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एरिस वायरस से चिंता करने की जरूरत नहीं, भारत के इंतजाम पुख्ता : हेल्थ एक्सपर्ट्स

फिलहाल डब्ल्यूएचओ ने इसे वैरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट की श्रेणी में शामिल किया है। बता दें कि कोविड-19 ने दुनियाभर में लाखों लोगों की जान ली है और करोड़ों लोग इससे संक्रमित हुए थे। कोरोना के नए वेरिएंट का पहला केस भारत में मई के महीने में आया था लेकिन इसके ज्यादा मामले अब तक सामने नहीं आए हैं। एरिस कोविड के ही ओमेक्रॉन वेरिएंट का सबवेरिएंट है।

By Anurag MishraEdited By: Anurag MishraUpdated: Fri, 18 Aug 2023 01:12 PM (IST)
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एरिस वायरस से फिलहाल भारत में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है
 नई दिल्ली, जागरण डेस्क। ब्रिटेन में कोरोनावायरस का नया वेरिएंट EG.5.1 तेजी से फैल रहा है, जिसे एरीस का नाम दिया गया है। यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी का कहना है कि कोविड के कुल मामलों में से 14 प्रतिशत मामले को सिर्फ एरीस वेरिएंट से जुड़े हुए हैं। कोरोना का यह नया स्ट्रेन दक्षिण कोरिया, जापान और कनाडा समेत कई अन्य देशों में भी पाया गया है। फिलहाल डब्ल्यूएचओ ने इसे वैरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट की श्रेणी में शामिल किया है। बता दें कि कोविड-19 ने दुनियाभर में लाखों लोगों की जान ली है और करोड़ों लोग इससे संक्रमित हुए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोरोना के नए वेरिएंट का पहला केस भारत में मई के महीने में आया था लेकिन इसके ज्यादा मामले अब तक सामने नहीं आए हैं। एरिस कोविड के ही ओमेक्रॉन वेरिएंट का सबवेरिएंट है। ओमीक्रॉन का म्यूटेंट यह वैरिएंट तेजी से फैल रहा है।

रिपोर्ट के मुताबिक अब तक 4 हजार से ज्यादा टेस्ट किए गए हैं जिसमें से 5.4 प्रतिशत मामले कोविड के तौर पर पहचान कि गई गई है। कोविड एडवायजरी टास्त ग्रुप के प्रमुख एन.के. अरोड़ा का कहना है कि एरिस से किसी भी तरह चिंता की बात नहीं है। भारत में यह तीन माह से है। दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले इसकी पहचान पहले कर ली गई थी। इसके मामलों में बढ़ोतरी नहीं हुई है और न ही इसके मामलों में अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता पड़ी है। उन्होंने कहा कि 2021 के बाद कोरोना के ऐसे वैरिएंट की पहचान नहीं हुई है जिसमें लोगों को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता पड़े। कोरोना संक्रमण से बचाव के सामान्य उपायों को पालन करके संक्रमण से सुरक्षित रहा जा सकता है।

संक्रामक रोग विशेषज्ञ एवं ऑर्गेनाइज्ड मेडिसिन अकादिमक गिल्ड के महासचिव डा. ईश्वर गिल्डा का कहना है कि हमें एरिस से घबराना नहीं चाहिए। यह ओमिक्रॉन की ही सब-वैरिएंट है। ओमिक्रॉन ने लोगों को भारत में अधिक परेशान नहीं किया था। लोगों को वैक्सीन लगी हुई है जिससे भी इम्युनिटी बेहतर हुई है। कई लोगों के पास हाइब्रिड इम्युनिटी है। सरकार के इंतजाम पुख्ता है।

कोरोना का नया वैरिएंट

हाल ही में वैज्ञानिकों को कोरोना के एक नए वैरिएंट EG.5.1 के बारे में पता चला है। इसे एरिस वैरिएंट भी कहा गया है। दुनिया के कई देशों में इस नए वैरिएंट से संक्रमित मरीजों की पुष्टि हुई है। कोरोना वायरस के अब तक सामने आये सभी वैरिएंट में एरिस को सबसे ज्यादा संक्रामक माना जा रहा है। यह वैरिएंट तेजी से म्यूटेट हो रहा है और इसमें जेनेटिक बदलाव भी हो रहे हैं। एरिस वैरिएंट या ईजी.5.1, ओमिक्रोन के XBB वैरिएंट का ही एक सब टाइप है। इस वैरिएंट से संक्रमित होने पर दिखने वाले लक्षण भी ओमिक्रोन जैसे ही हैं। हालांकि, ओमिक्रोन के एक्सबीबी वैरिएंट की तुलना में यह 45 गुना ज्यादा संक्रामक बताया जा रहा है। 6 अगस्त तक भारत में एरिस के 116 मामले सामने आए हैं। लेकिन एरिस से संक्रमित होने के बाद मरीजों को कोई ख़ास परेशानी नहीं हो रही है और अन्य वैरिएंट की तरह इससे संक्रमित होने के बाद भी मरीज जल्दी ठीक हो जा रहे हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया भी कह चुके हैं कि नए वेरिएंट को लेकर चिंता की जरूरत नही है। सरकार लगातार नजर बनाए हुए है। अभी जीनोम सीक्वेसिंग बंद नहीं की गई है। स्थिति कंट्रोल में है। उन्होंने कहा कि देश में कोरोना संक्रमण का जोखिम तो कम है, पर संक्रमण की रोकथाम और बचाव को लेकर सभी लोगों को लगातार सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है।

कोरोना वायरस के वैरिएंट को तीन श्रेणी में रखा

दरअसल, 2019 में कोरोना महामारी की शुरुआत के समय डब्ल्यूएचओ ने तीन श्रेणी के तहत कोरोना वायरस के वैरिएंट को रखा। इनमें वैरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट, वैरिएंट ऑफ कंसर्न और वैरिएंट ऑफ हाइकान्सिक्वेंस शामिल हैं। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि ईजी.5 और इसके उप-वंश को लेकर अभी तक काफी कम मामले दुनिया में सामने आए हैं। हालांकि, यूके और अमेरिका में इनकी संख्या काफी है जबकि भारत में बीते मई माह के दौरान एक मामला मिला जो दो दिन में स्वस्थ भी हो गया।

ये है लक्षण

गले में खराश

नाक बहना

बंद नाक

छींक आना

सूखी खांसी

सिरदर्द

कर्कश आवाज

मांसपेशियों में दर्द

गंध-सुगंध और टेस्ट न आना

अध्ययन से यह भी पता चला कि मुख्य लक्षण ओमिक्रॉन जैसे ही हैं। हालांकि, रिपोर्ट के मुताबिक सांस लेने में तकलीफ, गंध की कमी और बुखार अब मुख्य लक्षण नहीं हैं।