कपिल सिब्बल की टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, बार और बेंच एक ही रथ के दो पहिए
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मंगलवार को जब कहा कि शीर्ष अदालत में भरोसा धीरे-धीरे खत्म हो रहा है और उनके जैसे व्यक्ति को जमीनी हकीकत परेशान करती है तो सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि बार और बेंच एक ही रथ के दो पहिए हैं।
By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Tue, 13 Sep 2022 10:35 PM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसी। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मंगलवार को जब कहा कि शीर्ष अदालत में भरोसा धीरे-धीरे खत्म हो रहा है और उनके जैसे व्यक्ति को जमीनी हकीकत परेशान करती है, तो सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि बार और बेंच एक ही रथ के दो पहिए हैं। जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना की पीठ के समक्ष सिब्बल ने सपा नेता आजम खां के पुत्र अब्दुल्ला आजम के मामले में बहस करते हुए कहा कि यह विवाह है जिसे बार और बेंच के बीच तोड़ा नहीं जा सकता, लेकिन जमीनी हकीकत उन जैसे व्यक्ति को परेशान करती है।
बेंच ने कहा, हारने वाले को संतुष्ट होना चाहिए
इस पर जस्टिस रस्तोगी ने कहा कि बार और बेंच एक ही रथ के दो पहिए हैं। सिब्बल ने यह भी कहा कि वह केस हारें या जीतें, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन संस्थान में विश्वास धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है। इस पर जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि हारने वाला पक्ष क्या महसूस करता है, यह ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्हें भी संतुष्ट महसूस होना चाहिए। शीर्ष अदालत सपा नेता अब्दुल्ला आजम खान की उस अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है।
हाई कोर्ट ने उनके स्वार विधानसभा सीट से निर्वाचन को खारिज कर दिया था। इसमें कहा गया था कि चुनाव के दौरान उनकी उम्र 25 वर्ष से कम थी। उत्तर प्रदेश की विधानसभा में चुनाव लड़ने के लिए के योग्य नहीं थे। अब्दुल्ला खान पर 2017 के चुनावों में भाग लेने के लिए उम्र का फर्जी शैक्षिक प्रमाणपत्र उपयोग करने का आरोप लगाया गया था।