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केंद्र का बयान- देश में ‘खतना’ का कोई सबूत नहीं, गुस्‍से में तमाम एक्‍टिविस्‍ट

कोर्ट में भारत सरकार ने कहा कि देश में खतने को लेकर कोई सबूत या आंकड़ा मौजूद नहीं है जिसपर समाजसेवकों में क्रोध व्‍याप्‍त है।

By Monika MinalEdited By: Updated: Fri, 29 Dec 2017 04:27 PM (IST)
केंद्र का बयान- देश में ‘खतना’ का कोई सबूत नहीं, गुस्‍से में तमाम एक्‍टिविस्‍ट

मुंबई (रायटर्स)। भारतीय अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि देश में महिला जननांग विकृति (खतना) (एफजीएम) के बारे में कोई आंकड़ा मौजूद नहीं है, इससे अल्‍पसंख्‍यक मुस्‍लिम समुदाय में सदियों पुरानी प्रथा के लिए लड़ रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं में क्रोध और चिंता व्‍याप्‍त है। बता दें कि संयुक्‍त राष्‍ट्र के एफजीएम प्रभावित देशों की लिस्‍ट में भारत शामिल नहीं है।  

कुरान में नहीं है ‘खतना’ का उल्‍लेख

शिया मुस्‍लिम दाउदी बोहरा समुदाय द्वारा गुपचुप तरीके से FGM प्रथा को अंजाम दिया जाता है। दुनिया में इस समुदाय की कुल संख्‍या लगभग 2 मिलियन है। हालांकि इसके बारे में कुरान में कहीं नहीं लिखा गया है लेकिन समुदाय में इस परंपरा को धार्मिक रूप दिया गया है।

सदियों पुरानी परंपरा पर रोक की मांग

दाऊदी बोहरा समाज की कई महिलाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से खतना नामक इस सदियों पुरानी परंपरा को अवैध घोषित करने की मांग की। इसके तहत लड़कियों के जननांगों के क्लिटोरिस को काट दिया जाता है।

कोर्ट में डाली गयी याचिका

इस कुप्रथा को खत्‍म करने के लिए डाली गयी याचिका पर कोर्ट द्वारा की गयी इंक्‍वायरी पर प्रतिक्रिया देते हुए महिला व बाल विकास मंत्रालय ने कहा, वर्तमान में आधिकारिक आंकड़ा या अध्‍ययन नहीं है जो भारत में एफजीएम की मौजूदगी का समर्थन करता हो।

इस साल के आरंभ में मंत्रालय से कोर्ट ने प्रतिक्रिया मांगी साथ ही गुजरात, महाराष्‍ट्र, राजस्‍थान और मध्‍यप्रदेश की सरकारों से भी मामले पर प्रतिक्रिया मांगा। महिला व बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने पहले कहा था कि वे राज्‍य सरकारों व बोहरा आध्‍यात्‍मिक गुरु को इस कुप्रथा को खत्‍म करने के लिए फरमान जारी करेंगी।

गुपचुप तरीके से होता है खतना इसलिए नहीं है डेटा

इस कुप्रथा को खत्‍म करने के लिए अभियान शुरू करने वाली रानाल्‍वी ने कहा, ‘यह गोपनीय प्रथा है इसलिए इसका कोई आधिकारिक डेटा नहीं लेकिन सार्वजनिक रूप से सैंकड़ों लोग इस बारे में बोल रहे हैं और हाल ही में पीटिशन पर हस्‍ताक्षर भी किया है। सरकार को सर्वे कराने में रुकावट क्‍या है।’

रानाल्‍वी ने बताया कि उन्‍होंने भारत में 100 से अधिक बोहरा महिलाओं पर सर्वे किया जिसमें से अधिकतर इस कुप्रथा से गुजर चुकीं थीं। गंभीर शारीरिक व मानसिक समस्‍याओं को जन्‍म देने वाला FGM सामान्‍य रूप से अफ्रीकी देशों से जुड़ा है, जो इसे खत्‍म करने के लिए अंतरराष्‍ट्रीय प्रयासों को नेतृत्‍व कर रहे हैं।

इस कुप्रथा के खिलाफ कैंपेन कर रहे एनजीओ साहियो ने कहा, हम भयभीत हैं...सालों से पीड़ित आवाज उठा रहे हैं, और मंत्रालय के अधिकारियों से भी मिल चुके हैं। हमने सरकार से आधिकारिक अध्‍ययन करने को कहा है।

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