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Suspension of MPs in India: किन परिस्थितियों में होता है सांसदों का निलंबन, किसके पास है ऐसा करने का अधिकार

Suspension of MPs in India राज्यसभा ने AAP सांसद संजय सिंह को उनके अमर्यादित आचरण के लिए सोमवार को संसद से निलंबित कर दिया। राज्यसभा के सभापति के पास अधिकार होता है कि वो किसी सदस्य को एक दिन या कुछ दिन या फिर पूरे सत्र के लिए निलंबित कर सकते हैं। तो आइए जानते हैं सांसदों को कौन और कितने समय के लिए कर सकता है निलंबित?

By Babli KumariEdited By: Babli KumariUpdated: Mon, 24 Jul 2023 03:46 PM (IST)
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लोकसभा और राज्यसभा में किस आधार पर होता है सांसदों का निलंबन (फोटो-शुभम मिश्रा/जागरण ग्राफिक्स)

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Suspension of MPs: आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद संजय सिंह को राज्यसभा से पूरे मानसून सत्र के लिए निलंबित (Suspend) कर दिया गया है। राज्सभा के सभापति ने आज इसकी घोषणा की।

आज की कार्यवाही सदन में जैसे ही शुरू हुई और सांसद सवाल पूछने लगे, इसी दौरान आप सांसद संजय सिंह चेयरमैन की कुर्सी के सामने आकार चिल्ला-चिल्ला कर कुछ बोलने लगे। सभापति जगदीप धनखड़ उन्हें बार-बार अपनी सीट पर बैठने को कह रहे थे। लेकिन इसके बावजूद संजय सिंह जोर-जोर से बोले जा रहे थे। सभापति के बार बार बोलने पर भी जब संजय सिंह अपनी सीट पर नहीं गए तो सभापति ने कहा कि आई टेक द नेम ऑफ संजय सिंह...उन्होंने कहा कि संजय सिंह का मैं नाम लेता हूं। इस दौरान सदन के नेता पीयूष गोयल ने उन्हें निलंबित करने का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया।

तो आइए जानते हैं सांसदों को कौन और कितने समय के लिए निलंबित कर सकता है? क्या अदालतें सांसदों के निलंबन के मामले में हस्तक्षेप कर सकती हैं?

भारत में संसद सदस्यों (सांसदों) का निलंबन लोकसभा (लोकसभा) और राज्यसभा (राज्यों की परिषद) में प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों में निर्धारित नियमों और विनियमों द्वारा शासित होता है। जब कोई सांसद अनियंत्रित व्यवहार या कदाचार करता है, तो सदन के पीठासीन अधिकारी के पास उन्हें निलंबित करने का अधिकार होता है।

कैसे होता है दोनों सदनों में सांसदों का निलंबन 

लोकसभा में सांसदों के निलंबन के संबंध में विशिष्ट नियम 374 में दिए गए हैं। इस नियम के अनुसार, यदि कोई सदस्य सदन के कामकाज में लगातार और जानबूझकर बाधा डालता है, या अमर्यादित आचरण में लिप्त होता है, तो अध्यक्ष (लोकसभा के पीठासीन अधिकारी) उन्हें एक विशिष्ट अवधि के लिए तुरंत सदन से बाहर जाने का निर्देश दे सकते हैं। यह निलंबन कुछ बैठकों से लेकर शेष सत्र तक हो सकता है।

राज्यसभा के मामले में, निलंबन से संबंधित नियम 256 में दिए गए हैं। लोकसभा के समान, यदि कोई सदस्य जानबूझकर नारे लगाते हैं, तख्तियां दिखाते हैं, या घोर अमर्यादित आचरण करके या कोई अन्य कार्य करके सदन के कामकाज में बाधा डालता है, तो सभापति (राज्यसभा के पीठासीन अधिकारी) उन्हें एक निर्दिष्ट अवधि के लिए तुरंत राज्य सभा से हटने का निर्देश दे सकते हैं।

भारत में संसद सदस्यों (सांसदों) का निलंबन अमर्यादित आचरण या कदाचार को को देखते हुए अनुशासनात्मक रूप से कार्रवाई की जाती है। हालांकि यह प्रक्रिया लोकसभा (लोगों का सदन) और राज्यसभा (राज्यों की परिषद) दोनों में समान है, लेकिन प्रत्येक सदन द्वारा अपनाए गए नियमों और दृष्टिकोण में कुछ अंतर है।

सांसद संसद को क्यों करते हैं बाधित ?

पिछले कुछ सालों में विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं ने विधानमंडलों में बाधा लाने और खलल पैदा करने के चार व्यापक कारणों की पहचान की है।

राजनीतिक नेताओं और पीठासीन अधिकारियों द्वारा किये गए विश्लेषण के अनुसार, व्यवधान पैदा करने के चार मुख्य कारण हैं:

  • महत्त्वपूर्ण मुद्दों को उठाने के लिये सांसदों के पास पर्याप्त समय का न होना।
  • सरकार की गैर-जवाबदेही तथा और ट्रेज़री बेंच (मंत्री पक्ष) का प्रतिशोधी रवैया का होना।
  • राजनीतिक दलों द्वारा जान-बूझकर अशांति पैदा करना।
  • संसदीय कार्यवाही में बाधा डालने वाले सांसदों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की विफलता।

सांसदों को कौन कर सकता है निलंबित ?

सांसदों को निलंबित करते वक्त अध्यक्ष या सभापति को इस बात से संतुष्ट होना चाहिए कि संबंधित सदस्य का आचरण इस प्रकार का है कि उसे तत्काल निलंबित किया जाना चाहिए। किसी सांसद को निलंबित करने का निर्णय अपराध की गंभीरता और सदन के कामकाज पर इसके प्रभाव को ध्यान में रखते हुए लिया जाता है।

यहां यह बताना जरूरी है कि किसी सांसद के निलंबन का मतलब उनकी संसदीय सदस्यता का जाना नहीं है। वे निर्वाचित प्रतिनिधियों के रूप में अपना पद बरकरार रखते हैं। हालांकि, निलंबन की अवधि के दौरान उन्हें सदन की कार्यवाही में भाग लेने से प्रतिबंधित किया जाता है।

लोकसभा में क्या है निलंबन की प्रक्रिया:

  • नियम 374 के तहत लोकसभा में निलंबन किया जाता है।
  • सदन के कामकाज में लगातार और जानबूझकर बाधा डालना या अमर्यादित आचरण में शामिल होना निलंबन का आधार है।
  • पीठासीन अधिकारी के रूप में अध्यक्ष के पास सांसदों को निलंबित करने का अधिकार है।
  • एक निर्दिष्ट अवधि के लिए सदन से तुरंत बाहर निकलना आवश्यक है।
  • निलंबन की अवधि कुछ बैठकों से लेकर शेष सत्र तक हो सकती है।
  • स्पीकर का निर्णय अंतिम और बाध्यकारी है।

राज्यसभा में क्या है निलंबन की प्रक्रिया:

  • नियम 256 राज्यसभा में निलंबन से संबंधित है।
  • सदन की कार्यवाही में अमर्यादित आचरण और जानबूझकर बाधा डालना निलंबन का आधार है।
  • पीठासीन अधिकारी के रूप में सभापति के पास सांसदों को निलंबित करने का अधिकार है।
  • एक विशिष्ट अवधि के लिए राज्यों की परिषद से तत्काल वापसी की आवश्यकता है।
  • निलंबन की अवधि अपराध की गंभीरता के आधार पर निर्धारित की जाती है।
  • अध्यक्ष का निर्णय अंतिम एवं बाध्यकारी है।

भारत में सांसदों का निलंबन संसदीय कार्यवाही के दौरान व्यवस्था और मर्यादा बनाए रखने के लिए उठाया गया एक अनुशासनात्मक कदम माना गया है। इस प्रक्रिया में विशिष्ट नियम और विनियम शामिल हैं, जिसमें लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति निलंबन के लिए जिम्मेदार संबंधित प्राधिकारियों के रूप में कार्य करते हैं। निलंबन की अवधि अपराध की गंभीरता के आधार पर भिन्न-भिन्न होती है, जो कुछ बैठकों से लेकर शेष सत्र तक होती है। हालांकि निलंबन से संसदीय सदस्यता नहीं जाती है, यह बस निलंबित सांसद की सदन की कार्यवाही में भागीदारी को प्रतिबंधित करता है।


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

संसद के दोनों सदनों में जो भी सांसद सदस्य जानबूझकर हंगामा और कमेंट करने या किसी भी प्रकार से कार्य में बाधा डालने वाले अमर्यादित आचरण करते हैं उन सांसदों को सस्पेंड किया जा सकता है।