फाइजर को क्षतिपूर्ति से छूट पर फैसला नहीं, सरकार ने कहा- स्वदेशी कंपनियों के साथ नहीं होगा भेदभाव
मेरिकी दवा कंपनी फाइजर को कोरोना वैक्सीन के प्रतिकूल प्रभाव पर क्षतिपूर्ति से छूट देने के मामले में फिलहाल कोई फैसला नहीं हुआ है। सरकार ने कहा कि वह फाइजर को छूट देने की स्थिति में स्वदेशी कंपनियों का पूरा ख्याल रखेगी...
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Fri, 04 Jun 2021 09:57 PM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर को कोरोना वैक्सीन के प्रतिकूल प्रभाव पर क्षतिपूर्ति से छूट देने के मामले में फिलहाल कोई फैसला नहीं हुआ है। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पाल ने कहा कि फाइजर को छूट देने की स्थिति में सरकार स्वदेशी कंपनियों का भी पूरा ख्याल रखेगी, जिन्होंने देश में वैक्सीन उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभाई हैं।
यह दलील दीडॉ. पाल के अनुसार फाइजर ने दुनिया के अन्य देशों को वैक्सीन सप्लाई करने की शर्तों का हवाला देते हुए कहा कि सभी ने क्षतिपूर्ति से छूट दी है। उनके अनुसार सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ-साथ फाइजर की वैक्सीन का इस्तेमाल करने वाले सभी देशों में पता लगाया है और फाइजर के दावे को सही पाया है। उन्होंने कहा कि फाइजर के साथ बातचीत चल रही है और रास्ता निकालने की कोशिश की जा रही है।
सीरम ने भी मांगी है छूट
सीरम इंस्टीट्यूट की ओर से भी फाइजर की तरह क्षतिपूर्ति से छूट की मांग के बारे में पूछे जाने पर डा. पाल ने कहा कि मुश्किल समय में देश में वैक्सीन उपलब्ध कराने वाली कंपनियों का भी ख्याल रखा जाएगा और उनके साथ भेदभाव नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस संबंध में कोई भी फैसला देश और आम लोगों दोनों के हितों को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा।
सीरम बनाएगी स्पुतनिक-वी
वहीं कोरोना के खिलाफ जारी लड़ाई में अच्छी खबर यह सामने आई है कि सीरम इंस्टिट्यूट देश में रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-वी का उत्पादन करेगी। केंद्र सरकार ने सीरम को इसके लिए हरी झंडी दे दी है। इस वैक्सीन के उत्पादन के लिए सीरम ने रूस की गमालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमोलॉजी एंड माइक्रोबायलॉजी के साथ गठजोड़ किया है।WHO से कोवैक्सीन को मान्यता दिलाने की कवायद
इस बीच केंद्र सरकार ने कहा है कि भारत बायोटेक की कोविड वैक्सीन कोवैक्सीन को मान्यता दिलाने के लिए डब्ल्यूएचओ के साथ आंकड़े साझा किए जा रहे हैं। सरकार इसके लिए प्रयास कर रही है। सरकार इसे जल्द हासिल करना चाहती है। हम इसे पूरा करने के लिए भारत बायोटेक और डब्ल्यूएचओ दोनों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।