कब से लागू हो सकता 'एक देश, एक चुनाव' ? पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोन्विद ने बताया प्लान
पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोन्विद ने कहा कि एक देश एक चुनाव संविधान और संघवाद के खिलाफ नहीं है। 1967 तक पहले चार लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हुए थे। फिर एक साथ चुनाव कराने को असंवैधानिक कैसे कहा जा सकता है। एक साथ चुनाव से देश में न केवल राजनीतिक स्थिरता आएगी बल्कि शासन व्यवस्था में भी सुधार होगा।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोन्विद ने कहा कि एक देश, एक चुनाव संविधान और संघवाद के खिलाफ नहीं है। 1967 तक पहले चार लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हुए थे। फिर एक साथ चुनाव कराने को असंवैधानिक कैसे कहा जा सकता है। एक साथ चुनाव से देश में न केवल राजनीतिक स्थिरता आएगी, बल्कि शासन व्यवस्था में भी सुधार होगा।
पूर्व राष्ट्रपति कोविन्द रविवार को 30वें लाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कुछ वर्गों का कहना है कि एक साथ चुनाव कराने का विचार असंवैधानिक है, लेकिन यह सच नहीं है, क्योंकि संविधान निर्माताओं का भी यही विचार था।
संसद की ओर से प्रस्ताव पर लिया जाएगा निर्णय
निर्वाचन आयोग सहित कई संस्थाओं ने अतीत में इस अवधारणा का समर्थन किया है। कोन्विद ने कहा कि कार्यान्वयन समिति एक देश, एक चुनाव को लागू करने के लिए विभिन्न संवैधानिक संशोधनों पर विचार करेगी, उसके बाद संसद की ओर से इस प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।कोविंद ने बताया कि अवधारणा लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों-नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए एक साथ चुनाव कराने की है, ताकि शासन के सभी तीन स्तरों पर एक ही समय में चुनाव हो और पांच साल तक एक साथ काम किया जा सके। इस प्रस्ताव के लिए 47 राजनीतिक दलों ने उनके नेतृत्व वाली उच्च स्तरीय समिति को ज्ञापन दिया है।