अब गांवों के विकास में बाधा नहीं बनेगी भाषा, पंचायतीराज मंत्रालय ने उठाए कदम; ई-ग्राम स्वराज पोर्टल में किए गए बदलाव
लोकतांत्रिक व्यवस्था की सबसे निचली या कहें कि प्रारंभिक इकाई ग्राम पंचायत है। इन पंचायतों के बा¨शदे हों या जनप्रतिनिधि उनकी संवाद की भाषा स्थानीय होती है लेकिन अब तक शासन से संवाद के लिए बना ई-ग्राम स्वराज पोर्टल सिर्फ अंग्रेजी में था। पंचायतीराज मंत्रालय ने इसे समझते हुए भाषायी बाधा को दूर कर दिया है। इस दिशा में कई कदम उठाए गए हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: लोकतांत्रिक व्यवस्था की सबसे निचली या कहें कि प्रारंभिक इकाई ग्राम पंचायत है। इन पंचायतों के बाशिंदे हों या जनप्रतिनिधि उनकी संवाद की भाषा स्थानीय होती है, लेकिन अब तक शासन से संवाद के लिए बना ई-ग्राम स्वराज पोर्टल सिर्फ अंग्रेजी में था।
पंचायतीराज मंत्रालय ने इसे समझते हुए भाषायी बाधा को दूर कर दिया है। न सिर्फ यह पोर्टल अब हिंदी और अंग्रेजी सहित 22 स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध है, बल्कि देश में मौजूद अधिसंख्य हिंदी भाषी वर्ग का ध्यान रखते हुए मंत्रालय की वेबसाइट को भी मूल रूप से हिंदी का ही बना दिया गया है। मोदी सरकार पंचायत स्तर तक विकास की गति तेज करने के लिए लगातार प्रयासरत है। इस दिशा में कई कदम उठाए गए हैं।
विकास योजना के लिए बना आनलाइन पोर्टल ई-ग्राम स्वराज
इसी बीच पंचायतीराज मंत्रालय को विभिन्न संवाद कार्यक्रमों में फीडबैक मिला कि पंचायत विकास से जुड़ी गतिविधियों और ग्राम पंचायत विकास योजना अपलोड करने के लिए जो आनलाइन पोर्टल ई-ग्राम स्वराज बना है, वह अंग्रेजी भाषा में है।चूंकि, पंचायत स्तर के ज्यादातर जनप्रतिनिधि अंग्रेजी की समझ नहीं रखते, इसलिए उनकी निर्भरता अधिकारियों या अन्य लोगों पर रहती है। ऐसे में विकास योजनाओं में ग्रामीणों की सहभागिता बढ़ाने का जो सरकार का प्रयास है, उसमें बहुत बड़ी बाधा महसूस की जा रही थी।
'विकास कार्यक्रमों को सरकार आगे बढ़ाना चाहती'
पंचायतीराज सचिव विवेक भारद्वाज ने बताया कि देश की भाषायी विविधता को साथ लेकर विकास कार्यक्रमों को सरकार आगे बढ़ाना चाहती है। सचिव का मानना है कि देश में सबसे प्रमुख संपर्क भाषा हिंदी है, इसलिए वेबसाइट हिंदी में होने से पंचायतों से जुड़ी जानकारी बड़े वर्ग तक सुलभ हो जाएगी।इन भाषाओं में पोर्टल हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी, तमिल, तेलुगु, गुजराती, ओडिया, कन्नड़, मलयालम, बांग्ला, मराठी, असमी, उर्दू, नेपाली, संस्कृत, बोडो, डोगरी, मैथिली, मणिपुरी, कश्मीरी, कोंकणी और संथाली।