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One Nation One Election के लिए समिति का गठन; अमित शाह और अधीर रंजन चौधरी के साथ ये नाम भी शामिल

One Nation One Election एक देश एक चुनाव (One Nation One Election) के लिए केंद्र सरकार ने 8 सदस्यीय समिति का गठन किया है। 8 सदस्यीय समिति में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी और गुलाम नबी आजाद भी शामिल हैं। बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

By AgencyEdited By: Mohd FaisalUpdated: Sat, 02 Sep 2023 06:56 PM (IST)
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'एक देश, एक चुनाव' के लिए 8 सदस्यीय समिति का गठन (फोटो जागरण ग्राफिक्स)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लोकसभा, राज्यों की विधानसभा, नगरीय निकायों और पंचायतों के चुनाव (One Nation One Election) एक साथ कराने की संभावनाएं तलाशने तथा इसके लिए जरूरी सुझाव देने के लिए केंद्र सरकार ने आठ सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति की घोषणा कर दी है।

कौन-कौन हैं आठ सदस्यीय समिति में शामिल?

पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली इस समिति में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah), लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chowdhury), राज्यसभा में विपक्ष के नेता रह चुके गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) और वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह को शामिल किया गया है। 

रामनाथ कोविंद,

पूर्व राष्ट्रपति

चेयरमैन
अमित शाह,

केंद्रीय गृह मंत्री

सदस्य
गुलाम नबी आजाद सदस्य
डॉ. सुभाष कश्यप,

लोकसभा के पूर्व महासचिव

सदस्य
हरीश साल्वे,

वकील

सदस्य

संजय कोठारी,

पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त

सदस्य
एनके सिंह,

15वें वित्त आयोग के पूर्व चेयरमैन

सदस्य

इसके साथ ही 'एक देश एक चुनाव' के लिए बनाई गई आठ सदस्य समिति के अन्य सदस्यों में लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और सतर्कता आयोग के पूर्व अध्यक्ष संजय कोठारी भी शामिल हैं। यह समिति तत्काल प्रभाव से अपना काम शुरू करेगी।

हाई लेवल बैठकों में हिस्सा लेंगे अर्जुन राम मेघवाल

अधिसूचना के मुताबिक केंद्रीय विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल इस समिति की बैठकों में विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल होंगे, जबकि विधि मंत्रालय के सचिव नितिन चंद्रा समिति के सचिव होंगे। समिति को जो कार्य दायित्व सौंपा गया है, उसके मुताबिक वह उन सभी संवैधानिक प्रविधानों को परखेगी जिन्हें एक साथ चुनाव कराने के लिए संशोधित करने की आवश्यकता होगी। इसके साथ ही समिति को जनप्रतिनिधित्व कानून के साथ ऐसे अन्य कानूनी प्रविधानों पर भी निगाह डालनी होगी जिनमें एक साथ चुनाव कराने के उद्देश्य को पूरा करने के लिए परिवर्तन करना होगा। समिति इन सभी पहलुओं पर विचार करने की अपनी सिफारिशें सौंपेगी।

समिति को देने हैं अपने सुझाव

समिति को कई संभावित स्थितियों का आकलन करते हुए अपने सुझाव देने हैं, जैसे कि अगर किसी चुनाव के बाद त्रिशंकु सदन की स्थिति उभरती है या किसी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है और वह पारित हो जाता है अथवा दलबदल के हालात उत्पन्न होते हैं। एक साथ चुनाव की व्यवस्था के लिए इन सभी स्थितियों की तैयारी आवश्यक है। समिति एक साथ चुनाव की व्यवस्था के बारे में सुझाव देने के लिए ऐसे सभी लोगों, प्रतिनिधियों और पक्षों से मिलेगी और उनकी राय सुनेगी जिसे वह अपने कार्य दायित्व को पूरा करने के लिए आवश्यक समझती है। समिति यह भी विचार करेगी कि अगर एक साथ चुनाव नहीं हो सकते हैं तो चरणों में इसे किस तरह पूरा किया जा सकता है। चुनाव में सुरक्षा और लाजिस्टिक्स पर भी विचार देगी।

एक देश-एक चुनाव के विरोध में है कई विपक्षी दल

समिति की बैठक दिल्ली में होगी और इसके अध्यक्ष के राष्ट्रपति उपलब्धि और पेंशन अधिनियम 1951 के उपबंधों के अनुसार भत्ता पेय होगा। बाकी के सदस्य जो सांसद भी हैं उन्हें सांसदों को मिलने वाला भत्ता और अन्य को उच्चतम श्रेणी के सरकारी अधिकारी के अनुसार यात्रा भत्ता मिलेगा। गौरतलब है कि कई विपक्षी दल एक साथ चुनाव के विरोध में हैं लेकिन जिस तरह उच्च स्तरीय समिति बनी है और इसमें बड़े व अनुभवी चेहरों का शामिल किया गया है उसके बाद किसी के लिए भी इसे खारिज करना मुश्किल होगा। समिति के लिए यूं तो कोई समय सीमा तय नहीं की गई है लेकिन माना जा रहा है कि बजट सत्र तक इसकी एक रूप रेखा तैयार हो सकती है।