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Old Age Population: युवा भारत होने लगा है बूढ़ा! औसत उम्र 24 से बढ़कर हुई 29 साल, 1951 के बाद यह ग्रोथ रेट सबसे धीमी

Old Age Population of India भारत युवाओं का देश है। प्रधानमंत्री ने देश विदेश में कई प्रतिष्ठित मंचों से भारत की युवा आबादी और उसकी महत्ता की बात उठाई है। इसी बीच एक सर्वे रिपोर्ट ने थोड़ी चिंता बढ़ा दी है। भारत में औसत उम्र जो 24 साल थी वो बढ़कर 29 हो गई है। बुजुर्गों की आबादी बढ़ने से यह रेट बढ़ी है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट।

By Jagran News Edited By: Deepak Vyas Updated: Fri, 27 Sep 2024 05:07 PM (IST)
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भारत की युवा आबादी की औसत उम्र जो 24 साल थी, वो बढ़कर अब 29 साल हो गई है।

 डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत युवाओं का देश है। पूरी दुनिया में भारत चौथा सबसे युवा देश माना जाता है। इस लिस्ट में सबसे पहला नंबर अफ्रीकी देश नाइजीरिया का है। दूसरा नंबर फिलिपींस और तीसरा बांग्लादेश का है। 140 करोड़ की आबादी वाले देश भारत में युवाओं की वर्क फोर्स के कारण भारत की दुनिया में धाक है। इसी बीच एक नई रिपोर्ट ने थोड़ी चिंता बढ़ा दी है।

घट रही युवाओं की संख्या

भारत की युवा आबादी की औसत उम्र जो 24 साल थी, वो बढ़कर अब 29 साल हो गई है। इस हिसाब से युवाओं की संख्या घट रही है। साल 2024 में देश की आबादी की ग्रोथ रेट 1% पर पहुंच गई, जो 1951 के बाद सबसे धीमी है। तब यानी 1951 में यह 1.25% थी। 1972 में यह उच्चतम स्तर पर थी, जो कि 2.2% थी।

2021 में बुजुर्गों की ग्रोथ रेट थी 1.63 फीसदी

साल 2021 में देखा जाए तो यह ग्रोथ रेट 1.63 फीसदी थी। साल 2011 में आखिरी जनगणना हुई थी। उस दौरान देश की जनसंख्या 121.1 करोड़ थी। यह जनसंख्या अब बढ़कर 142 करोड़ के करीब पहुंच गई है। यह अनुमान SBI की जनसंख्या पर आई ताजा ​​रिसर्च रिपोर्ट में लगाए गए हैं।

बुजुर्गों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी

  • 347 मिलियन तक पहुंच जाएगी 2050 तक 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की संख्या।
  • बुजुर्गों की संख्या 2036 तक भारत की जनसंख्या का कुल12.5% होगी।
  • साल 2050 तक यह संख्या 19.4% तक पहुंच जाएगी।
  • बुजुर्गों की संख्या 2010 में 91.6 मिलियन थी।
  • 2025 में यह बढ़कर 158.7 मिलियन होने की उम्मीद।
  • बीपीएल के नीचे है 40 फीसदी बुजुर्ग आबादी
  • 18.7 फीसदी बुजुर्ग आबादी के पास आय का स्थायी स्रोत नहीं।

इन चुनौतियों पर काम करना जरूरी

बुजुर्गों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की बात की जाए तो उन्हें मधुमेह, हृदय रोग और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का काफी सामना करना पड़ता है। सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि इन चुनौतियों का सामना करने के लिए सरकार और सामाजिक संगठनों को मिलकर काम करने की जरूरत है।