Kota Pressure: कोई दोस्त नहीं...सिर्फ प्रतिद्वंदी, मां-बाप की अपेक्षाओं का बोझ ले ट्रेडमिल पर दौड़ रहा ये शहर
कोटा में हर साल टॉपर्स के रिकार्ड टूटते हैं तो वहीं अब आत्महत्या के भी रिकार्ड टूटने लगे हैं। पिछले साल जहां 15 बच्चों ने आत्महत्या की तो वहीं इस साल यह रिकॉर्ड बढ़कर 20 हो चुका है। इसके पीछे का कारण बताते हुए छात्रों और विशेषज्ञों का कहना है कि कोटा फैक्ट्रीके नाम से मशहूर देश की कोचिंग राजधानी में कोई किसी का दोस्त नहीं हैबल्कि केवल प्रतिस्पर्धी हैं।
By Babli KumariEdited By: Babli KumariUpdated: Thu, 24 Aug 2023 04:25 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। कड़ी प्रतिस्पर्धा, बेहतर करने का लगातार दबाव, माता-पिता की अपेक्षाओं का बोझ और घर की याद से जूझते हुए लाखों बच्चे जो कोटा की गलियों और कोचिंग में आपको दिख जाएंगे। इन लाखों बच्चों में से चंद ऐसे बच्चे ही होते हैं जिनके सपनों को उड़ान मिल पाती है। बचे हुए छात्र जो फिरसे बेहतर शुरुआत करने की उम्मीद में एक और प्रयास करते हैं तो वहीं ऐसे भी बच्चे होते हैं जो हार मान चुके होते हैं।
शिक्षा की नगरी का माहौल ऐसा है कि या तो उम्मीद है या फिर निराशा है। कोटा में रह रहे छात्रों का कहना है कि वे अक्सर खुद को अकेला पाते हैं और उनके साथ बात करने या अपनी भावनाओं को साझा करने वाला कोई नहीं होता है।कोटा में हर रविवार को छात्रों का लिया जाने वाला टेस्ट अब बंद होगा। अब कोचिंग संस्थानों और हॉस्टल संचालकों को अपने यहां प्रत्येक 15 दिन में छात्र-छात्राओं का मनोचिकित्सक से परीक्षण करवाना होगा और कोटा के सभी हॉस्टल में पंखों पर एंटी हैंगिंग डिवाइस लगाए जाएंगे। ये सरकार द्वारा दिए गए ऐसे निर्देश है जिसे कोटा के सभी कोचिंग संस्थानों और हॉस्टल संचालकों को पालन करना है। एंटी हैंगिंग डिवाइस नहीं लगाने वाले हॉस्टल को सीज किया जाएगा। हॉस्टल संचालकों के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट भी दर्ज होगी। सोचिए कितना डरावना मंजर हो चुका है जिसकी वजह से सरकार को ऐसे कानून बनाने पड़े।
इस साल 20 छात्र-छात्राओं ने की आत्महत्या
कोटा में हर साल टॉपर्स के रिकार्ड टूटते हैं तो वहीं अब कोटा में आत्महत्या के भी रिकार्ड टूटने लगे हैं। पिछले साल जहां 15 बच्चों ने आत्महत्या की थी इस साल वह रिकॉर्ड बढ़कर 20 हो चुका है। इसके पीछे का कारण बताते हुए छात्रों और विशेषज्ञों का कहना है कि "कोटा फैक्ट्री" के नाम से मशहूर देश की कोचिंग राजधानी में कोई किसी का दोस्त नहीं है, बल्कि केवल प्रतिस्पर्धी हैं।
कोटा में इंजीनियरिंग और मेडिकल की कोचिंग दी जाती है। दो ऐसे प्रोफेशनल कोर्स की कोचिंग जिसे पढ़ाई के क्षेत्र में सबसे कठिन और महत्वपूर्ण माना जाता है। इन दोनों कोर्स में एडमिशन लेने के लिए बच्चे कठिन परीक्षाओं से होकर गुजरते हैं। कई बच्चे इन कोर्स में एंट्री लेते-लेते इतने तनाव में आ जाते हैं कि आत्महत्या तक करने को मजबूर हो जाते हैं। सरकार इन सभी इंजीनियरिंग और मेडिकल उम्मीदवारों के बीच आत्महत्या की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए लगातार संघर्ष कर रही है।