गुरुनानक जयंती-कार्तिक पूर्णिमा आज, राष्ट्रपति कोविंद और पीएम मोदी ने दी बधाई
पौराणिक कथोओं के मुताबिक, कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही सिखों के पहले गुरु गुरुनानक देव का जन्म हुआ था। इसलिए सिख धर्म में इस दिन को 'प्रकाश पर्व' के रूप में मनाया जाता है।
नई दिल्ली, जेएनएन। आज कार्तिक पूर्णिमा है। हिंदू धर्म में कार्तिक के महीने का विशेष महत्व होता है। दरअसल, सभी 12 पूर्णिमाओं में कार्तिक मास की पूर्णिमा अपना खास स्थान रखती है। इस पूर्णिमा को गंगा स्नान पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथोओं के मुताबिक, कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही सिखों के पहले गुरु गुरुनानक देव का जन्म हुआ था। इसलिए सिख धर्म में इस दिन को 'प्रकाश पर्व' के रूप में मनाया जाता है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने इस शुभ दिन पर देशवासियों को बधाई दी है।
राष्ट्रपति ने ट्वीट कर कहा- देशवासियों को गुरुपर्व की शुभकामनाएं...!
सभी देशवासियों को गुरुपर्व की शुभकामनाएं। हम गुरु नानक देव जी द्वारा दिखाए गए शांति, करुणा और सेवा के रास्ते पर चलें — राष्ट्रपति कोविन्द— President of India (@rashtrapatibhvn) November 4, 2017
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को शुभकामनाएं देने के साथ एक वीडियो भी शेयर किया है...!
On Guru Nanak Jayanti we bow to the venerable Sri Guru Nanak Dev Ji and recall his noble thoughts. pic.twitter.com/mTA9zDkPeh— Narendra Modi (@narendramodi) November 4, 2017
सभी पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा विशेष रूप से पवित्र मानी जाती है। कहते हैं, इस तिथि में स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं। इस अवसर पर जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु विभिन्न घाटों पर गंगा स्नान कर फल की प्राप्ति की इच्छा करेंगे। जहां शाम में गंगा घाटों पर सवा लाख दीपों से जगमाता भव्य नजारा दिखेगा। वहीं आकाशदीप जलाकर ज्ञान और विद्या के प्रकाश का बोध कराएंगे।
कार्तिक पूर्णिमा की महत्व को दर्शाते हुए आचार्यों ने बताया कि आज के दिन क्षीरसागर के प्रतीक 16 अंगुल के पात्र में गाय का दूध रखकर उसमें स्वर्ण या चांदी का मत्स्य रखकर किसी सुयोग्य ब्राह्मण को दान करना चाहिए। इसके दान किए जाने से सुख एवं सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था और तीनों लोकों को असुरों के प्रकोप से बचाया था। इस दिन के लिए ये भी मान्यता है कि सभी देव काशी आकर गंगा माता का पूजन करके दिवाली मनाते हैं।
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