Gujrat Election 2022: 2017 के बाद से नोटा वोटों में आई 9% से अधिक की कमी, जानिए कहां पड़े कितने वोट
गुजरात विधानसभा चुनावों में नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) वोटों की हिस्सेदारी 2017 से 9 प्रतिशत से अधिक गिर गई है। इस बार खेडब्रह्मा सीट पर सबसे अधिक 7331 वोट पड़े हैं। राज्य में इस चुनाव में 501202 या 1.5% वोट नोटा थे।
By Versha SinghEdited By: Updated: Fri, 09 Dec 2022 10:41 AM (IST)
नई दिल्ली। गुजरात विधानसभा चुनावों में नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) वोटों की हिस्सेदारी 2017 से 9 प्रतिशत से अधिक गिर गई, इस बार खेडब्रह्मा सीट पर सबसे अधिक 7,331 वोट पड़े।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में इस चुनाव में 5,01,202 या 1.5 प्रतिशत वोट नोटा थे, जो 2017 के विधानसभा चुनावों में 5,51,594 से कम थे। खेड़ब्रह्मा सीट पर सबसे अधिक 7,331 नोटा वोट पड़े, इसके बाद दांता में 5,213 और छोटा उदयपुर में 5,093 वोट पड़े।
देवगढ़बरिया सीट पर 4,821 नोटा वोट, शेहरा में 4,708, निजार में 4,465, बारडोली में 4,211, डस्करोई में 4,189, धरमपुर में 4,189, चोरयासी में 4,169, सांखेड़ा में 4,143, वडोदरा सिटी में 4,022 और कपराडा में 4,020 वोट पड़े।
182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा में बीजेपी को 156 सीटें मिली हैं। इसने लगभग 53 प्रतिशत का वोट शेयर हासिल किया, जो पश्चिमी राज्य में पार्टी के लिए सबसे अधिक था।
2017 के विधानसभा चुनावों में 49.1 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 99 सीटें हासिल करने वाली भाजपा ने 2002 में 127 सीटों के अपने पिछले सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को पार कर लिया था, जब (अब प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री थे।
गुजरात में भाजपा की जीत के टूटे सारे रिकार्ड
गुजरात में भाजपा ने अब तक की जीते के सारे रिकार्ड तोड़ दिए और लगातार 7वीं बार जीत का कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। गुजरात का संदेश पार्टी नेताओं के लिए भी है और कांग्रेस जैसे मुख्य विपक्षी दल के लिए भी। गुजरात के साथ ही हिमाचल प्रदेश के भी नतीजे आए जहां भाजपा के हाथ से सत्ता छिन गई। एक दिन पहले ही दिल्ली नगर निगम के भी नतीजे आए थे जहां आम आदमी पार्टी ने भाजपा के 15 साल के शासन को खत्म कर दिया लेकिन इन दो स्थानों पर भी भाजपा ने अपना आधार कमजोर नहीं होने दिया, बल्कि वोट फीसद बढ़ा है।
फिर भी भाजपा के अंदर यह सवाल तेजी से उठ खड़ा हुआ है कि स्थानीय नेतृत्व अपने-अपने राज्यों में मोदी का गुजरात माडल क्यों नहीं तैयार कर पा रहा है। खुद प्रधानमंत्री मोदी कई मंचों से पार्टी को आगाह कर चुके हैं कि सिर्फ उनके भरोसे न बैठें। जनता से खुद का तार जोड़ें। कार्यकर्ताओं और जनता का विश्वास जीतें और उसे पूरा करें। हिमाचल में पार्टी वही नहीं कर पाई। बगावत और भितरघात ने रही सही कसर पूरी कर दी। दिल्ली में पार्टी के अंदर अब तक ऐसा कोई चेहरा ही नहीं पनप पाया है जिससे पूरी दिल्ली खुद को जोड़े।