अब CAT, CLAT और CUET की भी कोचिंग दिलाएगी सरकार, छात्रों को Private Coaching Center के चंगुल से निकालने का प्रयास
पिछले दिनों दिल्ली में तीन बच्चों की कोचिंग सेंटर में मौत के बाद देशभर में हंगामा मचा हुआ है। इस बीच केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि सरकार छात्रों को कोचिंग सेंटरों की दुनिया से बाहर लाना चाहती है और इसके लिए कानूनी व सामाजिक हर प्रयास किए जाएंगे। साथ ही आश्वासन दिया गया कि बच्चों को सरकार की तरफ से मदद किया जाएगा।
अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। निजी कोचिंग सेंटरों पर छात्रों से न सिर्फ बड़ी रकम वसूलने, बल्कि कई अन्य सवाल भी खड़े हो रहे हैं। इन पर नकेल की मांग उठ रही है। ऐसे में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में स्पष्ट किया कि सरकार छात्रों को कोचिंग सेंटरों की दुनिया से बाहर लाना चाहती है और इसके लिए कानूनी व सामाजिक हर प्रयास किए जाएंगे। इसमें सरकारी 'साथी' (सेल्फ असेसमेंट, टेस्ट एंड हेल्प आफ एंट्रेंस एक्जाम) कारगर होगा।
इसकी शुरुआत पिछले वर्ष जेईई-मेन की तैयारी कराने से हुई थी। अब इसके जरिये जेईई-एडवांस, नीट-यूजी और केंद्रीय सेवाओं के ग्रेड-2 व ग्रेड-3 श्रेणी के कर्मचारियों के चयन के लिए आयोजित एसएससी जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को नि:शुल्क आनलाइन कोचिंग उपलब्ध कराई जा रही है। इसमें जल्द ही विधि संस्थानों में प्रवेश से जुड़ी परीक्षा क्लेट, प्रबंधन संस्थानों में प्रवेश से जुड़ी परीक्षा कैट के साथ ही विश्वविद्यालयों में प्रवेश से जुड़ी परीक्षा सीयूईटी को शामिल करने की तैयारी है। कोई भी छात्र इसके लिए रजिस्ट्रेशन कराकर पढ़ सकेगा।
सभी परीक्षाओं में देश के 50 लाख से ज्यादा छात्र शामिल
प्रतिवर्ष इन सभी परीक्षाओं में देश के 50 लाख से ज्यादा छात्र शामिल होते हैं। ऐसे में यह पहल इन सभी छात्रों के लिए बड़ी मदद है। सरकार का इस दिशा में उत्साह तब बढ़ा है, जब इस वर्ष उन्हें जेईई-मेन की कोचिंग में बड़ी सफलता मिली। इसके जरिये पढ़ाई करने वाले 12 सौ से ज्यादा छात्रों ने क्वालीफाई किया। 'साथी' प्रोजेक्ट से जुड़े शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, आने वाले दिनों में इसे निजी ऑनलाइन कोचिंग के मुकाबले खड़ा करने की तैयारी है।'शीर्ष संस्थानों के शिक्षकों की मदद ली जा रही है'
जिसमें आइआइटी, एनआइटी, आइआइएम और एम्स जैसे देश के शीर्ष संस्थानों के शिक्षकों की मदद ली जा रही है। वे न सिर्फ पढ़ाएंगे, बल्कि वे छात्रों की मदद के लिए ऑनलाइन उपलब्ध भी रहेंगे। उनके विषय आधारित वीडियो और लेक्चर तैयार कराकर डाले जा रहे हैं। यह अंग्रेजी व हिंदी के साथ ही तमिल, कन्नड़ व उर्दू जैसी भाषाओं में भी हैं। इस पहल को छात्रों के लिए इसलिए भी उपयोगी माना जा रहा है क्योंकि इनमें पढ़ाने वाले शिक्षकों की योग्यता में कोई संशय नहीं है, दूसरा इसके लिए छात्रों को निजी को¨चग की तरह मोटी राशि नहीं चुकानी पड़ेगी।