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प्रकृति के विरुद्ध खड़े होने का नतीजा है, कम उम्र में बुढ़ापा; साथ छोड़ने लगता है शरीर

डॉ. सुभाष संघवी ने बताया कि प्राकृतिक चिकित्सा और प्रकृति का सान्निध्य कैसे दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य के आनंद से भर सकता है वृद्धावस्था को...

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Thu, 27 Feb 2020 02:40 PM (IST)
प्रकृति के विरुद्ध खड़े होने का नतीजा है, कम उम्र में बुढ़ापा; साथ छोड़ने लगता है शरीर
नई दिल्‍ली। जीवन चक्र का एक नियम है कि हर व्यक्ति जैसे-जैसे उम्र के पड़ाव पार करता जाता है, बाल्यावस्था से लेकर वृद्धावस्था को पाता है तो वहीं आधुनिक जीवनशैली जीने वाले युवाओं को कम उम्र में ही बुढ़ापा इसलिए घेर लेता है, क्योंकि वे प्रकृति के विरुद्ध खड़े होने का दुस्साहस करते हैं।

उदाहरण के तौर पर यदि रात शरीर को विश्राम देने के लिए और सोने के लिए बनी है तो वे उसके खिलाफ जाना चाहते हैं। ये लोग देर तक जागते हैं और दिन में सोते हैं। इनका आहार-विहार अप्राकृतिक होता है। इनके खाने और सोने के समय का ठिकाना नहीं होने के साथ ही ये लोग अत्यधिक तनाव लेकर जीते हैं। यही वजह है कि एक हद तक साथ निभाने के बाद शरीर साथ छोड़ने लगता है। जानें क्‍या कहते है नेचुरोपैथी के डॉ. सुभाष संघवी

बढ़ती उम्र के कारण शरीर में कई परिवर्तन होते हैं। मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं। पोषक आहार की कमी का प्रभाव शरीर पर दिखाई देने लगता है। पाचनतंत्र के प्रभावित होने के साथ ही शरीर में खून की कमी होने लगती है। बढ़ती उम्र के साथ शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता कमजोर पड़ने लगती है साथ ही खून में आयरन और कैल्शियम की कमी होती जाती है। गलत आहार-विहार तथा शारीरिक श्रम में कमी आने की वजह से रोगों से लड़ने की शक्ति का तेजी से क्षरण होने लगता है। उस पर नशीली वस्तुओं का सेवन और अत्यधिक भोगविलासितापूर्ण आदतों के कारण कई रोग शरीर पर कब्जा कर लेते हैं।

जीवनशैली में लाएं बदलाव: इस प्रकार की जीवनशैली स्वत: ही नुकसानदायक है। ऐसे में अपनी दैनिक गतिविधियां जैसे चलना-फिरना, घूमना, योगाभ्यास तथा घर के दैनिक क्रियाकलापों में खुद की हिस्सेदारी बढ़ा दें। हर काम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश करें। आसपास कहीं जाना हो तो पैदल ही जाएं। लिफ्ट का उपयोग न करते हुए सीढ़ियों का इस्तेमाल करें।

एक्सरसाइज है जरूरी: डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए पेट पर गरम ठंडा सेंक, मंडूकासन, वक्रासन, पवनमुक्तासन तथा ब्रिस्क वॉक फायदेमंद हो सकते हैं। जोड़ों में दर्द को नियंत्रित करने के लिए मेरुदंड के आसन, सुबह की हल्की धूप में तेल मालिश, स्टीम बाथ, सूर्य स्नान तथा लाल किरणों का सेंक करें। प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ जाना बुढ़ापे की एक आम शिकायत है। इस पर नियंत्रण रखने के लिए मंडूकासन, पवनमुक्तासन, वक्रासन, अर्धमत्स्येंद्रासन तथा गरम-ठंडा कटि स्नान करे

असरदार प्राकृतिक उपचार: चर्म रोगों पर काबू पाने के लिए स्टीम बाथ, मड बाथ, सन बाथ व नीम की पत्तियों का पेस्ट बनाकर पूरे शरीर पर लगाएं। फिर स्नान कर लें। अनिद्रा से पीछा छुड़ाने के लिए सिर पर गीली मिट्टी की पट्टी रखें या ठंडे पानी में भीगा सूती कपड़ा रखें। गुनगुने औषधियुक्त तेल से शिरोधारा करवाएं। कब्ज की शिकायत को दूर करने के लिए रात में सोने से पहले गरम पानी के साथ त्रिफला चूर्ण का सेवन करें। पेडू पर मिट्टी की पट्टी रखें। एनीमा और कटि स्नान का अभ्यास दोहराएं।

आहार पर रखें नजर: कहते हैं ‘जैसा खाओ अन्न वैसा होए मन’। ऐसे में दैनिक क्रियाकलापों के साथ ही अपने भोजन पर भी नियंत्रण व नजर रखें। आज हमारी थाली में फास्टफूड ने काफी हद तक जगह बना ली है, जबकि यही हमारी शरीर की कार्यक्षमता को काफी हद तक प्रभावित करता है। ऐसे में बेहतर होगा कि फास्टफूड से तौबा करते हुए उचित मात्रा में प्राकृतिक पौष्टिक आहार लें। ताजे मौसमी फलों को रोजाना के आहार में शामिल करें। दिनभर में जितने भी मील खाते हों उनमें से एक मील फलों का रखें। आहार में प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा शामिल करने के लिए दालों को रोजाना किसी न किसी रूप में जरूर खाएं। इसके साथ ही कैल्शियम का उपयोग अधिक मात्रा में करें। धूप में समय बिताने का कोई अवसर न छोड़ें। इस उम्र में किडनी फंक्शन कमजोर होने लगते हैं। इसलिए नमक, मिर्च-मसाले की मात्रा कम से कम कर दें।

दिल-दिमाग को रखें दुरुस्त: दिमाग की एक्सरसाइज करने के लिहाज से मानसिक सक्रियता बढ़ाने वाले खेल जैसे चेस, सूडोकू आदि की मदद ले सकते हैं। दिल के रोगों और हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए व्यायाम करें, शवासन करें, योग निद्रा, अनुलोम-विलोम, प्राणायाम, गहरा लंबा श्वांस-प्रश्वांस, सीने पर गरम पानी की पट्टी लपेटें। शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए मालिश करवाएं, धूप में बैठें, व्यायाम करें, तैराकी करें, साइकिल चलाएं। इसके साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने के लिए पेडू पर मिट्टी की पट्टी, एनीमा लगाएं, कटि स्नान, ऊषा स्नान करें।

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