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उज्जैन में महाकाल लोक का लोकार्पण, पीएम ने कहा- शंकर के सानिध्य में साधारण कुछ भी नहीं...सब कुछ अलौकिक

पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के अमृतकाल में भारत ने गुलामी की मानसिकता से मुक्ति और अपनी विरासत पर गर्व जैसे पंच प्राण का आहृवान किया है। इसलिए आज अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण पूरी गति से हो रहा है।

By AgencyEdited By: Arun kumar SinghUpdated: Tue, 11 Oct 2022 10:03 PM (IST)
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पीएम नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को उज्‍जैन में महाकाल लोक का लोकार्पण किया।

ईश्वर शर्मा, उज्जैन। ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन में मंगलवार शाम को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नवनिर्मित वैभवशाली 'श्री महाकाल लोक' देश को अर्पित किया। इसमें भव्य प्रतिमाओं में वर्णित भगवान महादेव की गाथाओं को देखने के बाद प्रधानमंत्री ने लोगों को संबोधित किया। उन्होंने 'श्री महाकाल लोक' को भारत की सांस्कृतिक व आध्यात्मिक चेतना का नया शिलालेख बताया। इस दौरान उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया भारत का सांस्कृतिक वैभव देखकर चकित है कि हमारे महान ऋषि-मुनियों, पूर्वजों ने बिना तकनीक के ऐसे विराट मंदिर कैसे बनाए। अब नया भारत अपने इन्हीं मंदिरों को, उसी आध्यात्मिक गौरव को पुन: सहेज रहा है। उन्होंने कहा कि महाकाल का बुलावा आया, तो यह बेटा (मोदी) बिना आए कैसे रह सकता था। इससे पूर्व उन्होंने महाकाल मंदिर के गर्भ गृह में ज्योतिर्लिंग का पूजन-अर्चन किया व मौन साधना कर ध्यान लगाया। बता दें कि हिमालय की गोद में विराजित केदारनाथ, मां गंगा के किनारे स्थित काशी विश्वनाथ के बाद अब मोक्षदायिनी शिप्रा की नगरी उज्जैन में स्वयंभू ज्योतिर्लिंग महाकाल के नवनिर्मित 'लोक' को देखकर सनातन धर्म का वैभव और बढ़ गया।

पीएम मोदी ने कहा कि शंकर के सानिध्य में साधारण कुछ भी नहीं है। शंकर के सानिध्य में साधारण कुछ भी नहीं है। सब कुछ अलौकिक है, असाधारण है। अविस्मरणीय है, अविश्वसनीय है। जय महाकाल उज्जैन की ये ऊर्जा, ये उत्साह! अवंतिका की ये आभा, ये अद्भुतता, ये आनंद! महाकाल की ये महिमा, ये महात्म्या! 'महाकाल लोक' में लौकिक कुछ भी नहीं है। उज्जैन के छण-छण में, पल-पल में इतिहास सिमटा हुआ है। कण-कण में आध्यात्म समाया हुआ है और कोने-कोने में ईश्वरीय ऊर्जा संचारित हो रही है।

उज्जैन ने हजारों वर्षों तक भारत की संपन्नता और समृद्धि का, ज्ञान और गरिमा का, और साहित्य का नेतृत्व किया है। ज्योतिषीय गणनाओं में उज्जैन न केवल भारत का केंद्र रहा है बल्कि ये भारत की आत्मा का भी केंद्र रहा है। जब भारत का भौगोलिक स्वरूप आज से अलग रहा होगा तब से ये माना जाता है कि उज्जैन भारत के केंद्र में हैं। हमारी तपस्या और आस्था से जब महाकाल प्रसन्न होते हैं तो उनके आशीर्वाद से ही ऐसे ही भव्य स्वरुप का निर्माण होता है। और महाकाल का जब आशीर्वाद मिलता है तो काल की रेखाएं मिट जाती हैं।

अपने सांस्कृतिक उत्कर्ष को छुए राष्ट्र

उन्‍होंने कहा कि किसी राष्ट्र का सांस्कृतिक वैभव इतना विशाल तभी होता है, जब उसकी सफलता का परचम, विश्व पटल पर लहरा रहा होता है। सफलता के शिखर तक पहुंचने के लिए ये जरूरी है कि राष्ट्र अपने सांस्कृतिक उत्कर्ष को छुए, अपनी पहचान के साथ गौरव से सर उठाकर खड़ा हो। उज्जैन वो नगर है, जो हमारी पवित्र सात पुरियों में से एक गिना जाता है। ये वो नगर है, जहां भगवान कृष्ण ने भी आकर शिक्षा ग्रहण की थी। उज्जैन ने महाराजा विक्रमादित्य का वो प्रताप देखा है, जिसने भारत के नए स्वर्णकाल की शुरुआत की थी। सोमनाथ में विकास के कार्य नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। उत्तराखंड में बाबा केदार के आशीर्वाद से केदारनाथ, बद्रीनाथ तीर्थ क्षेत्र में विकास के नए अध्याय लिखे जा रहे हैं।

अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण पूरी गति से

पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के अमृतकाल में भारत ने गुलामी की मानसिकता से मुक्ति और अपनी विरासत पर गर्व जैसे पंच प्राण का आहृवान किया है। इसलिए आज अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण पूरी गति से हो रहा है। काशी में विश्वनाथ धाम भारत की संस्कृति का गौरव बढ़ा रहा है। हमारे शास्त्रों में एक वाक्य है- शिवम् ज्ञानम्। इसका अर्थ है शिव ही ज्ञान है और ज्ञान ही शिव है। शिव के दर्शन में ही ब्रह्मांण्ड का सर्वोच्च दर्शन है।

ऑल वेदर रोड से जुड़ने जो रहे हैं चारों धाम

प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद पहली बार चार धाम प्रोजेक्ट के जरिए, हमारे चारों धाम ऑल वेदर रोड से जुड़ने जो रहे हैं। आजादी के बाद पहली बार करतारपुर साहिब खुला है। स्वदेश दर्शन और प्रसाद योजना से देशभर में हमारी आध्यात्मिक चेतना के ऐसे कितने ही केंद्रों का गौरव पुन: स्थापित हो रहा है। और अब इसी कड़ी में भव्य और अतिभव्य महाकाल लोक भी अतीत के गौरव के साथ, भविष्य के स्वागत के लिए तैयार हो चुका है।

उन्‍होंने कहा कि जो शिव 'सोयं भूति विभूषण:' हैं। अर्थात, भस्म को धारण करने वाले हैं, वो 'सर्वाधिप: सर्वदा' भी है। अर्थात, वो अनश्वर और अविनाशी भी हैं। इसलिए, जहां महाकाल हैं, वहां कालखंडों की सीमाएं नहीं हैं। महाकाल की शरण में विष में भी स्पंदन है। महाकाल के सानिध्य में अवसान से भी पुनर्जीवन है।

यही हमारी सभ्यता का वो आध्यात्मिक आत्मविश्वास है, जिसके सामर्थ्य से भारत हजारों वर्षों से अमर बना हुआ है। उज्जैन जैसे हमारे स्थान खगोलविज्ञान, एस्ट्रॉनॉमी से जुड़े शोधों के शीर्ष केंद्र रहे हैं। आज नया भारत जब अपने प्राचीन मूल्यों के साथ आगे बढ़ रहा है, तो आस्था के साथ-साथ विज्ञान और शोध की परंपरा को भी पुनर्जीतित कर रहा है।

शिव को लगाया त्रिपुंड, गर्भ गृह में किया मंत्र जाप

प्रधानमंत्री मोदी सबसे पहले महाकालेश्वर मंदिर पहुंचे। यहां मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज स‍िंह चौहान, राज्यपाल मंगु भाई पटेल, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उनका स्वागत किया। धवल वस्त्र पहने, सोला डाले पीएम मोदी ने गर्भ गृह में प्रवेश किया, जहां मुख्य पुजारी पं. घनश्याम ने उनके हाथों में पवित्र जल देकर मंत्रोच्चार के साथ पवित्रीकरण कराया। इसके बाद पुजारी दल ने मंगल मंत्रों के साथ देवाधिदेव का पूजन करवाया। प्रधानमंत्री ने ज्योतिर्लिंग को त्रिपुंड तिलक लगाकर शीश नवाया। शाम पांच बजे बाद महाकाल को जलाभिषेक निषेध होने के कारण षोडशोपचार पूजन अर्थात 16 प्रकार के मंगल द्रव्यों से पूजन किया।

चंदन, अबीर, गुलाल, पुष्प, बिल्वपत्र सहित नानाविध द्रव्यों से प्रधानमंत्री ने पूजा की। उन्होंने चांदी का बिल्व पत्र भी समर्पित किया। प्रधानमंत्री मोदी गर्भ गृह में ही माला लेकर जाप करने बैठे। उन्होंने करीब पांच मिनट तक सुखासन में बैठकर गहन मौन साधा और ध्यान लगाया। तत्पश्चात माला को पांच बार नेत्रों से लगाकर उसे हाथ में कलावा (रक्षासूत्र) की तरह वैसे ही लपेट लिया, जैसे विरक्त साधु लपेटते हैं। धरती पर साकार हुआ 'शिव का लोक'पीएम मोदी 'श्री महाकाल लोक' का लोकार्पण करने पहुंचे तब तक अंधेरा छाने लगा था।

इस अंधेरे में लोक का उजास चमक उठा। अत्याधुनिक लाइटिंग से सुसज्जित 'श्री महाकाल लोक' में प्रधानमंत्री ने एक-एक प्रतिमा, भित्ति चित्र, कमलताल, मानसरोवर भवन, त्रिपुरासुर वध प्रतिमा, आनंद तांडव, समुद्र मंथन आदि को देखा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रधानमंत्री को प्रतिमाओं की जानकारी दे रहे थे। इस दौरान देशभर से आए 700 से अधिक कलाकारों ने शिव की विभिन्न गाथाओं व लीलाओं का सजीव मंचन किया। श्री महाकाल लोक के प्रवेश द्वार पर प्रधानमंत्री मोदी ने कलावा से बनाए गए 16 फीट ऊंचे शिव¨लग का अनावरण भी किया। इसी के साथ श्री महाकाल लोक राष्ट्र को समर्पित हुआ।

काल के कपाल पर अस्तित्व का शिलालेख

प्रधानमंत्री ने जनता से जय महाकाल का नारा लगवाते हुए कहा - 'आज नया भारत अपने प्राचीन मूल्यों के साथ आगे बढ़ रहा है। जहां इनोवेशन है, वहीं पर रिनोवेशन भी है। गुलामी के काल में हमने जो खोया आज पुन: उस अपने गौरव की, वैभव की पुर्नस्‍थापना हो रही है। आज श्री महाकाल लोक के रूप में भारत ने काल के कपाल पर कालातीत अस्तित्व का शिलालेख लिख दिया।

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