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'इसरो का कोई विज्ञानी करोड़पति नहीं' माधवन नायर बोले- सामान्य और संयमित जीवन जीते हैं साइंटिस्ट

इसरो के विज्ञानियों ने सावधानी के साथ योजना बनाकर और अपनी दूरदृष्टि से यह सफलता अर्जित की है। इसरो के पूर्व प्रमुख ने कहा कि भारत अपने अंतरिक्ष मिशन के लिए स्वदेश में विकसित प्रौद्योगिकी का उपयोग करता है। इससे लागत को उल्लेखनीय रूप से कम रखने में मदद मिलती है। भारत के अंतरिक्ष मिशन का खर्च अन्य देशों के मिशन की तुलना में 50 से60 प्रतिशत तक कम है।

By AgencyEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Thu, 24 Aug 2023 11:43 PM (IST)
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माधवन नायर के अनुसार, इसरो में विज्ञानियों को कम वेतन मिलता है।

तिरुअनंतपुरम,पीटीआई। भारत के चंद्रयान-3 मिशन की सफलता पर खुशी जताते हुए इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी माधवन नायर ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी के विज्ञानियों का वेतन विकसित देशों के विज्ञानियों के वेतन का पांचवां हिस्सा है। इसके बावजूद उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की है।

इसरो में विज्ञानियों को मिलता है कम वेतन : माधवन नायर

माधवन नायर के अनुसार, इसरो में विज्ञानियों को कम वेतन मिलता है। यहां का कोई विज्ञानी करोड़पति नहीं है। वह हमेशा बहुत सामान्य और संयमित जीवन जीते हैं। यह भी एक कारण है कि वह अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए कम लागत वाले समाधान ढूंढते हैं।

बेहद कम लागत पर अंतरिक्ष की खोज

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के बेहद कम लागत पर अंतरिक्ष की खोज के बारे में बात करते हुए नायर ने कहा, इसरो में विज्ञानियों, तकनीशियनों और अन्य कर्मचारियों को दिया जाने वाला वेतन विश्व स्तर पर दिए जाने वाले वेतन का बमुश्किल पांचवां हिस्सा है। इसलिए इससे एक फायदा मिलता है। नायर ने कहा, इसरो के विज्ञानी वास्तव में पैसे के बारे में चिंतित नहीं रहते हैं। वह संवेदनशील हैं और अपने मिशन के प्रति समर्पित हैं। यही कारण है कि हमने यह महान उपलब्धि हासिल की है।

भारत के अंतरिक्ष मिशन का खर्च

इसरो के विज्ञानियों ने सावधानी के साथ योजना बनाकर और अपनी दूरदृष्टि से यह सफलता अर्जित की है। इसरो के पूर्व प्रमुख ने कहा कि भारत अपने अंतरिक्ष मिशन के लिए स्वदेश में विकसित प्रौद्योगिकी का उपयोग करता है। इससे लागत को उल्लेखनीय रूप से कम रखने में मदद मिलती है। भारत के अंतरिक्ष मिशन का खर्च अन्य देशों के मिशन की तुलना में 50 से 60 प्रतिशत तक कम है।

हमने वास्तव में पहली बाधा पार कर ली है: माधवन

माधवन नायर ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता से भारत की तकनीकी क्षमता और प्रक्षेपण प्रणाली को वैश्विक स्वीकृति मिलेगी। इससे देश को और ज्यादा वाणिज्यिक अनुबंध मिलेंगे। चंद्रयान-3 मिशन की सफलता ग्रहों की खोज करने की दिशा में भारत का पहला कदम है। हमने वास्तव में पहली बाधा पार कर ली है और यह एक अच्छी शुरुआत है।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का रहा है एजेंडा: इसरो प्रमुख

पूर्व इसरो प्रमुख ने कहा कि भारत ने यूरोप और अमेरिका के साथ पहले ही कई वाणिज्यिक करार किए हैं। तीसरे चंद्र मिशन की सफलता से अब इसमें और बढ़ोतरी होगी। इसमें कोई संदेह नहीं कि वैश्विक स्तर पर लोग हमारी तकनीकी दक्षता को स्वीकार करेंगे। हमारी प्रक्षेपण प्रणाली की गुणवत्ता और अंतरिक्ष यान पर उनका भरोसा बढ़ेगा। अंतरराष्ट्रीय सहयोग भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का एजेंडा रहा है। आने वाले दिनों में यह और प्रगाढ़ होगा। इसरो के अनुसार, चंद्रयान-3 पर 615 करोड़ रुपये का खर्च आया है, जो लगभग किसी हिंदी फिल्म की लागत के बराबर है।