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'74 घंटे की ड्यूटी, दिल्ली AIIMS जैसी सैलरी', टास्क फोर्स की सिफारिश- प्राइवेट प्रैक्टिस पर भी लगे प्रतिबंध

NMC Task Force राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के टास्क फोर्स ने देशभर के डॉक्टरों के कामकाज को लेकर कई अहम सिफारिशें की हैं। टास्क फोर्स का कहना है कि रेजिडेंट डाक्टरों से सप्ताह में 74 घंटे से अधिक काम नहीं लेना चाहिए। साथ ही टास्क फोर्स की रिपोर्ट में सभी डॉक्टरों का वेतनमान दिल्ली एम्स के स्तर के होने की वकालत की गई है।

By Agency Edited By: Sachin Pandey Updated: Thu, 15 Aug 2024 11:45 PM (IST)
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टास्क फोर्स ने सिफारिश की कि चिकित्सा शिक्षकों के लिए प्राइवेट प्रैक्टिस पर प्रतिबंध लगे। (File Image)
पीटीआई, नई दिल्ली। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) की ओर से गठित टास्क फोर्स ने रेजिडेंट डाक्टरों से सप्ताह में 74 घंटे से अधिक काम न लेने की सिफारिश की है। टास्क फोर्स ने यह भी कहा कि सभी डॉक्टरों का वेतनमान दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की तरह होना चाहिए।

टास्क फोर्स ने सिफारिश की कि चिकित्सा शिक्षकों के लिए प्राइवेट प्रैक्टिस पर प्रतिबंध लगे। चिकित्सा शिक्षकों को नान प्रैक्टिस भत्ता देना चाहिए। विभागाध्यक्षों की नियुक्ति में रोटेशनल प्रणाली लागू करने की सिफारिश की गई है। रिपोर्ट में स्नातकोत्तर चिकित्सा सीटें बढ़ाने, सीट छोड़ने की फीस या बांड को खत्म करने की सिफारिश की है।

'सप्ताह में एक दिन मिलनी चाहिए छुट्टी'

मेडिकल छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण पर राष्ट्रीय टास्क फोर्स ने सिफारिशों में कहा है कि डाक्टरों को हर सप्ताह एक दिन की छुट्टी मिलनी चाहिए। मेडिकल छात्रों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए प्रतिदिन सात से आठ घंटे की नींद आवश्यक है। अधिक समय तक काम करना डाक्टरों की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं।

इससे मरीजों की सुरक्षा भी प्रभावित होती है। यदि काम अधिक हो तो अस्पताल या मेडिकल कालेज अधिक चिकित्सा अधिकारियों को नियुक्त करे। स्नातकोत्तर छात्र और इंटर्न का मुख्य उद्देश्य डाक्टरों की कमी को दूर करना नहीं बल्कि शिक्षा प्राप्त करना है। मेडिकल का कोई छात्र जब स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में दाखिला लेता है तो उसे रेजिडेंट डाक्टर कहा जाता है।

'एनएमसी के नियमों को सख्ती से किया जाए लागू'

टास्क फोर्स ने यह भी कहा कि रैगिंग पर एनएमसी के नियमों को सख्ती से लागू किया जाए। मेडिकल कालेजों में एंटी-रैगिंग सेल होने चाहिए। रैगिंग करने वाले अपराधियों को कठोर दंड मिले। टास्कफोर्स ने निष्पक्ष और मानकीकृत ग्रेडिंग सिस्टम, स्वतंत्र अपील प्रक्रिया पर जोर दिया है। शैक्षणिक दबाव कम करने, पूरक परीक्षाएं शुरू करने की भी सिफारिश की है।

गोपनीयता बढ़ाने, निष्पक्ष शैक्षणिक माहौल को बढ़ावा देने के लिए रोल नंबर का उपयोग कर परीक्षा परिणाम घोषित करने का भी सुझाव दिया है। टास्क फोर्स ने यह भी सुझाव दिया कि एनएमसी को शिकायत निवारण के लिए राष्ट्रीय पोर्टल स्थापित करना चाहिए। टास्क फोर्स ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) के वेतनमान का हवाला देते हुए नीतियों के मानकीकरण की मांग की है।

दिल्ली एम्स के वेतनमाम के अनुसार भुगतान की वकालत

टास्क फोर्स ने कहा, 'सभी मेडिकल कालेजों में प्रशिक्षुओं, स्नातकोत्तर छात्रों, सीनियर रेजिडेंट, सुपरस्पेशियलिटी छात्रों और चिकित्सा शिक्षकों को दिल्ली स्थित एम्स के वेतनमान के अनुसार भुगतान किया जाना चाहिए, भले ही वे प्राइवेट, सरकारी, राज्यस्तरीय, केंद्रीय, डीम्ड विश्वविद्यालय या किसी अन्य प्रकार के संस्थान हों। मेडिकल संकाय के लिए वर्तमान सेवानिवृत्ति नीति असंगत है। दिल्ली के एम्स की नीति को अपनाकर देश भर में मानकीकृत सेवानिवृत्ति नीति लागू की जानी चाहिए।'

मेडिकल कालेज योग को पाठ्यक्रम में शामिल करें

टास्क फोर्स ने कहा कि मेडिकल कालेज नियमित कक्षाएं और सेमिनार आयोजित करके छात्रों के जीवन में योग को शामिल करें। तनाव कम करने, मानसिक बीमारी रोकने के लिए इसे पाठ्यक्रम में भी शामिल करें। टास्क फोर्स ने जोर दिया कि नियमित योग अभ्यास तनाव और चिंता कम करता है। यह छात्रों को चिकित्सा शिक्षा के दबावों का प्रबंधन करने के लिए तैयार करके मानसिक बीमारियों को रोकने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

टास्क फोर्स ने कहा है कि नशे की लत वाले छात्रों को डांटने के बजाय गोपनीयता बनाए रखते हुए मदद लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। परिसर में नशा मुक्ति सेवाएं आसानी से उपलब्ध हों। प्रत्येक मेडिकल कालेज को पर्याप्त मनोचिकित्सकों, काउंसलरों, नर्सों और सहायक कर्मियों के साथ मनोचिकित्सा विभाग स्थापित करना चाहिए। मेडिकल कालेजों को हर 500 छात्रों पर कम से कम दो काउंसलर नियुक्त करने पर विचार करना चाहिए। इसने आत्महत्या के प्रयासों और आत्महत्या से होने वाली मौतों की अनिवार्य रिपोर्टिंग लागू करने पर भी जोर दिया।

छात्रों से हों यथार्थवादी अपेक्षाएं

टास्क फोर्स ने कहा, कई छात्रों को खुद से बहुत अधिक उम्मीदें होती हैं। अत्यधिक प्रतिस्पर्धा भी तनाव का कारण बन सकती है। छात्रों को यथार्थवादी अपेक्षाएं रखनी चाहिए और सीखने पर जोर देना चाहिए। मेडिकल छात्रों को कठिन दौर से निपटने के लिए पेशेवर मदद लेनी चाहिए।