मस्कुलर डिस्ट्राफी पीड़ित बच्चों के मुफ्त इलाज की मांग पर नोटिस, SC ने जनहित याचिका पर केंद्र से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने मस्कुलर डिस्ट्राफी से पीड़ित बच्चों के मुफ्त इलाज की मांग पर सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिका में मस्कुलर डिस्ट्राफी पीडि़त बच्चों के इलाज के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू करने और ऐसे बच्चों को विशेष पहचान पत्र जारी करने के लिए स्टैंडर्ड नीति बनाए जाने की मांग की गई है ताकि ये बच्चे किसी भी सरकारी या निजी अस्पताल में मुफ्त इलाज पा सकें।
By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Sun, 08 Oct 2023 10:47 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मस्कुलर डिस्ट्राफी से पीड़ित बच्चों के मुफ्त इलाज की मांग पर सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिका में मस्कुलर डिस्ट्राफी पीडि़त बच्चों के इलाज के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू करने और ऐसे बच्चों को विशेष पहचान पत्र जारी करने के लिए स्टैंडर्ड नीति बनाए जाने की मांग की गई है ताकि ये बच्चे किसी भी सरकारी या निजी अस्पताल में मुफ्त इलाज पा सकें।
क्या है मस्कुलर डिस्ट्राफी ?
मस्कुलर डिस्ट्राफी एक वंशानुगत जन्मजात बीमारी है, इसमें मांसपेशियों में कमजोरी के कारण शरीर का विकास नहीं होता। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने शुक्रवार को इस संबंध में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान नोटिस जारी किया और केंद्र सरकार की एडिशनल सालिसिटर जनरल ऐश्वर्य भाटी से कहा है कि वह मामले की सुनवाई में कोर्ट की मदद करें।
कुछ बच्चों के माता-पिता ने दाखिल की याचिका
यह याचिका मस्कुलर डिस्ट्राफी पीड़ित कुछ बच्चों के माता-पिता ने दाखिल की है। मस्कुलर डिस्ट्राफी में लगातार कमजोरी बढ़ती जाती है और हाथ, पैर व कमर की मांसपेशियां काम करना बंद कर देती हैं। बच्चा व्हील चेयर पर आ जाता है। मस्कुलर डिस्ट्राफी कई तरह की होती है। कुछ तरह की मस्कुलर डिस्ट्राफी का असर दिल, फेफड़ों और रीढ़ की हड्डी पर भी होता है। याचिका में कहा गया है कि इसकी जांच करने की कई तकनीक हैं। जागरूकता नहीं होने व जांच के अभाव में शुरुआत में बीमारी का पता नहीं चल पाता और समय पर इलाज शुरू नहीं हो पाता।परिजनों ने इलाज को बताया बहुत मंहगा
यह भी कहा गया है कि इसका इलाज बहुत मंहगा है और कुछ ही केंद्रों पर उपलब्ध है इसलिए ज्यादातर माता-पिता की पहुंच इस तक नहीं है। ज्यादातर राज्यों में इसका इलाज उपलब्ध ही नहीं है और जहां उपलब्ध है, वहां बहुत मंहगा है। मांग है कि एक नीति और दिशानिर्देश तैयार किए जाएं जिसमें मस्कुलर डिस्ट्राफी बच्चे का जन्म रोकने के लिए गर्भवती महिला का मुफ्त पैरेंटल टेस्ट किया जाए।
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याचिका में की गई मांग
इसके अलावा प्रत्येक राज्य की राजधानी में जीन थैरेपी सेंटर स्थापित करने के लिए कदम उठाए जाएं ताकि मस्कुलर डिस्ट्राफी पीड़ित बच्चे वहां मुफ्त सुविधा ले सकें। बच्चों को इस बीमारी की दवाइयां मुफ्त उपलब्ध कराई जाएं। याचिका में यह भी मांग की गई है कि मस्कुलर डिस्ट्राफी को रेयर डिसीज के बजाय स्पेशल कैटेगरी रेयर डिसीज के रूप में वर्गीकृत किया जाए और सरकार रेयर डिसीज नेशनल पालिसी, 2021 में इसके लिए वित्तीय मदद बढ़ाए। यह भी मांग की गई है कि सरकारी और निजी बीमा कंपनियां अपनी पालिसी नीति में मस्कुलर डिस्ट्राफी को भी शामिल करें।
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