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अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कल: I.N.D.I.A में कितना दम? इन तीन क्षेत्रीय दलों पर टिकीं निगाहें

मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर दूसरे दिन (9 अगस्त) तीखी बहस हुई। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने चर्चा में शामिल होते हुए मणिपुर पर मोदी सरकार और बीजेपी को घेरा वहीं बीजेपी की तरफ से केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने सरकार का बचाव किया। मगर संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर गुरुवार (10 अगस्त) को वोटिंग हो सकती है।

By Abhinav AtreyEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Wed, 09 Aug 2023 02:25 PM (IST)
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अविश्वास प्रस्ताव पर कल संसद में होगी वोटिंग (फोटो, जागरण)
ऑनलाइन डेस्क। मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर दूसरे दिन (9 अगस्त) तीखी बहस हुई। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने चर्चा में शामिल होते हुए मणिपुर पर मोदी सरकार और बीजेपी को घेरा, वहीं बीजेपी की तरफ से केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने सरकार का बचाव किया। मगर, संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर गुरुवार (10 अगस्त) को वोटिंग हो सकती है।

सत्तापक्ष (NDA) और विपक्षी एकता के लिए बने गठबंधन (INDIA) के पास कितने सांसदों की संख्या है? इसको जानना जरुरी है। इसके अलावा अविश्वास प्रस्ताव में एक तीसरी कड़ी है जो ना तो सत्ता पक्ष और ना ही विपक्ष के साथ है। यह वो पार्टियां हैं जो कहीं न कहीं संसद में जरुरत पड़ने पर सरकार को अपना समर्थन दे सकती हैं।

आइए जानते हैं कि सरकार यानी एनडीए, 'इंडिया' और जो दल किसी के साथ शामिल नहीं हैं उनकी सांसदों के हिसाब से क्या स्थिति है।

सत्तापक्ष (एनडीए)

बीजेपी: एनडीए की अगर बात करें तो अकेले बीजेपी विपक्ष के कुल सांसदों से ज्यादा संख्याबल रखती है। मगर, आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को अपने सहयोगी साथियों को साथ रखना ही होगा क्योंकि विपक्ष ने बीजेपी को घेरने की जो रणनीति बनाई है उससे पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। इस समय बीजेपी के पास लोकसभा में 301 सांसद हैं। इसके अलावा बीजेपी को उसके सहयोगी दल भी अविश्वास प्रस्ताव पर समर्थन देंगे।

एलजेपी: बिहार की लोक जनशक्ति पार्टी के पास इस समय 6 लोकसभा सांसद हैं। चिराग पासवान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, एलजेपी का बिहार में एक तबके पर मजबूत पकड़ है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हालांकि पार्टी में दो फाड़ होने के बाद उनके चाचा पशुपति पारस के साथ लगभग सुलह हो गई है।

अपना दल (सोनेलाल): केंद्रीय मंत्री वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल (एस) के पास लोकसभा में 2 सांसद हैं। पार्टी का उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में प्रभाव है। मगर, अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार के पक्ष में अपना दल वोट करेगी।

इसके अलावा एनडीए के खेमे में शामिल एआईएडीएमके, एनपीप , एनडीपीपी, एनपीएफ, एमएनएफ, एसकेएम और आजसू के पास एक-एक लोकसभा की सीटें हैं।

विपक्ष (I.N.D.I.A)

कांग्रेस: विपक्ष की सबसे बड़ी और पुरानी पार्टी कांग्रेस के नेतृत्व 'इंडिया' गठबंधन हुआ है। अविश्वास प्रस्ताव पर बुधवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पार्टी की तरफ से संसद में केंद्र की मोदी सरकार को मणिपुर में हो रही हिंसा को लेकर घेरा। मगर, कांग्रेस की सांसदों के मामले में तुलना की जाए तो सबसे पुरानी पार्टी के पास महज 51 लोकसभा सांसद हैं। गुरुवार को होने वाले अविश्वास प्रस्ताव में कांग्रेस के साथ में उसके सहयोगी दल भी वोट करेंगे।

डीएमके: विपक्षी खेमे में तमिलनाडु की सत्तारुढ़ पार्टी डीएमके के पास लोकसभा में सबसे ज्यादा 24 सांसद हैं। डीएमके इंडिया गठबंधन का एक प्रमुख हिस्सेदार पार्टी है। पार्टी अध्यक्ष और राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन आगामी लोकसभा चुनाव में राज्य में अपने पैर पसार रही बीजेपी के मुकाबले ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की चुनौती है। अविश्वास प्रस्ताव में डीएमके सरकार के खिलाफ वोट करेगी।

टीएमसी: पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें हैं, जिसमें से टीएमसी के पास 23 सांसद हैं। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी विपक्ष के नेताओं में सबसे लोकप्रिय और बड़े चेहरों में से एक हैं और वह लगातार बीजेपी के विरोध में बोलती रही हैं। टीएमसी अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार के खिलाफ वोट करेगी।

अन्य

वाईएसआर कांग्रेस: अविश्वास प्रस्ताव हो या फिर संसद में कोई भी बिल पास हो रहा हो ये वह पार्टियां है जो ना तो एनडीए में शामिल हैं और ना ही विपक्षी खेमे में, मगर एक तरह से इनमें से ज्यादातर पार्टियां बीजेपी के साथ खड़ी नजर आती हैं। लोकसभा में पार्टी के 22 सांसद हैं। दिल्ली सर्विस बिल पर वाईएसआर कांग्रेस ने बीजेपी का समर्थन किया था। इस तरह से आंध्र प्रदेश के सीएम जनगमोहन रेड्डी की पार्टी विपक्ष के द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार का समर्थन कर सकती है।

बीजेडी: इसी तरह से नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली ओडिशा की सत्तारूढ़ पार्टी बीजू जनता दल के पास लोकसभा में 12 सांसद हैं। दिल्ली सर्विस बिल पर बीजेडी ने भी सरकार के पक्ष में वोट किया है, जिसकी वजह से यह बिल राज्यसभा में पास हो पाया। मगर, दिल्ली सर्विस बिल की तरह ही पार्टी अविश्वास प्रस्ताव पर बीजेपी का साथ दे सकती है।

बीएसपी: उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी ताकत वाली पार्टी में से एक बीएसपी के पास लोकसभा में कुल 9 सांसद हैं। पार्टी अध्यक्ष मायावती लगातार मोदी सरकार पर सामने से कुछ भी बोलने से बचती रही हैं, जिसकी वजह से ये कयास लगाए जा रहे हैं कि बीएसपी भी सरकार को फायदा पहुंचा सकती है।

इसके अलावा अन्य में तेलंगाना की बीआरएस, आंध्र की टीडीपी, ओवैसी की एआईएमआईएम और शिरोमणि अकाली दल जैसी पार्टियां ऐसी हैं जो ना तो एनडीए और ना ही इंडिया गठबंधन में शामिल हैं। यह सभी दल भविष्य में किसी भी राजनीतिक परिस्थिती के बनने पर अपने पत्ते खोल सकती हैं।