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दुर्घटनाओं की संख्या घटी, लेकिन बढ़ गईं मौतें; पिछले साल सड़क दुर्घटना में 15 हजार से ज्यादा लोगों की हुई मौत

सड़क परिवहन मंत्रालय ने 2021 में मार्ग दुर्घटनाओं पर जारी की वार्षिक रिपोर्ट। रिपोर्ट के मुताबिक 2019 के मुकाबले हादसों में 8.1 प्रतिशत और घायलों की संख्या में 14.8 प्रतिशत की गिरावट हुई। पिछले साल 412432 मार्ग दुर्घटनाएं हुईं जिनमें 153972 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।

By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarUpdated: Wed, 28 Dec 2022 09:05 PM (IST)
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पिछले साल 412432 मार्ग दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 153972 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मार्ग दुर्घटनाओं पर नियंत्रण और लोगों की जान बचाने के मामले में कुछ सकारात्मक संकेत उभरे हैं, लेकिन इन्हें आधा करने का लक्ष्य अभी भी दूर नजर आ रहा है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने बुधवार को 2021 में मार्ग दुर्घटनाओं से संबंधित रिपोर्ट जारी कर दी, जो देश में सड़क सुरक्षा की बुनियादी तस्वीर को सामने लाती है। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल 412432 मार्ग दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 153972 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी, जबकि 384448 लोग घायल हुए।

जान गंवाने वाले लोगों की संख्या में 1.9 प्रतिशत की हुई बढ़ोतरी 

2020 में दुर्घटनाओं, मृत्यु और घायलों की संख्या में खासी गिरावट आई थी, लेकिन यह मुख्य रूप से कोरोना महामारी के दौरान पूरे देश में लगाए गए लाकडाउन के कारण थमीं गतिविधियों की देन थी। इस लिहाज से 2019 के मुकाबले 2021 में तमाम प्रमुख संकेतकों पर हालात बेहतर होते नजर आ रहे हैं। इन दो वर्षों की तुलना करें तो 2021 में 2019 के मुकाबले दुर्घटनाएं 8.1 प्रतिशत कम हुई हैं और घायल होने वाले लोगों की संख्या भी 14.8 प्रतिशत घटी है। हालांकि जान गंवाने वाले लोगों की संख्या में 1.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

नेशनल हाईवे, दुर्घटनाओं के लिहाज से सबसे अधिक खतरनाक

मंत्रालय के अनुसार यह रिपोर्ट राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस से मिले डाटा के अनुसार एशिया और पैसेफिक क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग के मानक फार्मेट पर तैयार की गई है। दस भागों पर आधारित इस रिपोर्ट में सड़कों की लंबाई और वाहनों के घनत्व के परिप्रेक्ष्य में मार्ग दुर्घटनाओं का ब्योरा दिया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार नेशनल हाईवे दुर्घटनाओं के लिहाज से सबसे अधिक खतरे वाले साबित हुए हैं। पिछले साल एक्सप्रेस वे समेत नेशनल हाईवे पर 128825 दुर्घटनाएं हुईं, जो कुल हादसों का 31.2 प्रतिशत हैं। स्टेट हाईवे में 96382 दुर्घटनाएं (23.4 प्रतिशत) हुईं। शेष 187225 हादसे दूसरी सड़कों पर हुए। 2021 में 142163 हादसे ऐसे रहे जिनमें किसी की जान गई। इनमें से 50953 यानी 35.7 प्रतिशत घटनाएं राष्ट्रीय राजमार्ग पर हुईं, जबकि स्टेट हाईवे पर 34946 (24.6 प्रतिशत) और अन्य सड़कों पर 56264 (39.6 प्रतिशत) दुर्घटनाएं हुईं।

ओवरस्पीडिंग की वजह से हुए सबसे ज्यादा हादसे 

नेशनल हाईवे पर सड़क हादसों के लिहाज से टाप टेन राज्यों में तमिलनाडु दुर्घटनाओं की संख्या के लिहाज से और उत्तर प्रदेश जान गंवाने वाले लोगों की संख्या के लिहाज से सबसे आगे है। सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ने सड़क परिवहन मंत्रालय को निर्देश दिया था कि वह नेशनल हाईवे पर होने वाले हादसों के लिए अधिकार क्षेत्र के आधार पर डाटा एकत्र करे। इस पर अमल के लिए राज्यों से तीन अतिरिक्त पैरामीटर पर जानकारी जुटाई गई। रिपोर्ट के अनुसार 2021 में हादसों का सबसे बड़ा कारण ओवरस्पीडिंग माना गया है। पिछले साल जिन लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी उनमें 69.6 प्रतिशत का कारण ओवरस्पीडिंग रहा, जबकि गलत साइड पर ड्राइविंग ने 5.2 प्रतिशत लोगों की जान ली।

रिपोर्ट ने यह तथ्य भी सामने रखा है कि 46.9 प्रतिशत हादसे, 54.2 प्रतिशत मौतें और 46.9 प्रतिशत इंजरी खुले इलाके में हुईं यानी ऐसे स्थान जहां सामान्य तौर पर आसपास मानवीय गतिविधि नहीं होती। अगर रोड फीचर की बात की जाए तो 67.5 प्रतिशत दुर्घटनाएं सीधी सड़क पर हुईं। घुमावदार और गड्ढों से भरी सड़कों पर कुल 13.9 प्रतिशत हादसे हुए।

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