सुप्रीम कोर्ट ने की कड़ी टिप्पणी, कहा- बेलगाम इंटरनेट मीडिया देश को कर रहा बदनाम
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वेब पोर्टलों और यूट्यूब चैनलों पर फेक न्यूज पर कोई भी नियंत्रण नहीं और अगर ऐसे ही चलता रहा तो देश का नाम बदनाम होगा। एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहावेब पोर्टल पर फेक न्यूज को लेकर किसी का नियंत्रण नहीं है।
By Pooja SinghEdited By: Updated: Thu, 02 Sep 2021 02:58 PM (IST)
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि मीडिया का एक वर्ग देश को बदनाम करने वाली खबरों को सांप्रदायिक रंग देता है। समस्या यह है कि इस देश में हर चीज मीडिया के एक वर्ग द्वारा सांप्रदायिकता के पहलू से दिखाई जाती है। आखिरकार इससे देश की छवि खराब हो रही है। क्या केंद्र ने निजी चैनलों के नियमन की कभी कोशिश भी की है?
वेब पोर्टलों और यूट्यूब सहित इंटरनेट मीडिया पर फर्जी खबरों पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए अदालत ने कहा कि ये केवल शक्तिशाली आवाजों को सुनते हैं। न्यायाधीशों, संस्थानों के खिलाफ बिना किसी जवाबदेही के कई चीजें लिखी जाती हैं। प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और एएस बोपन्ना की पीठ फर्जी खबरों के प्रसारण पर रोक के लिए जमीयत उलमा-ए-हिंद की याचिका सहित कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।जमीयत ने अपनी याचिका में निजामुद्दीन स्थित मरकज में पिछले साल धार्मिक सभा से संबंधित फर्जी खबरें फैलाने से रोकने और इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई करने का केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया है। उच्चतम न्यायालय इंटरनेट मीडिया तथा वेब पोर्टल समेत आनलाइन सामग्री के नियमन के लिए हाल में लागू सूचना प्रौद्योगिकी नियमों की वैधता के खिलाफ विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित याचिकाओं को सर्वोच्च अदालत में स्थानांतरित करने की केंद्र की याचिका पर छह हफ्ते बाद सुनवाई करने के लिए भी राजी हो गया।
फर्जी खबरों तथा छींटाकशीं पर कोई नियंत्रण नहीं : सीजेआइसीजेआइ रमना ने कहा, मुझे यह नहीं मालूम कि ये इंटरनेट मीडिया, ट्विटर और फेसबुक आम लोगों को कहां जवाब देती हैं। वे कभी जवाब नहीं देतीं। कोई जवाबदेही नहीं है। वे खराब लिखती हैं और जवाब नहीं देतीं तथा कहती हैं कि यह उनका अधिकार है। उन्होंने कहा, वेब पोर्टल और यूट्यूब चैनलों पर फर्जी खबरों तथा छींटाकशीं पर कोई नियंत्रण नहीं है। अगर आप यूट्यूब देखेंगे तो पाएंगे कि कैसे फर्जी खबरें आसानी से प्रसारित की जा रही हैं और कोई भी यूट्यूब पर चैनल शुरू कर सकता है।
केंद्र ने कहा, आनलाइन सामग्री के नियमन के लिए आइटी नियम बनाए केंद्र की ओर से पेश हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, न केवल सांप्रदायिक बल्कि मनगढ़ंत खबरें भी हैं। वेब पोर्टल समेत आनलाइन सामग्री के नियमन के लिए आइटी नियम बनाए गए हैं। सुनवाई शुरू होने पर मेहता ने दो हफ्तों का स्थगन मांगा। पिछले कुछ आदेशों का जिक्र करते हुए पीठ ने केंद्र से पूछा कि क्या उसने इंटरनेट मीडिया पर ऐसी खबरों के लिए कोई नियामक आयोग गठित किया है?
खास बातें--अदालत ने जमीयत को याचिका में संशोधन की अनुमति दी और उसे सालिसिटर जनरल के जरिये चार हफ्तों में केंद्र को देने को कहा जो उसके बाद दो सप्ताह में जवाब दे सकता है।--एक मुस्लिम संगठन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने इंटरनेट मीडिया के नियमन के लिए बनाए नए नियमों पर केंद्र सरकार के पक्ष से सहमति जताई।--जमीयत ने कहा, पूरे मुस्लिम समुदाय को बुरा दिखाया गया
जमीयत उलमा-ए-हिंद ने आरोप लगाया कि तब्लीगी जमात की दुर्भाग्यपूर्ण घटना का इस्तेमाल पूरे मुस्लिम समुदाय को बुरा दिखाने तथा कसूरवार ठहराने के लिए किया गया। उसने मीडिया को ऐसी खबरें प्रसारित करने से रोकने का भी अनुरोध किया।