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Odisha Train Accident: प्रारंभिक जांच में सामने आई खामी, अबतक 288 लोगों की मौत; 1100 से ज्यादा घायल

बालेश्वर के बाहानागा स्टेशन के पास दुर्घटनास्थल पर शनिवार को भी युद्धस्तर पर राहत एवं बचाव का कार्य चलता रहा। यहां रेलवे के साथ ही एनडीआरएफ ओडिशा आपदा राहत बचाव दल और स्थानीय पुलिस-प्रशासन की टीम के साथ सेना को भी बचाव कार्य में लगाया गया।

By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Sat, 03 Jun 2023 11:48 PM (IST)
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ओडिशा रेल हादसे की झकझोर देने वाली तस्वीरें
जागरण संवाददाता, बालेश्वर। ओडिशा के बालेश्वर में शुक्रवार को हुए भीषण रेल हादसे में मृतकों की संख्या 288 तक पहुंच गई है। वहीं, घायलों की संख्या भी बढ़कर 1100 से ज्यादा हो गई है। इनमें से 100 की हालत गंभीर बताई जा रही है। इस दुर्घटना को देश का तीसरा सबसे बड़ा हादसा बताया जा रहा है।

प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि पहले कोरोमंडल एक्सप्रेस को मेन लाइन का सिग्नल दिया गया था, लेकिन इसे वापस ले लिया गया। इससे ट्रेन लूप लाइन में चली गई और वहां पहले से खड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गई। मामले में उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं।

युद्धस्तर पर चला राहत एवं बचाव कार्य

बालेश्वर के बाहानागा स्टेशन के पास दुर्घटनास्थल पर शनिवार को भी युद्धस्तर पर राहत एवं बचाव का कार्य चलता रहा। यहां रेलवे के साथ ही एनडीआरएफ, ओडिशा आपदा राहत बचाव दल और स्थानीय पुलिस-प्रशासन की टीम के साथ सेना को भी बचाव कार्य में लगाया गया।

इस बीच, शनिवार को घटना का जायजा लेने तथा घायलों का हाल जानने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत रेलवे के तमाम वरिष्ठ अधिकारी दुर्घटनास्थल पर पहुंचे। रेलवे ने घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। इस बीच राहत एवं बचाव कार्य पूरा हो गया है। हालांकि, रूट बहाल होने में अभी कुछ समय लग सकता है।

कैसे हुआ हादसा?

बंगाल के शालीमार से चेन्नई जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस शुक्रवार शाम 6:35 बजे बालेश्वर के बाहानागा बाजार स्टेशन से निकली थी। 6:54 बजे तक यह ट्रेन मेन लाइन पर थी, जबकि कुछ ही दूरी पर बगल की लूप लाइन पर एक मालगाड़ी खड़ी थी। सिग्नल वापस लेने के कारण 6:55 बजे कोरोमंडल एक्सप्रेस अचानक लूप लाइन पर चली गई और मालगाड़ी से टकरा गई। उस समय ट्रेन की रफ्तार 128 किलोमीटर प्रतिघंटे थी।

ट्रेन का इंजन मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गया, जबकि पीछे के सभी डिब्बे बगल की डाउन लाइन की पटरी पर गिर गए। ठीक उसी समय उस डाउन लाइन से होकर बेंगलुरु से हावड़ा जानेवाली सुपरफास्ट एक्सप्रेस गुजर रही थी, जिसकी रफ्तार 117 किलोमीटर प्रतिघंटा थी। ट्रेन के ज्यादातर डिब्बे दुर्घटनास्थल से आगे बढ़ चुके थे, लेकिन पीछे के तीन डिब्बों से कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बे से टकरा गए।

ट्रेन में कितने यात्री थे सवार?

इस कारण यह हादसा और भी बड़ा हो गया। टक्कर के बाद कोरोमंडल एक्सप्रेस के 13 डिब्बे बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। इनमें सामान्य, स्लीपर, एसी 3 टियर और एसी 2 टियर के डिब्बे शामिल थे। दुर्घटना के समय दोनों ट्रेनों में कुल दो हजार से अधिक यात्री सवार थे। यह बात भी सामने आई है कि जिस लाइन पर दोनों ट्रेनें टकराईं, वह आंशिक रूप से जीर्ण-शीर्ण थी।

पीड़ितों के लिए मुआवजे का एलान

  • रेलवे ने मृतकों के स्वजन के लिए 10-10 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों के लिए दो-दो लाख रुपये तथा मामूली रूप से घायलों के लिए 50-50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की है।
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी दुर्घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) से मृतकों के स्वजन के लिए दो-दो लाख रुपये तथा घायलों के लिए 50-50 हजार रुपये की अतिरिक्त अनुग्रह राशि की घोषणा की है।
  • बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हादसे में मारे गए बंगाल के यात्रियों के स्वजन को राज्य सरकार की तरफ से पांच-पांच लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को दो-दो लाख व अन्य घायलों को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है।
उधर, तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी ने हादसे में मारे गए बंगाल के यात्रियों के स्वजन के लिए पार्टी की तरफ से दो-दो लाख रुपये की आर्थिक मदद की घोषणा की।

मृतकों की संख्या को लेकर ममता व रेल मंत्री में तकरार

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के बीच ट्रेन दुर्घटना में मृतकों की संख्या को लेकर कहासुनी हो गई। ममता ने घटनास्थल का जायजा लेने के बाद कहा कि ट्रेन हादसे में मरने वालों की संख्या 500 से अधिक हो सकती है।

इस बयान पर उनके साथ खड़े रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने तुरंत हस्तक्षेप करते हुए ओडिशा सरकार के आंकड़ों का हवाला दिया। इस पर ममता ने कहा कि सरकार का आंकड़ा शुक्रवार रात तक का ही है। बचाव कार्य पूरा होने के बाद यह संख्या और बढ़ेगी।