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संयुक्त राष्ट्र को विदेश मंत्री जयशंकर ने सुनाई खरी-खरी, कहा- यह पुरानी कंपनी की तरह, इशारों-इशारों में भविष्य भी बता दिया

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र की प्रासंगिकता पर सवाल उठाए। उन्होंने हाल के वर्षों में कोविड महामारी और यूक्रेन व मध्य पूर्व में चल रहे संघर्षों समेत अहम वैश्विक चुनौतियों से निपटने में संगठन की घटती प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। विदेश मंत्री ने कोविड-19 महामारी के दौरान संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर भी सवाल उठाया। आइए जानते हैं पूरा मामला।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Mon, 07 Oct 2024 04:49 AM (IST)
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विदेश मंत्री एस. जयशंकर की फाइल फोटो।

एएनआई, नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने परोक्ष रूप से संयुक्त राष्ट्र पर कटाक्ष किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र को एक पुरानी कंपनी बताया और यह भी कहा कि आज इसकी प्रासंगिकता नहीं बची है। कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में रविवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र एक पुरानी कंपनी की तरह है, जो बाजार के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रहा है। मगर जगह घेर रखा है।

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भारत ने हमेशा सुधार की वकालत की

विदेश मंत्री ने कहा कि कामकाज में कमतर होने के बावजूद आज आपके पास संयुक्त राष्ट्र है। मगर प्रमुख मुद्दों पर जब यह संस्था आगे नहीं आती है तो देश अपने तरीके खोज लेते हैं। भारत ने हमेशा बहुपक्षीय संस्थाओं के सुधार की वकालत की है। इसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विस्तार भी शामिल है।

संयुक्त राष्ट्र अब एकमात्र रास्ता नहीं

विदेश मंत्री ने जयशंकर ने आगे कहा कि हालांकि अभी संयुक्त राष्ट्र का अस्तित्व बना है। मगर यह अब वैश्विक समस्याओं पर देशों के सहयोग के लिए एकमात्र रास्ता नहीं है। उन्होंने कहा कि पिछले 5-10 वर्षों में शायद हमारे जीवन में सबसे बड़ी घटना कोविड थी। सोचें कि संयुक्त राष्ट्र ने कोविड में क्या किया? मुझे लगता है कि इसका उत्तर बहुत अधिक नहीं है। इस दौरान देशों ने या तो अपने तरीके से काम किया जैसे कोवैक्स जैसी पहल। इसे देशों के समूह ने बनाया था। कोवैक्स पहल संयुक्त राष्ट्र के ढांचे से बाहर तैयार किया गया था।

मूकदर्शक बना संयुक्त राष्ट्र

विदेश मंत्री ने कहा कि यूक्रेन और मध्य पूर्व में चल रहे दो संघर्षों में संयुक्त राष्ट्र कहां हैं? सिर्फ अनिवार्य रूप से एक मूकदर्शक बना है। जब महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक संकटों से निपटने की बात आती है तो यह संगठन काफी हद तक निष्क्रिय हो जाता है। संयुक्त राष्ट्र जारी रहेगा। मगर तेजी से एक गैर-संयुक्त राष्ट्र स्थान बन रहा है, जो सक्रिय स्थान है। इससे यह पता चलता है कि देश संयुक्त राष्ट्र से बाहर गठबंधन बना रहे हैं।

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