Delhi Pollution: आर्टिफिशियल बारिश, स्मॉग टावर, पानी का छिड़काव... पढ़ें दिल्ली में प्रदूषण रोकने की क्या है योजना
Delhi Pollution कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में दिल्ली पंजाब सहित सभी पड़ोसी राज्यों के साथ बैठक हुई है। उच्चस्तरीय बैठक में कई अहम फैसले लिए गए हैं। वायु प्रदूषण के खिलाफ छिड़ी जंग में पुलिस को उतारने का फैसला लिया गया है। इसके अलावा सभी राज्यों को प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ सख्ती से निपटने के निर्देश दिए गए हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वायु प्रदूषण की खतरनाक स्थिति से जूझ रहे दिल्ली में राज्य सरकार की ओर से प्रस्तावित ऑड ईवन फॉर्मूले को जहां खारिज कर दिया है, वहीं इसकी जगह दूसरे विकल्पों को आजमाने का सुझाव दिया है, इसमें कृत्रिम बारिश कराने जैसे विकल्प भी शामिल है। इसके साथ ही राज्यों से वायु प्रदूषण के खिलाफ छिड़ी इस मुहिम में पुलिस को उतारने के निर्देश दिए है, जिससे पराली जलाने वाले लोगों सहित सहित वायु प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ सख्ती से निपटा जा सके।
बैठक में सभी राज्यों ने दिए सुझाव
वायु प्रदूषण के संकट से निपटने के लिए केंद्र ने यह निर्देश बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की अगुवाई में हुई उच्च स्तरीय बैठक में दिए हैं। बैठक में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की सचिव लीना नंदन सहित कृषि, ऊर्जा और शहरी विकास मंत्रालय के सचिवों के अतिरिक्त पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश सहित सभी पड़ोसी राज्यों के मुख्य सचिव व डीजीपी, प्रदूषण बोर्ड से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। करीब तीन घंटे चली इस उच्च स्तरीय बैठक में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति से निपटने के फौरी और दीर्घकालिक उपायों पर भी लंबी चर्चा की गई। इस बीच सभी राज्यों ने अपने-अपने प्रस्ताव भी दिए।
दिल्ली सरकार को दिए गए विकल्प
दिल्ली ने इस दौरान ऑड-ईवन फार्मूले को लागू करने का प्रस्ताव रखा, जिसे कैबिनेट सचिव ने यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि यह उपयुक्त नहीं है। इसके अतिरिक्त दूसरे विकल्पों पर विचार किया जाए। खासकर दिल्ली में जो भी स्मॉग टावर लगाए गए है, उन्हें चलना सुनिश्चित कराया जाए। मौजूदा समय में इनमें से ज्यादा बंद है या कुछ ही समय वो चलते हैं। सड़कों पर पानी के छिड़काव में तेजी लायी जाए, साथ ही सड़कों की सफाई में इस बात का ध्यान रखा जाए, कि धूल न उड़े। इसके लिए मशीनों के जरिए सड़कों की सफाई को प्राथमिकता दी जाए।
पहली बार राज्यों के डीजीपी भी हुए शामिल
वायु प्रदूषण से निपटने के लिए बुलाई उच्च स्तरीय बैठक में पहली बार सभी राज्यों के डीजीपी को शामिल किया गया था, जिसमें सभी से वायु प्रदूषण की रोकथाम से जुड़े नियमों को सख्ती से लागू करने में मदद करने के लिए कहा गया है। खासकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलने की शिकायतों पर तुरंत ही ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा गया है।
पराली जलाने की घटनाओं पर नाराज कैबिनेट सचिव
बैठक में कैबिनेट सचिव ने पिछले साल के मुकाबले पंजाब में पराली के जलने की बढ़ी घटनाओं को लेकर कड़ी नाराजगी जताई और वहां के मुख्य सचिव से ऐसी घटनाओं पर तत्काल रोक लगाने के लिए कहा। इसके साथ ही दिल्ली-एनसीआर में दौड़ रही सभी पुरानी गाडि़यों को तत्काल सीमा से बाहर करने के निर्देश दिए है। पुलिस से इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए कहा है।
दिल्ली में जल्द आजमाया जा सकता है कृत्रिम बारिश का प्रयोग
केंद्र के सुझाव के बाद दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति से निपटने के लिए कृत्रिम बारिश के प्रस्ताव पर रूचि दिखाई है। इसे लेकर आईआईटी कानपुर के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक भी की गई है, जिसमें इससे जुड़ी संभावनाओं को तलाशा गया है। इस दौरान दिल्ली सरकार ने 20-21 नवंबर को दिल्ली में कृत्रिम बारिश होने की संभावना जताई है। हालांकि, आईआईटी से इस बारिश को पहले कराने के लिए कहा गया था, लेकिन इससे जुड़ी तैयारियों में लगने वाले समय को देखते हुए आईआईटी कानुपर ने 20 नंवबर तक का समय दिया है। वैसे तो इसे दीपावली के आसपास ही कराने के लिए कहा गया है।
दिल्ली को भविष्य में ई-व्हीकल जोन में तब्दील करने का भी प्रस्ताव
हालांकि यह बहुत मुश्किल है, लेकिन वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति से दिल्ली-एनसीआर को बचाने के लिए रखी गई उच्च स्तरीय बैठक में ऐसी स्थिति से निपटने के लिए कई दीर्घकालिक उपायों पर भी चर्चा की गई, जिसमें भविष्य में पूरी दिल्ली को ई-व्हीकल जोन के रूप में तब्दील करने का भी एक प्रस्ताव था। इसके तहत यहां पेट्रोल और डीजल वाहन पूरी तरह प्रतिबंधित हो जाएगा। यहां सिर्फ ई-व्हीकल को ही चलने की अनुमति रहेगी। वैसे भी मौजूदा समय में दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण में गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण की बड़ी हिस्सेदारी है।
पंजाब ने मांगा धान के अतिरिक्त दूसरी फसलों पर भी एमएसपी
बैठक में पंजाब ने धान के अतिरिक्त दूसरी फसलों के विकल्पों को भी सामने रखा और केंद्र सरकार से मांग की कि वह धान की तरह दूसरी फसलों खासकर मोटे अनाज पर भी एमएसपी (न्यूनमत समर्थन मूल्य) दी जाए। इस पर केंद्रीय कृषि मंत्रालय के सचिव ने कहा कि वह उनके प्रस्ताव पर विचार करेंगे।
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