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भारत के बगैर वैश्विक चुनौतियों का समाधान नहीं, जर्मनी के राजदूत ने माना लोहा

भारत में जर्मनी के राजदूत वाल्टर जे लिंडर ने कहा कि इस माह के शुरुआत में हुए ग्लासगो जलवायु कान्फेंस से पता चल गया है कि देशों को एक दूसरे की जरूरत है और तो और वैश्विक चुनौतियेां का समाधान भारत के बगैर नहीं है।

By Monika MinalEdited By: Updated: Thu, 25 Nov 2021 04:58 AM (IST)
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भारत के बगैर वैश्विक चुनौतियों का समाधान नहीं- जर्मन दूत
 नई दिल्ली, एएनआइ। भारत में जर्मनी के राजदूत वाल्टर जे लिंडर ( Walter J Lindner)  ने बुधवार को कहा कि इस माह के शुरुआत में हुए ग्लासगो जलवायु कांफ्रेंस ( Glasgow climate conference ) से पता चल गया है कि देशों को एक दूसरे की जरूरत है और तो और वैश्विक चुनौतियेां का समाधान भारत के बगैर नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि धरती पर हर पाचवां व्यक्ति भारतीय  है।  

स्काटलैंड के ग्लासगो में हुए कांंफ्रेंस में करीब 200 देशों ने हिस्सा लिया था और ग्लसगो जलवायु समझौेते के नतीजों को स्वीकार किया। समझौते के तहत 197 देशों को अगले साल के जलवायु लक्ष्य को हासिल करने में प्रगति को लेकर रिपाेेेर्ट देना होगा। अगले साल COP 27 मिस्र में होना है। 

12 दिनों तक चला  ग्लासगो शिखर सम्मेलन

ग्लासगो में विश्व के 130 से अधिक नेताओं ने सीओपी26 अंतरराष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन में शिरकत किया।

शिखर सम्मेलन ‘सीओपी26’ में वैश्विक तापमान को सीमित करने के उपायों पर सहमति बनाये जाने को लेेकर विचार किया गया। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जानसन और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने सोमवार की सुबह नेताओं का स्वागत किया। यह शिखर सम्मेलन 12 दिनों तक चला। ब्रिटिश प्रधानमंत्री जानसन ने सम्मेलन की पूर्व संध्या पर एक कड़ी चेतावनी जारी की और कहा कि पूर्व-औद्योगिक काल से वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस (2.7 डिग्री फारेनहाइट) तक सीमित रखने के लक्ष्य को बनाए रखने का यह आखिरी मौका है। उन्होंने कहा, 'यदि ग्लासगो में इस शिखर सम्मेलन से कुछ हासिल नहीं हो पाया तो पूरी बात विफल हो जाएगी।'