किसान दीदी कहकर पुकारते हैं लोग, बेहद प्रेरक है पुष्पा की कहानी
परिवार जैसे-जैसे बढ़ रहा था, गरीबी और तमाम समस्याएं उसी रफ्तार से बढ़ रही थीं। पुष्पा को जब कुछ न सूझा तो कुदाल उठाकर बंजर जमीन की ओर रुख किया।
मुहम्मद तकी, चाईबासा। पश्चिमी सिंहभूम जिले के एक गांव की रहने वाली पुष्पा सिंकू को लोग अब किसान दीदी कहकर पुकारते हैं। वह यहां इसी नाम से मशहूर हैं। पुष्पा की कहानी दिलचस्प और प्रेरक है। परिवार में जीविका का साधन महज खेती ही थी। लेकिन अधिकांश जमीन बंजर। परिवार जैसे-जैसे बढ़ रहा था, गरीबी और तमाम समस्याएं उसी रफ्तार से बढ़ रही थीं। पुष्पा को जब कुछ न सूझा तो कुदाल उठाकर बंजर जमीन की ओर रुख किया। संघर्ष ही संघर्ष था। लेकिन उन्होंने सूझबूझ और धैर्य से काम लिया। अंतत: बंजर जमीन में उम्मीद का अंकुरण हो ही गया।
रंग लाई मेहनत-सूझबूझ: बंजर जमीन को उपजाऊ बना देने में पुष्पा को दस वर्ष लगे। लेकिन उन्होंने जो ठाना, उसे कर दिखाया। पुष्पा अब किसान दीदी बनकर दूसरी महिलाओं को खेती के लिए प्रेरित कर रही हैं। यह वर्ष 2007 की बात है, जब पुष्पा को कुदाल उठाने पर मजबूर होना पड़ा था। पहली बार में घोर असफलता ही हाथ लगी। लगा कि बंजर जमीन बंजर ही रहेगी। लेकिन पुष्पा ने हिम्मत नहीं हारी। उनके पास कोई विकल्प भी नहीं था। किस्मत से कृषि विभाग के वैज्ञानिकों से संपर्क हुआ। और बात बन गई।
ऐसे बनी बात: वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए तरीके काम के साबित हुए। पुष्पा ने पारंपरिक तरीके को छोड़ श्रीविधि से धान की खेती की। अच्छा उत्पादन हुआ। पुष्पा ने असंभव को संभव कर दिखाया। उनका हौसला बढ़ता गया। 10 एकड़ जमीन पर भरपूर उत्पादन होने लगा। वैज्ञानिकों की सलाह पर उन्होंने स्वत: ही जैविक खाद भी बनाना शुरू किया। पहले उनके पास दो गाय थीं, लेकिन जैविक खाद के लिए उन्होंने एक-एक कर 14 गाय कर ली हैं। पशुधन से जहां जैविक खाद सुलभ हो गई है, वहीं, दूध बेचकर उन्हें हर माह 25 हजार रुपये की कमाई हो रही है। पुष्पा के अनुसार, वह धान, गेहूं, सरसो, तीसी, फूलगोभी, बंधगोबी, मिर्च, टमाटर, धनिया, करेला, नेनुआ, लौकी समेत अन्य मौसमी सब्जी की खेती भी करती हैं।
मिले कई पुरस्कार: पुष्पा ने खेती से अपने परिवार को समृद्ध तो किया ही महिला स्वसहायता समूह बनाकर इलाके की अन्य महिलाओं को उन्नत कृषि का प्रशिक्षण भी वह दे रही हैं। वर्ष 2008 में रांची में आयोजित कृषि मेला में उन्हें सर्वश्रेष्ठ महिला कृषक का सम्मान मिला। 2010 में जिला स्तरीय कृषि मेला में भी उन्हें सर्वश्रेष्ठ महिला कृषक चुना गया। वहीं 2014 में हैदराबाद में हुए अखिल भारतीय कृषक सम्मेलन में उन्हें सर्वश्रेष्ठ महिला किसान का सम्मान प्रदान किया गया।
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