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रामपुर में नवाब जुल्फिकार अली खां-नूर बानो की मुहब्बत की मिसाल है 'नूरमहल'

यह नूरमहल नवाब खानदान की शान है। देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी खास मेहमान इस महल में आ चुके हैं। जानिए रामपुर के नूरमहल की ऐसी ही खूबियों और इतिहास के बारे में।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Mon, 10 Feb 2020 03:45 PM (IST)
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रामपुर में नवाब जुल्फिकार अली खां-नूर बानो की मुहब्बत की मिसाल है 'नूरमहल'
मुरादाबाद, मुस्लेमीन। शाहजहां ने अपनी बेगम की याद में आगरा में ताजमहल बनवा दिया। कुछ इसी तरह रामपुर में नवाब जुल्फिकार अली खां उर्फ मिक्की मियां ने अपनी बेगम नूरबानो के लिए नूरमहल बनवा दिया। यह नूरमहल नवाब खानदान की शान है। देश ही नहीं, बल्कि विदेश से भी खास मेहमान इस महल में आ चुके हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और एचडी देवेगौड़ा भी इस महल में आए। इंदिरा गांधी तो यहां रात में रुकीं भी थीं। नेता ही नहीं, बल्कि अभिनेता भी इस महल में रातें गुजार चुके हैं। मशहूर फिल्म अदाकार दिलीप कुमार यहां लगातार कई दिन रुके। इनके अलावा कई देश के राजदूत भी यहां आते रहे हैं। जानिए रामपुर के नूर महल की ऐसी ही खूबियों और इतिहास के बारे में।

आजादी से पहले रामपुर में नवाबों का राज था। अब जिस तरह केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में राज्यपाल राजभवन में रहते हैं। ठीक उसी तरह नवाबी दौर में अंग्रेजी हुकुमत के वायसराय के प्रतिनिधि रामपुर रियासत में तैनात रहते थे। पहले नवाब खानदान किले में रहता था तो प्रतिनिधि का आवास भी वहीं था। 1930 में जब कोठी खास बाग बनी, तब कचहरी के पास राजभवन बनाया गया। इसी महल में वायसराय के प्रतिनिधि रहने लगे। 1947 में देश आजाद हुआ, लेकिन रामपुर इसके दो साल बाद 1949 में आजाद हुआ, तब राजभवन को गेस्ट हाउस बना दिया गया। इसका नाम नवाब रजा अली खां के बेटे नवाब जुल्फिकार अली खां उर्फ मिक्की मियां के नाम पर जुल्फिकार मंजिल रखा गया।

1956 में मिक्की मियां की शादी बेगम नूरबानो के साथ हुई तब नूरबानो दुल्हन के रूप में कोठी खासबाग आईं। कई साल तक यहीं रहीं, लेकिन बाद में मिक्की मियां परिवार समेत जुल्फिकार मंजिल में रहने लगे। वह बेगम नूरबानो से बेपनाह मुहब्बत करते थे। इसलिए उन्होंने अपने महल का नाम भी जुल्फिकार मंजिल से बदलकर बेगम के नाम पर नूरमहल रख दिया। नूरमहल की रामपुर ही नहीं, बल्कि देश की सियासत में भी खास पहचान रही है। मिक्की मियां पांच बार और बेगम नूरबानो दो बार सांसद चुनी गईं, जबकि उनके बेटे नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां लगातार पांच बार विधायक निर्वाचित हुए। यही वजह रही कि देश की तमाम सियासी हस्तियां भी नूरमहल आती रहीं।

क्या कहती हैं बेगम नूरबानो

बेगम नूरबानो बताती हैं कि नूरमहल में बड़े-बड़े नेता और अभिनेता आते रहे हैं। देश की ताकतवर प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी भी नूरमहल में आई थीं, उन्होंने रात भी यहीं बिताई थी। उस रात वह पूरी रात जागीं और इंदिरा गांधी की पहरेदारी करती रहीं। 1996 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा यहां आए और लंच भी यहीं किया। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन मनमोहन सिंह भी पीएम बनने से पहले नूरमहल आए थे। उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान बिलासपुर में जनसभा को संबोधित किया था। इनके अलावा दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित कई बार नूरमहल आईं। उनके पति विनोद दीक्षित से मिक्की मियां के घनिष्ठ संबंध थे, जबकि विनोद दीक्षित के पिता उमा शंकर दीक्षित से नवाब रजा अली खां के पारिवारिक संबंध रहे। इनके अलावा उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कई बार मुख्यमंत्री रहे नारायण दत्त तिवारी और हरीश रावत भी बार-बार नूरमहल आए। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और उत्तर प्रदेश के कई राज्यपाल भी नूरमहल आते रहे।

दिलीप कुमार से पारिवारिक संबंध

बेगम नूरबानो बताती हैं कि मशहूर फिल्म अदाकार दिलीप कुमार के नवाब खानदान से पारिवारिक संबंध रहे हैं। वह मिक्की मियां के बहुत करीबी रहे। लगातार कई दिन नूरमहल में ठहरे। वह हारमोनियम पर गजलें सुनाते थे। मिक्की मियां और नूरबानो की चुनावी सभाओं में भी यहां आते रहे। बेगम नूरबानो के बेटे पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां बताते हैं कि नूरमहल में विदेशी मेहमान भी दर्जनों की तादात में आए हैं। इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, तुर्की समेत दर्जनों देशों के राजदूत नूरमहल के मेहमान रह चुके हैं।

अंग्रेजी दौर के पेड़-पौधे

नूरमहल करीब 22 बीघे में बना है। नवाब खानदान के लोग जिस हिस्से में रहते हैं, उसके द्वार पर खूबसूरत स्टैचू बने हैं। इसके सामने गार्डन है, जिसमें आजकल गुलाब की बहार आई है। बेगम नूरबानो को फूल-पौधों से बेहद लगाव है। बताती हैं कि वह खुद भी इनकी देखभाल करती हैं। जब वह कोठी खासबाग में रहती थीं तब वहां मुगल गार्डन था, वह अक्सर वहां बैठकर खाना खाती थीं। नूरमहल पहुंची तो उसमें भी खूबसूरत गार्डन तैयार कराया। इसमें कई पौधे ऐसे भी हैं, जो अंग्रेज अधिकारियों द्वारा लगाए गए हैं। एक पेड़ तो गोलाकार है और चारों ओर से झुक गया है। उसके नीचे कई लोग कुर्सियां डालकर बैठ सकते हैं। वह अक्सर इसके नीचे बैठती हैं।

खास बाग भी है खास

बेगम नूरबानो, नूरमहल से पहले जिस खास बाग में रहती थीं, उसकी भी खास पहचान है। यह देश की पहली फुली एयर कंडीशनर कोठी है। इस कोठी में ढाई सौ कमरे हैं और तमाम कमरों में एयर कंडीशनर सिस्टम लगा था। आजकल नवाब खानदान में बंटवारे की प्रक्रिया चल रही है। इसके लिए खानदान के तमाम लोग खास बाग पहुंच रहे हैं।

दरअसल इसी कोठी में नवाबों का स्ट्रॉन्ग रूम है, जिसमें हीरे-जवाहरात रखे हैं। स्ट्रॉन्ग रूम को खोल कर हीरे- जवाहरात का सर्वे व मूल्यांकन किया जाएगा। कोठी खासबाग में ही नवाब खानदान की आर्मरी है। इसमें नवाबी दौर के हजारों हथियार हैं। इनमें रायफल, पिस्टल, रिवॉल्वर, बंदूक आदि शामिल हैं। इन हथियारों का भी बंटवारा होगा। नवाब खानदान की अरबों रुपये की संपत्ति है। इसमें 16 हिस्सेदार हैं।

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