने के लिए अंतरराष्ट्रीय, एप्लिकेशन टू पर्सन या ए2पी मैसेजिंग चैनलों का उपयोग करती हैं। वे मैसेजेस के माध्यम से प्रमाणीकरण, नोटिफिकेशन और मार्केटिंग कम्यूनिकेशन के लिए वन-टाइम पासवर्ड भेजती हैं।

क्या है ट्राई के नियामक का दायरा?

भारतीय दूरसंचार लाइसेंस शर्तों के अनुसार, मैसेजेस और अंतर्राष्ट्रीय ट्रैफ़कि को एक अंतरराष्ट्रीय लंबी दूरी के ऑपरेटर के माध्यम से आना और जाना चाहिए। यह भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नियामक दायरे के तहत आता है। सीओएआई के इस पत्र में अमेजन और माइक्रोसॉफ्ट का नाम लिया है। यह इनकमिंग अंतरराष्ट्रीय सेवाओं के लिए व्हाट्सएप या टेलीग्राम का उपयोग कर रही हैं। इससे उपभोक्ताओं के लिए स्पैम, डेटा चोरी होने या साइबर अपराध के खतरे बढ़ गये हैं।

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सीओएआइ ने दूरसंचार विभाग से किया अनुरोध

सीओएआइ ने दूरसंचार विभाग से तत्काल अनुरोध किया है कि अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा भारतीय ग्राहकों तक पहुंचने के लिए एकमात्र चैनल के रूप में एसएमएस की निरंतरता सुनिश्चित की जाए और व्हाट्सएप/टेलीग्राम को इस तरह के संचार भेजने के लिए एक अवैध मार्ग घोषित किया जाए।

सनद रहे कि भारत की दूरसंचार कंपनियां लगातार यह मुद्दा उठा रही हैं कि ओटीटी को रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत लाना चाहिए। इनका कहा है कि अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो फिर दूरसंचार कंपनियों के लिए भी तरह-तरह की नियामक बाधाओं को हटा देना चाहिए। ताकि सभी को एक समान नियमन के तहत काम करने का मौका मिले। एसोसिएशन के अनुसार टेलीकॉम कंपनियों पर हर स्पैम शिकायत पर वित्तीय जुर्माना लगाकर दंडित किया जा रहा है वहीं ओटीटी को बचाया जा रहा है क्योंकि उनके लिए ऐसा कोई शासकीय ढांचा नहीं है।