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'भारत जैसा सुधार का रवैया अन्य देशों में नहीं', OECD के मुख्य अर्थशास्त्री बोले- इसे जारी रखने की जरूरत

ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकनॉमिक को- ऑपरेशन ऐंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) के मुख्य अर्थशास्त्री अल्वारो सैंटोस परेरा ने भारतीय अर्थव्यवस्था में हो रहे सुधारों की तारीफ की है और कहा कि ये रवैया अन्य देशों में देखने को नहीं मिलता। हालांकि उन्होंने आगे आने वाली चुनौतियों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सुधार के प्रयासों को जारी रखना पड़ेगा। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Tue, 08 Oct 2024 10:03 PM (IST)
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सैंटोस परेरा ने कहा कि भारत निरंतर बेहतर करना जारी रखेगा। (Photo- X/ @santospereira_a)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के पास जबरदस्त ढंग से आगे बढ़ने की ललक, उद्यमिता की भावना और सुधार का रवैया दिखता है, जो अन्य देशों में नहीं दिखता है। भारत निरतंर बेहतर करना जारी रखेगा लेकिन उसे सुधार के पथ पर आगे बढ़ने की जरूरत है। यह कहना है ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकनॉमिक को-ऑपरेशन ऐंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) के मुख्य अर्थशास्त्री अल्वारो सैंटोस परेरा का।

एक मीडिया इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि भारत के पास अगले कुछ वर्षों और दशकों में बेहद मजबूत वृद्धि दर को जारी रखने के लिए सब कुछ है। यह पूछे जाने पर कि पश्चिम एशिया में जारी संकट का विश्व और भारत की विकास संभावनाओं पर कितना असर पड़ेगा, सैंटोस परेरा ने कहा कि यदि टकराव महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ता है तो व्यापार और ऊर्जा के मूल्य पर निश्चित रूप से प्रभाव पड़ेगा।

'आधारभूत ढांचे में निरंतर हो रहा सुधार'

उनका कहना है कि बीते एक साल से जारी रुकावटों से शिपिंग लागत में 60 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है। वह कहते हैं कि लिहाजा हम आशा करें कि ऐसा न हो। यदि ऐसा होता है तो इसका ऊर्जा और अन्य वस्तुओं के आयातक देशों के व्यापार पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। हालांकि, वह भारत में हो रहे सुधारों को लेकर आशावादी भी दिखे। उन्होंने कहा कि जीएसटी, दिवालिया कानून, बैंकों की की दिवालिया व्यवस्था, बैंकिंग सुधार, बेहतर होता श्रम बाजार, प्रतिस्पर्धी संघवाद को बढ़ावा देना आदि इनमें शामिल हैं।

उनका मानना है कि आधारभूत ढांचे में निरंतर सुधार हो रहा है। हालांकि उन्होंने चुनौतियों का भी जिक्र किया और कहा कि शिक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। आपके पास बेहद युवा श्रम बल है और काफी युवा जनसंख्या है। आगे चलकर कौशल और शिक्षा में सुधार महत्त्वपूर्ण साबित होगा।

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