त्रिपुरा: ईद उल-अजहा के मौके पर अगरतला के शहरी इलाकों में पशुओं की हत्या पर रोक, पशु संसाधन विकास विभाग ने जारी किए निर्देश
डा. देबनाथ ने कहा कि पशु क्रूरता निवारण नियम 2001 के तहत अगर शहर में पशुओं की हत्या से जुड़ी कोई भी गतिविधी पाई गई तो उसे पूरी तरह से अवैध माना जाएगा। उन्होंने कहा कि अगरतला के शहरी इलाकों में किसी भी पशु हत्या की अनुमति नहीं होगी।
By Amit SinghEdited By: Updated: Sun, 10 Jul 2022 04:44 AM (IST)
अगरतला, एजेंसी: पशु क्रूरता की रोकथाम के संबंध में, पशु संसाधन विकास विभाग (एआरडीडी) के सचिव डा. टी.के. देबनाथ ने शनिवार को घोषणा की कि ईद उल-अजहा के मौके पर अगरतला के शहरी क्षेत्रों में किसी भी पशु हत्या की अनुमति नहीं दी जाएगी। एक संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि अगरतला के शहरी इलाकों में किसी भी बली की अनुमति नहीं होगी। डा. देबनाथ ने कहा कि पशु क्रूरता निवारण नियम 2001 के तहत अगर शहर में पशुओं की हत्या से जुड़ी कोई भी गतिविधी पाई गई तो उसे पूरी तरह से अवैध माना जाएगा।
भारतीय पशु कल्याण बोर्ड की एक अधिसूचना का उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा कि पूरे देश में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 और पशु क्रूरता निवारण (वधशाला) नियम 2001 पर ध्यान केंद्रित करते हुए सभी संबंधित विभागों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। डा देबनाथ ने आगे कहा कि प्रवर्तन विभाग और राज्य के डीजीपी को शहरी क्षेत्रों में इस तरह के अवैध हत्याओं को रोकने के लिए इस अधिसूचना पर गंभीरता से ध्यान देने के लिए सूचित किया गया है। क्योंकि अधिनियम कहता है, कत्लखानों के बिना किसी भी पशू की हत्या को अवैध माना जाना चाहिए। जो की एक दंडनीय अपराध के रूप में सजा को आकर्षित करता है।
उक्त अधिनियम और परिवहन अधिनियम 1978 को तोड़कर जानवरों को ले जाया जा रहा है। जिसके परिणामस्वरूप परिवहन के दौरान कई जानवरों की मौत हो जाती है। इसके अलावा, पशु क्रूरता निवारण (वधशाला) नियम 2001 कहता है, गर्भवती गायों, बीमार जानवरों, तीन महीने से कम उम्र के बछड़ों की हत्या नहीं की जा सकती है। एआरडीडी द्वारा उक्त अधिसूचना के बीच उत्सव के दौरान किसी भी अप्रिय घटना की जांच के लिए अगरतला के सभी संवेदनशील क्षेत्रों को प्रवर्तन विभाग द्वारा हाई अलर्ट पर रखा गया है।