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वायनाड में जमीन में दबे लोगों को क्या खोज पाएगी अंतरिक्ष तकनीक? ISRO चीफ ने सबकुछ कर दिया साफ

केरल के वायनाड जिले में भूस्खलन की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। 30 जुलाई की रात पहाड़ी दरकने से चार गांव पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं। सैकड़ों लोग अब भी लापता हैं। उनकी तालाश में बचाव टीम जुटी हैं। खोजी कुत्तों और सेंसरयुक्त विशेष ड्रोन की मदद से मलबे में दबे लोगों की तलाश की जा रही है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Sat, 03 Aug 2024 11:53 PM (IST)
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष एस. सोमनाथ। (फाइल फोटो)

पीटीआई, बेंगलुरु। केरल के वायनाड जिले में भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई है। अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। वहीं बड़ी संख्या में लोग लापता हैं। मलबे में दबे लोगों की तलाश की जा रही है। इसमें खास सेंसर युक्त ड्रोनों की भी मदद ली जा रही है। मगर इस बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने शनिवार को कहा कि अंतरिक्ष तकनीक का इस्तेमाल करके भूस्खलन के मलबे के नीचे दबे लोगों का पता लगाना संभव नहीं है।

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जमीन के नीचे क्या है... यह पता लगाना संभव नहीं

सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष तकनीक के जरिये जमीन की एक निश्चित गहराई की जानकारी हासिल की जा सकती है। मगर लोगों को खोजने के लिए इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। उन्होंने इंस्टाग्राम पर इसरो द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में इससे जुड़े सवाल पर जवाब दिया।ॉ

उन्होंने कहा कि मलबे के नीचे दबी वस्तुओं का पता लगाने के लिए अंतरिक्ष-आधारित सेंसर की सीमाएं हैं। अंतरिक्ष तकनीक से जमीन के नीचे क्या है, इसका पता लगाना संभव नहीं है।

गगनयात्रियों पर दी ये जानकारी

भारत-अमेरिका मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए चयनित दो ‘गगनयात्री’ से जुड़े सवाल का भी सोमनाथ ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जाने की प्रक्रिया ही आपको बहुत कुछ सीखने का मौका देती है। हमारे एक अंतरिक्ष यात्री को तैयारी की पूरी प्रक्रिया का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे हमें पता चलेगा कि गगनयान मिशन के लिए गगनयात्रियों को कैसे तैयार किया जाए।

इसरो की असफलताओं पर भी बात की

सोमनाथ ने कहा कि जब गगनयात्री वास्तव में उड़ान के अनुभव से गुजरेंगे और वहां पहले से ही मौजूद अंतरराष्ट्रीय चालक दल के साथ काम करेंगे तो इससे उन्हें वास्तव में वह ज्ञान और कौशल प्राप्त होगा, जो इसरो को भारत के मिशन के लिए तैयार कर देगा। सोमनाथ ने इसरो की शुरुआती असफलताओं के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि 23 अगस्त को मनाए जाने वाले पहले राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस को लेकर उत्साहित हैं।

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